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डॉ. जितेंद्र सिंह: स्वास्थ्य और फार्मा में AI का विवेकपूर्ण उपयोग और निजी क्षेत्र के सहयोग से भारत बनेगा वैश्विक हेल्थकेयर हब

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नई दिल्ली- विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जोर देकर कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का विवेकपूर्ण उपयोग स्वास्थ्य और फार्मा क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हो सकता है। उन्होंने उभरती जैवप्रौद्योगिकी और जीन थेरेपी परियोजनाओं में निजी क्षेत्र के साथ सरकार के मजबूत सहयोग पर भी प्रकाश डाला।

कन्फेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री (CII) फार्मा एवं लाइफ साइंसेज समिट 2025 में संबोधन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सबसे बड़ी परिवर्तन यह है कि सरकार उद्योग तक समान उत्साह के साथ पहुँचती है, जो पूरे सरकारी और उद्योग दृष्टिकोण को दर्शाता है।

मंत्री ने बताया कि AI अब केवल विकल्प नहीं बल्कि निदान, दवा खोज और स्वास्थ्य सेवा वितरण में एक आवश्यक उपकरण बन गया है। हालांकि, इसका उपयोग मानव-केंद्रित होना चाहिए। उन्होंने कहा, “वास्तविक चुनौती यह है कि हम AI को इस तरह एक हाइब्रिड मॉडल में एकीकृत करें जो तकनीक और मानवीय सहानुभूति का संतुलन बनाए।”

स्वास्थ्य नवाचार के उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि AI-आधारित निदान मॉडल अब कल्चर परीक्षण का समय दिनों से मिनटों तक घटा रहे हैं, और AI संचालित टेलीमेडिसिन परियोजनाएँ स्थानीय बोलियों में दूरदराज के गांवों तक चिकित्सा सेवाओं का विस्तार कर रही हैं, जिससे रोगियों का आत्मविश्वास और परिणाम दोनों बेहतर हो रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की बढ़ती वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षमताओं को उजागर करते हुए कहा कि सरकार निजी क्षेत्र के साथ जीन थेरेपी, जैवप्रौद्योगिकी और टीका विकास जैसे सीमांत क्षेत्रों में सक्रिय रूप से भागीदारी कर रही है। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) की कई पहल अब प्रमुख निजी कंपनियों के साथ सहयोग में काम कर रही हैं, ताकि सिंथेटिक एंटीबायोटिक्स, DNA और HPV वैक्सीन, और बायो-निर्माण जैसे क्षेत्रों में स्वदेशी समाधान विकसित किए जा सकें।

सरकार की व्यापक अनुसंधान पहल का उल्लेख करते हुए मंत्री ने उद्योग नेताओं को हाल ही में घोषित ₹1 लाख करोड़ के R&D फंड का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया, जो स्वास्थ्य, कृषि और अन्य क्षेत्रों में गहरी तकनीक परियोजनाओं का समर्थन करता है। उन्होंने कहा, “पहली बार, सरकार नवाचार के लिए निजी कंपनियों को वित्तपोषित कर रही है — जो भारत की R&D पारिस्थितिकी में एक परिवर्तनकारी कदम है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में आयातक से निर्यातक में बदलाव की भी सराहना की, विशेष रूप से टीकों, बायोसिमिलर और किफायती मेडिकल उपकरणों में। उन्होंने कहा, “हम अब उच्च गुणवत्ता वाली, लागत-कुशल स्वास्थ्य तकनीक का उत्पादन कर रहे हैं जो दुनिया भर में बाज़ार पा रही हैं।”

अपने संबोधन को समाप्त करते हुए मंत्री ने उद्योग हितधारकों से कहा कि वे केवल अपने क्षेत्रों का नेतृत्व न करें, बल्कि राष्ट्रीय प्रगति में साझेदार के रूप में काम करें और नए सहयोग क्षेत्रों का सुझाव दें। उन्होंने कहा, “विज्ञान, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी अब एक एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं, और हमें मिलकर वैश्विक स्वास्थ्य के भविष्य को आकार देने में एक बड़ी भूमिका के लिए तैयार रहना चाहिए।”

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