Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

वेतन संहिता, 2019 : श्रमिकों के अधिकार और आर्थिक न्याय को सशक्त बनाती ऐतिहासिक पहल

Document Thumbnail

परिचय

भारत सरकार समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए समावेशी नीतियों व कार्यक्रमों के प्रति प्रतिबद्ध है, जो समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाते हैं। श्रम और रोजगार मंत्रालय का उद्देश्य सभी के लिए सम्मानजनक कार्य परिस्थितियाँ, गुणवत्तापूर्ण जीवन एवं सतत् रोजगार अवसर प्रदान करना है।

द्वितीय राष्ट्रीय श्रम आयोग ने अनुशंसा की थी कि मौजूदा श्रम कानूनों को कार्य-आधारित समूहों में चार या पाँच श्रम संहिताओं में समेकित किया जाए। इसी क्रम में वेतन संहिता, 2019 चार प्रमुख संहिताओं में से एक है। यह संहिता समानता, श्रमिक कल्याण और उद्यमों की स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई है। यह प्रमुख परिभाषाओं को मानकीकृत करती है, प्रक्रियाओं को सरल बनाती है तथा नियोक्ताओं के लिए तेज और समयबद्ध न्याय सुनिश्चित करती है। इन श्रम सुधारों का व्यापक लक्ष्य है—सभी के लिए सम्मानजनक रोजगार सृजन के माध्यम से आर्थिक विकास को गति देना।

वेतन संहिता, 2019 : समाहित किए गए कानून

वेतन संहिता, 2019 में 4 प्रमुख वेतन एवं भुगतान संबंधी कानूनों को सम्मिलित किया गया है:

  • भुगतान-ए-वेतन अधिनियम, 1936

  • न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948

  • बोनस भुगतान अधिनियम, 1965

  • समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976

यह संहिता श्रमिक अधिकारों की रक्षा करने के साथ-साथ नियोक्ताओं के लिए अनुपालन को सरल बनाती है। यह समान वेतन, सामाजिक सुरक्षा और शोषण से सुरक्षा प्रदान करती है, जो कार्यस्थल पर गरिमा और स्थिरता सुनिश्चित करती है। महिलाओं के लिए समान वेतन और प्रतिनिधित्व की गारंटी देकर यह समावेशी श्रम बाजार को मजबूत करती है।

इन प्रावधानों से उत्पादकता, श्रमिक कल्याण, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास—सभी को बढ़ावा मिलता है।

क्या आप जानते हैं?

श्रम सुधारों के तहत सिंगल रजिस्ट्रेशन, सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न की व्यवस्था लागू की गई है, जिससे अनुपालन बोझ कम होता है और रोजगार को बढ़ावा मिलता है।

वेतन संहिता, 2019 के तहत —

  • नियमों की संख्या 163 से घटकर 58,

  • फॉर्म 20 से घटकर 6

  • रजिस्टर 24 से घटकर 2 कर दिए गए हैं।

न्यूनतम एवं न्यायसंगत वेतन सुनिश्चित करना

न्यूनतम वेतन का सार्वभौमीकरण

धारा 5 के अनुसार अब न्यूनतम वेतन सभी क्षेत्रों, संगठित और असंगठित दोनों पर लागू होंगे। पहले यह केवल अनुसूचित रोजगारों पर लागू था, जिससे केवल लगभग 30% श्रमिक ही कवर होते थे।

श्रमिक-हितैषी प्रावधान

  • हर कर्मचारी को न्यूनतम वेतन का कानूनी अधिकार

  • देशभर में वेतन असमानता में कमी

  • दिहाड़ी, आकस्मिक श्रमिक, प्रवासी मजदूरों को सुरक्षा

  • आय में स्थिरता और बेहतर जीवन स्तर

रोजगार-हितैषी प्रावधान

  • महिलाओं और प्रवासी श्रमिकों की भागीदारी में वृद्धि

  • निष्पक्ष वेतन से नौकरी में स्थिरता

फ़्लोर वेज (राष्ट्रीय न्यूनतम आधार वेतन)

धारा 9 व नियम 11 के अनुसार केंद्र सरकार फ्लोर वेज तय करेगी, जो भोजन, वस्त्र आदि की न्यूनतम जीवन आवश्यकताओं पर आधारित होगा। राज्य सरकारें इससे कम वेतन निर्धारित नहीं कर सकेंगी।

लाभ

  • राज्यों में वेतन असमानता में कमी

  • मजदूरों की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति

  • प्रवासन में कमी

  • एकसमान न्यायसंगत वेतन सुनिश्चित

कौशल, क्षेत्र और कठिनाई के आधार पर न्यूनतम वेतन

  • समय-कार्य एवं पीस-रेट कार्य हेतु वेतन दरें सरकार तय करेगी

  • कौशल, क्षेत्र और कार्य कठिनाई को आधार बनाया जाएगा

  • वेतन का पुनरीक्षण हर 5 वर्ष में अनिवार्य

वेतन का पुनर्निर्धारण

वेतन में—

  • मूल वेतन

  • महंगाई भत्ता

  • रिटेनिंग भत्ता
    शामिल होंगे।

यदि भत्ते कुल वेतन के 50% से अधिक हैं, तो अतिरिक्त भाग को वेतन में जोड़ा जाएगा।

लाभ

  • सामाजिक सुरक्षा लाभ (PF, ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ, बोनस) अधिक होंगे

  • संविदा एवं अनौपचारिक श्रमिकों को समान सुरक्षा

कार्य घंटे का निर्धारण

धारा 13 (नियम 6) के अनुसार:

  • सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे

  • किसी दिन अधिकतम 12 घंटे (विशेष परिस्थितियों में)

  • साप्ताहिक अवकाश अनिवार्य

यह प्रावधान कार्य-जीवन संतुलन, स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार लाता है।

वेतन भुगतान की गारंटी

समय पर वेतन भुगतान

धारा 17 के अनुसार:

  • दैनिक → शिफ्ट समाप्ति पर

  • साप्ताहिक → साप्ताहिक अवकाश से पहले

  • पखवाड़े → 2 दिनों के भीतर

  • मासिक → अगले महीने की 7 तारीख तक

  • इस्तीफा/निष्कासन → 2 कार्य दिवसों के भीतर

वेतन पर्ची (वेज स्लिप)

धारा 50(3) के अनुसार वेतन भुगतान के समय इलेक्ट्रॉनिक/भौतिक वेतन पर्ची देना अनिवार्य।

वार्षिक बोनस का भुगतान

  • पात्रता: वर्ष में कम से कम 30 दिन कार्य

  • बोनस: 8.33% से 20% तक

  • उद्देश्य: लाभ-साझेदारी, प्रेरणा और उपभोग क्षमता बढ़ाना

दावा दाखिल करने की सीमा अवधि बढ़ाकर 3 वर्ष

इससे कर्मचारियों को न्याय पाने की अधिक समय-सुविधा मिलती है।

पीस-रेट कार्य के लिए न्यूनतम समय-दर वेतन

धारा 12 के अनुसार, न्यूनतम समय-दर से कम वेतन नहीं दिया जा सकता।

ओवरटाइम भुगतान

धारा 14 के अनुसार ओवरटाइम वेतन सामान्य वेतन से दोगुना।

दंडों का गैर-आपराधिकरण (Decriminalisation)

  • पहली बार के अपराध पर कंपाउंडिंग (50% अधिकतम जुर्माना)

  • कारावास हटाकर नागरिक दंड लागू

  • न्याय तेज और मैत्रीपूर्ण अनुपालन वातावरण

विकासोन्मुख प्रावधान

  • परिभाषाओं का एकीकरण

  • इंस्पेक्टर राज की समाप्ति

  • वेब-आधारित निरीक्षण

  • पारदर्शी, सहयोगात्मक अनुपालन

वन नेशन, वन वेज कोड

वेतन, कार्यकर्ता, कर्मचारी आदि की एक समान परिभाषा पूरे देश में लागू।

इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर की व्यवस्था

निरीक्षण के साथ-साथ जागरूकता, मार्गदर्शन और अनुपालन में सहायता प्रदान करना।

नियोक्ता की संपत्तियों की सुरक्षा

सरकारी अनुबंधों से संबंधित जमा राशि को न्यायालयों द्वारा जब्त नहीं किया जा सकेगा (कर्मचारी देयताओं को छोड़कर)।

लैंगिक समानता

लिंग-आधारित भेदभाव पर प्रतिबंध

धारा 3 के अंतर्गत:

  • भर्ती, वेतन, कार्य-शर्तों में कोई लिंग आधारित भेदभाव नहीं

  • ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए भी समान संरक्षण

सलाहकार बोर्डों में महिलाओं का एक-तिहाई प्रतिनिधित्व

धारा 42 के अनुसार—महिलाओं की नीतिगत भागीदारी सुनिश्चित।

निष्कर्ष

वेतन संहिता, 2019 भारत के श्रम बाजार में न्याय, समानता और समावेशिता को मजबूत बनाती है। यह श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करती है, नियोक्ताओं के हितों को संतुलित करती है, अनुपालन सरल बनाती है, और औपचारिक रोजगार को बढ़ावा देती है।

संपूर्ण रूप से, यह संहिता श्रमिकों की गरिमा, आर्थिक न्याय और राष्ट्र के समग्र विकास को प्रोत्साहित करती है।


Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.