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इन्फ्लुएंजा तैयारी और प्रतिक्रिया को सुदृढ़ करने हेतु नई दिल्ली में दो दिवसीय ‘इन्फ्लुएंजा चिंतन शिविर’ आयोजित

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राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इंडिया के सहयोग से “इन्फ्लुएंजा तैयारी एवं प्रतिक्रिया के लिए अंतर-मंत्रालयी और अंतर-क्षेत्रीय समन्वय को सुदृढ़ करना” विषय पर दो दिवसीय इन्फ्लुएंजा चिंतन शिविर का आयोजन 22–23 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में किया।

चिंतन शिविर का उद्घाटन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने वीडियो संदेश के माध्यम से किया। उन्होंने इन्फ्लुएंजा से निपटने के लिए समन्वित तैयारी और प्रतिक्रिया उपायों के महत्व पर जोर देते हुए सर्ज क्षमता योजना को देश की महामारी-रोधी क्षमता मजबूत करने के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) की अहम भूमिका को रेखांकित किया और केंद्र व राज्यों के बीच मजबूत तथा सहयोगात्मक निगरानी तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया।

इस चिंतन शिविर में स्वास्थ्य, पशुपालन, कृषि और पर्यावरण मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR), पशुपालन एवं डेयरी विभाग (DAHD), राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD), राज्य सरकारों और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों सहित लगभग 100 विशेषज्ञों ने भाग लिया। यह सहभागिता सरकार के वन हेल्थ और समग्र सरकारी दृष्टिकोण (Whole-of-Government Approach) को और सशक्त करती है। इन्फ्लुएंजा मामलों की रिपोर्टिंग के इतिहास वाले 11 राज्यों ने प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया, जबकि राज्य एवं जिला निगरानी इकाइयों के IDSP अधिकारी वर्चुअल रूप से जुड़े, जिससे सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला। कार्यक्रम में तकनीकी प्रस्तुतियां, पैनल चर्चाएं, समूह कार्य सत्र और राज्यों की प्रस्तुतियां शामिल रहीं।

चर्चाओं में यह रेखांकित किया गया कि इन्फ्लुएंजा आज भी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है, विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और दीर्घकालिक रोगों से ग्रसित व्यक्तियों के लिए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय IDSP नेटवर्क के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौसमी इन्फ्लुएंजा की वास्तविक समय में निगरानी कर रहा है। शिविर में इस बात पर सहमति बनी कि प्रभावी अंतर-क्षेत्रीय समन्वय, मजबूत निगरानी, प्रयोगशाला क्षमता और नैदानिक तैयारी के माध्यम से मौसमी एवं जूनोटिक इन्फ्लुएंजा के शीघ्र पता लगाने और समय पर प्रतिक्रिया को और बेहतर किया जाए।

चिंतन शिविर का एक प्रमुख परिणाम इन्फ्लुएंजा तैयारी की एक संरचित चेकलिस्ट का विकास रहा, जो केंद्र, राज्यों और जिलों को चार प्रमुख क्षेत्रों में मार्गदर्शन प्रदान करेगी—

  1. निगरानी, प्रारंभिक चेतावनी और जोखिम आकलन

  2. प्रयोगशाला प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण

  3. अस्पताल तैयारी और नैदानिक प्रतिक्रिया

  4. वन हेल्थ समन्वय, जोखिम संचार और सामुदायिक सहभागिता (RCCE)

शिविर का समापन मौसमी एवं जूनोटिक इन्फ्लुएंजा से निपटने के लिए समग्र सरकारी और वन हेल्थ दृष्टिकोण अपनाने पर सहमति के साथ हुआ। सभी मंत्रालयों ने मानव, पशु और वन्यजीव क्षेत्रों में एकीकृत निगरानी को मजबूत करने, प्रयोगशाला एवं जीनोमिक क्षमताओं को बढ़ाने, समय पर डेटा साझा करने और राष्ट्रीय महामारी तैयारी ढांचे के अनुरूप क्षेत्रीय कार्य योजनाओं को संरेखित करने का संकल्प लिया। चर्चाओं ने इन्फ्लुएंजा तथा अन्य श्वसन वायरल खतरों की रोकथाम, शीघ्र पहचान और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए भारत की समन्वित राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को दोहराया।

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