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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की कार्यकारी समिति की 68वीं बैठक आयोजित

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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की कार्यकारी समिति (Executive Committee) की 68वीं बैठक का आयोजन गंगा और उसकी सहायक नदियों के अविरल (निर्बाध) एवं निर्मल प्रवाह को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया। बैठक की अध्यक्षता NMCG के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की। बैठक में नदी की पारिस्थितिकी बहाली, जैव विविधता संरक्षण, प्रकृति-आधारित समाधानों (Nature Based Solutions) के माध्यम से नवाचार, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण तथा आधारभूत संरचना परियोजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान दिया गया।

बैठक में मंत्रालय एवं संबंधित एजेंसियों के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें जल संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव एवं वित्तीय सलाहकार गौरव मसालदान, NMCG के उप महानिदेशक नलिन श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक (परियोजना) बृजेंद्र स्वरूप, कार्यकारी निदेशक (तकनीकी) अनुप कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक (प्रशासन) एस.पी. वशिष्ठ तथा कार्यकारी निदेशक (वित्त) भास्कर दासगुप्ता शामिल थे। राज्य सरकारों की ओर से परियोजना निदेशकों में पश्चिम बंगाल की  नंदिनी घोष, उत्तर प्रदेश के जोगेंद्र कुमार, बिहार अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (BUDCO) के प्रबंध निदेशक अनिमेष कुमार तथा NMCG के निदेशक राहुल द्विवेदी उपस्थित रहे।

गंगा बेसिन में संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियों के संरक्षण को मंजूरी

गंगा बेसिन में संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक नई परियोजना को स्वीकृति दी गई है। इस परियोजना का उद्देश्य रेत-टीलों (sandbar) पर घोंसला बनाने वाले पक्षियों, विशेषकर इंडियन स्किमर, के प्रजनन स्थलों की रक्षा करना है। नमामि गंगे मिशन–II के अनुरूप यह परियोजना दीर्घकालिक निगरानी, समुदाय की भागीदारी तथा साक्ष्य-आधारित संरक्षण पर केंद्रित है। चंबल और निचली गंगा में घोंसलों की निगरानी जारी रहेगी तथा बिजनौर, नरौरा और प्रयागराज में इसे प्रारंभ किया जाएगा। प्रशिक्षित स्थानीय समुदाय संवेदनशील रेत-टीलों की सुरक्षा, मानवीय हस्तक्षेप को कम करने और जागरूकता एवं क्षमता निर्माण गतिविधियों में सहयोग करेंगे।

यह परियोजना नदी-आधारित जीव-जंतुओं की जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक अनूठी पहल है, जो डॉल्फिन, मछलियों, कछुओं और मगरमच्छों से संबंधित NMCG के प्रयासों को पूरक बनाते हुए नदी जीव-जंतुओं पर समग्र ध्यान केंद्रित करेगी।

परियोजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन हेतु प्रशासनिक एवं व्यय स्वीकृतियां

बैठक के दौरान गंगा बेसिन राज्यों में विभिन्न परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन एवं सुचारू संचालन के लिए संशोधित प्रशासनिक और व्यय स्वीकृतियां प्रदान की गईं। इन स्वीकृतियों से व्यावहारिक क्रियान्वयन संबंधी चुनौतियों का समाधान होगा, संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा मिलेगा तथा परियोजनाओं की गुणवत्ता, पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित होगी।

इन स्वीकृतियों से जिन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में सुविधा मिलेगी, उनमें उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में 10 KLD फीकल स्लज एवं सेप्टेज ट्रीटमेंट प्लांट, कानपुर में मौजूदा सीवरेज अवसंरचना का पुनर्वास एवं मुख्य सब-स्टेशन का नवीनीकरण, वाराणसी में गंगा सतह की स्वच्छता हेतु ट्रैश स्किमर परियोजना, बिहार के दानापुर, फुलवारी शरीफ और फतुहा में इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन तथा एसटीपी परियोजनाएं, झारखंड के फुसरो में इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन तथा एसटीपी परियोजना, तथा पश्चिम बंगाल में गार्डन रीच और कूरापुकुर स्थित दो प्रमुख गंगा प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाओं में छोटे संशोधन शामिल हैं।

प्रकृति-आधारित समाधानों को बढ़ावा

कार्यकारी समिति ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक नवोन्मेषी दृष्टिकोण अपनाते हुए दिल्ली में यमुना में गिरने वाले शास्त्री पार्क नाला, गौशाला नाला तथा कैलाश नगर/रमेश नगर नालों के इन-सीटू उपचार और पुनर्जीवन हेतु प्रकृति-आधारित समाधान (Nature Based Solutions) परियोजना को मंजूरी दी। यह पर्यावरण-अनुकूल और प्रभावी पहल है, जिसके अंतर्गत चट्टानी फिल्टर, पत्थर की चिनाई और जलीय पौधों के माध्यम से कच्चे सीवेज का प्राकृतिक उपचार कर उसे यमुना में प्रवेश से पहले ही शुद्ध किया जाएगा।

सांस्कृतिक विरासत संरक्षण हेतु गोमती नदी उद्गम स्थल का पुनर्विकास

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में गोमती नदी के उद्गम स्थल की प्राकृतिक पवित्रता और सांस्कृतिक पहचान को पुनर्स्थापित करने के लिए एक व्यापक मास्टर प्लान तैयार किया गया है। इस योजना में आधुनिक अवसंरचना विकास, कैचमेंट क्षेत्र उपचार, जल स्रोतों का पुनर्जीवन तथा माधोटांडा नगर से निकलने वाले सीवेज का प्रकृति-आधारित उपचार शामिल है। साथ ही घाटों और आरती मंचों का विकास, झीलों का पुनर्जीवन और कछुओं के आवासों का संरक्षण भी किया जाएगा। श्मशान, पंचवटीका और योग मंडप जैसी सुविधाएं स्थल के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और बढ़ाएंगी।

इन सभी स्वीकृतियों के माध्यम से कार्यकारी समिति ने नदी-आधारित जैव विविधता संरक्षण को सुदृढ़ करने, प्रकृति-आधारित समाधानों को मुख्यधारा में लाने, नदियों से सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूत करने तथा गंगा के पुनर्जीवन के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन की दिशा में NMCG के संकल्प को और सशक्त किया है।

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