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कोयला अन्वेषण में बड़ी राहत: कोयला मंत्रालय ने सरल की स्वीकृति प्रक्रिया, निजी एजेंसियों को मिली बढ़ी भूमिका

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भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोयला और लिग्नाइट संसाधनों की तेज़, अधिक कुशल और तकनीकी रूप से सुदृढ़ खोज की आवश्यकता है। इसी राष्ट्रीय आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, कोयला मंत्रालय निरंतर ऐसे प्रगतिशील सुधार लागू कर रहा है जो पारदर्शिता बढ़ाते हैं, निजी क्षेत्र की भागीदारी को मजबूत करते हैं और राष्ट्र की ऊर्जा तैयारियों को सुदृढ़ करते हैं। यह पहल भारत के लिए खोज-परिस्थितिकी तंत्र को आधुनिक बनाने और प्रक्रियाओं को अधिक सक्षम बनाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

कोयला मंत्रालय ने पूर्व की कार्यप्रणाली की समीक्षा कर, अधिसूचित मान्यता प्राप्त अन्वेषण एजेंसियों (APAs) — जिन्हें QCI-NABET द्वारा मान्यता प्राप्त है — द्वारा तैयार किए गए कोयला और लिग्नाइट ब्लॉकों के अन्वेषण कार्यक्रमों और भूवैज्ञानिक रिपोर्टों (GRs) की स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाया है। इन GRs की सहकर्मी समीक्षा भी किसी अन्य APA द्वारा की जाएगी। नई प्रक्रिया में, जनवरी 2022 में गठित मंत्रालय स्तरीय समिति की स्वीकृति की आवश्यकता समाप्त कर दी गई है। यह एक बड़ा प्रक्रियागत सुधार है और अन्वेषण क्षेत्र में व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

कोयला मंत्रालय द्वारा प्रकाशित नई कार्यप्रणाली उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है:

हाल के सुधारों के तहत निजी मान्यता प्राप्त अन्वेषण एजेंसियों की क्षमताओं का विस्तार और उपयोग कर सरकार ने निजी अन्वेषण संस्थाओं पर मजबूत विश्वास प्रदर्शित किया है। यह दृष्टिकोण उनकी दक्षता, तकनीकी विशेषज्ञता और नवाचार को भारत के कोयला संसाधनों के सतत विकास में उपयोग करने का उद्देश्य रखता है, साथ ही उच्च तकनीकी मानकों और कड़ी पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। नई प्रक्रिया से भूवैज्ञानिक रिपोर्ट की स्वीकृति में कम से कम 3 माह की बचत होगी, जिससे कोयला ब्लॉक के शीघ्र परिचालन में मदद मिलेगी और ब्लॉक आवंटियों को समयबद्ध रूप से मील के पत्थर पूरे करने में सहायता मिलेगी। यह सुधार अन्वेषण की गति बढ़ाएगा, स्वीकृति समय कम करेगा और भारत के कोयला संसाधनों की दीर्घकालिक सुरक्षा तथा सतत उपयोग में योगदान देगा।

इन दूरदर्शी सुधारों के साथ, कोयला मंत्रालय भारत को अधिक ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाता रहेगा। अन्वेषण क्षमताओं को मजबूत कर और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाकर, मंत्रालय एक मजबूत कोयला पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में योगदान दे रहा है—जो विकसित भारत की आकांक्षाओं को आने वाले वर्षों में ऊर्जा प्रदान करेगा और राष्ट्र के लिए एक अधिक सक्षम, भविष्य-तैयार ऊर्जा परिदृश्य तैयार करेगा।

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