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DRDO का इंडस्ट्री आउटरीच प्रोग्राम: आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन को गति देने की दिशा में बड़ा कदम

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सरकार के आत्मनिर्भरता और विकसित भारत के विज़न को आगे बढ़ाते हुए, DRDO ने 1 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित DRDO भवन में एक Industry Outreach Programme आयोजित किया। इस कार्यक्रम में उत्तरी भारत की DRDO प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों और उनकी इंडस्ट्री पार्टनर्स ने भाग लिया। कुल 18 DRDO प्रयोगशालाओं के 220 वैज्ञानिक और विभिन्न रक्षा उद्योगों के 271 प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए।

कार्यक्रम में रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और DRDO अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत मुख्य अतिथि थे, जबकि सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस दौरान ‘DRDO की ToT Policy – 2025’ को लागू करने की नई प्रक्रिया भी जारी की गई।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ओपन हाउस चर्चा रहा, जिसमें विशिष्ट अतिथियों, DRDO विशेषज्ञों और सचिव (रक्षा उत्पादन) ने उद्योग जगत से प्राप्त प्रश्नों, सुझावों और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। इस चर्चा का उद्देश्य PSUs और निजी उद्योगों के साथ मिलकर स्वदेशी रक्षा उत्पादन से जुड़े जटिल मुद्दों के समाधान तलाशना था।

इस दौरान DRDO मुख्यालय और विभिन्न प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों के बीच इन-हाउस ब्रेनस्टॉर्मिंग सत्र भी आयोजित किया गया। DRDO के कॉरपोरेट निदेशकों ने स्वदेशी अनुसंधान परियोजनाओं, नीतियों और प्रक्रियाओं की जानकारी साझा की, जो सेनाओं और अन्य सरकारी एजेंसियों के लिए उपयोगी साबित होंगी।

मुख्य वक्तव्य

DRDO अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भारतीय उद्योग की क्षमता पर विश्वास जताते हुए कहा कि आने वाले पाँच वर्षों में सरकारी नीतियाँ और परिपक्व होंगी तथा देश का स्वदेशी रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र कई गुना बढ़ेगा। उन्होंने DRDO के साथ साझेदारी में रक्षा क्षेत्र की विभिन्न तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उद्योगों को व्यापक अवसर उपलब्ध होने की बात कही।

सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार ने सरकार की स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने वाली नीतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि वास्तविक आत्मनिर्भरता तभी संभव है जब डिज़ाइन से लेकर बड़े पैमाने पर निर्माण तक पूरा चक्र देश में ही पूरा किया जाए।

इंडस्ट्री सहयोग पर जोर

DG (Production Coordination & Services Interaction) डॉ. चंद्रिका कौशिक ने DRDO की इंडस्ट्री के साथ मिलकर स्वदेशीकरण बढ़ाने की पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत अब रक्षा उपकरणों का आयातक होने से आगे बढ़कर शुद्ध रक्षा निर्यातक देश के रूप में उभर रहा है। उन्होंने उद्योगों को निरंतर R&D और DRDO के साथ गहरी सहभागिता के लिए प्रेरित किया।


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