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भारत–न्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौता: वित्तीय सेवाओं पर ऐतिहासिक समझौते की वार्ता संपन्न

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भारत और न्यूज़ीलैंड ने 22 दिसंबर 2025 को भारत–न्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के अंतर्गत वित्तीय सेवाओं पर परिशिष्ट (Financial Services Annex) से संबंधित वार्ताओं को सफलतापूर्वक संपन्न कर लिया है। यह उपलब्धि द्विपक्षीय आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को 10 दिसंबर 2025 को आयोजित अंतिम दौर की वार्ताओं के दौरान अंतिम रूप दिया गया।


भारत और न्यूज़ीलैंड वित्तीय सेवा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता साझा करते हैं। इस संबंध के महत्व को स्वीकार करते हुए, दोनों देशों ने एक दूरदर्शी, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौता विकसित करने के लिए सहयोग किया है, जो उनके-अपने वित्तीय सेवा क्षेत्रों के लिए नए अवसर खोलेगा। यह एफटीए द्विपक्षीय सहयोग को गति देने, बाजार पहुंच को सुगम बनाने और दोनों अर्थव्यवस्थाओं की वित्तीय प्रणालियों के गहन एकीकरण के लिए आवश्यक संस्थागत और नियामक ढांचा प्रदान करेगा।

भारत–न्यूज़ीलैंड वित्तीय सेवाएं परिशिष्ट, सामान्य GATS प्रतिबद्धताओं से आगे बढ़ते हुए, कुल 18 अनुच्छेदों तक विस्तारित है। इसके प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान और रियल-टाइम लेन-देन अवसंरचना:

भारत और न्यूज़ीलैंड ने घरेलू भुगतान अंतर्संचालनीयता विकसित करने तथा एकीकृत फास्ट पेमेंट सिस्टम (FPS) के माध्यम से रियल-टाइम सीमा-पार रेमिटेंस और व्यापारी भुगतान को समर्थन देने पर सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है। यह प्रावधान भारत के डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम और फिनटेक क्षेत्र को सशक्त करेगा, भारतीय प्रवासी समुदाय से रेमिटेंस प्रवाह को बढ़ाएगा, भारतीय भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए बाजार के अवसर पैदा करेगा और UPI व NPCI जैसी भारत की डिजिटल भुगतान प्रणालियों की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ उठाएगा।

वित्तीय प्रौद्योगिकी और नियामक नवाचार:

दोनों देशों ने वित्तीय सेवाओं में नवाचार के लिए सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की है। समझौते में एक-दूसरे के रेगुलेटरी सैंडबॉक्स और डिजिटल सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क से सीखने के प्रावधान शामिल हैं, जिनका सीमा-पार अनुप्रयोग संभव होगा। इससे भारत को द्विपक्षीय साझेदारी में एक फिनटेक हब के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी तथा भारतीय फिनटेक कंपनियों के लिए सहयोग के नए अवसर सृजित होंगे।

वित्तीय सूचना का हस्तांतरण और संरक्षण:

भारत और न्यूज़ीलैंड ने वित्तीय सूचना के हस्तांतरण, प्रसंस्करण और भंडारण से संबंधित प्रत्येक पक्ष के विधायी और नियामक अधिकारों को मान्यता दी है। साथ ही, डेटा संप्रभुता और उपभोक्ता गोपनीयता की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सीमा-पार डिजिटल संचालन को सुगम बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

क्रेडिट रेटिंग और गैर-भेदभाव:

इस प्रावधान के तहत भारतीय वित्तीय संस्थानों को न्यूज़ीलैंड के बाजार में मनमाने या भेदभावपूर्ण क्रेडिट आकलन से सुरक्षा मिलेगी। इससे भारतीय बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय सेवा प्रदाताओं के लिए बाजार पहुंच सुगम होगी और उनके संचालन पर किसी प्रकार के भेदभावपूर्ण नियामक प्रतिबंध से बचाव होगा।

बैक-ऑफिस और सहायक सेवाएं:

वित्तीय सेवाओं परिशिष्ट के अंतर्गत दोनों देशों ने बैक-ऑफिस और वित्तीय सेवाओं से जुड़ी सहायक गतिविधियों को समर्थन देने पर सहमति जताई है। यह भारत की विश्वस्तरीय आईटी और बिजनेस प्रोसेस सर्विस क्षमताओं का लाभ उठाएगा तथा लागत-कुशल वित्तीय सेवा वितरण को सक्षम बनाएगा, साथ ही भारत के वित्तीय सेवाओं, आईटी और बीपीओ क्षेत्रों की वृद्धि को समर्थन देगा।

एफडीआई सीमा और बैंक शाखाएं:

विशिष्ट प्रतिबद्धताओं की अनुसूचियां बैंकिंग और बीमा क्षेत्रों में बाजार पहुंच और राष्ट्रीय उपचार पर प्रगतिशील सहयोग को दर्शाती हैं। भारत ने बैंकिंग और बीमा में एफडीआई सीमा बढ़ाने तथा चार वर्षों की अवधि में 15 बैंक शाखाएं स्थापित करने की अनुमति देने वाला उदार बैंक शाखा लाइसेंसिंग ढांचा प्रस्तावित किया है, जो GATS के तहत पहले प्रस्तावित 12 शाखाओं की सीमा से अधिक है। इससे भारतीय वित्तीय सेवा प्रदाताओं को न्यूज़ीलैंड में अपने संचालन का विस्तार करने में मदद मिलेगी और वित्तीय सेवाओं के निर्यात में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

कुल मिलाकर, भारत–न्यूज़ीलैंड वित्तीय सेवाएं परिशिष्ट पर वार्ताओं का सफल समापन दोनों सरकारों की आर्थिक संबंधों को गहरा करने और तेजी से विकसित हो रहे वित्तीय सेवा परिदृश्य में पारस्परिक अवसरों का लाभ उठाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह समझौता दूरदर्शी, संतुलित और बेहतर बाजार पहुंच, नियामक स्पष्टता तथा सहयोगी ढांचे प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, जिससे दोनों देशों के वित्तीय संस्थानों और सेवा प्रदाताओं को लाभ होगा।

वर्तमान में, भारतीय बैंक—बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया—न्यूज़ीलैंड में चार शाखाओं के साथ सहायक संचालन कर रहे हैं, जबकि न्यूज़ीलैंड की कोई भी बैंकिंग या बीमा इकाई भारत में मौजूद नहीं है और न ही कोई भारतीय बीमा कंपनी न्यूज़ीलैंड में स्थापित है। यह एफटीए स्पष्ट बाजार पहुंच प्रतिबद्धताओं, नियामक पारदर्शिता और द्विपक्षीय सहयोग ढांचे के माध्यम से द्विपक्षीय निवेश, संस्थागत उपस्थिति और सेवाओं के विस्तार को प्रोत्साहित करेगा तथा दोनों देशों के वित्तीय सेवा बाजारों के बीच संबंधों को नई गति देगा।

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