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उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने तिरुवनंतपुरम में “लाइब्रेरीज़ एम्पावरिंग कम्युनिटीज़ – ग्लोबल परस्पेक्टिव्स” अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया

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तिरुवनंतपुरम के कनक्काकुन्नू पैलेस में आज पी. एन. पनिक्कर फाउंडेशन द्वारा आयोजित “लाइब्रेरीज़ एम्पावरिंग कम्युनिटीज़ – ग्लोबल परस्पेक्टिव्स” अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया।

यह आयोजन केरल में संगठित पुस्तकालय आंदोलन के 80 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में किया जा रहा है। यह आंदोलन भारत के पुस्तकालय और साक्षरता आंदोलन के प्रणेता माने जाने वाले पी. एन. पनिक्कर की प्रेरणा से प्रारंभ हुआ था।

अपने संदेश में उपराष्ट्रपति ने पी. एन. पनिक्कर फाउंडेशन के निरंतर योगदान की सराहना की, जिसने पठन संस्कृति, डिजिटल साक्षरता और ज्ञान के प्रसार के माध्यम से समुदाय सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन का आदर्श वाक्य “वायिचु वलरुका” (पढ़ो और बढ़ो) समाज को आज भी ज्ञान और समावेशिता की दिशा में प्रेरित कर रहा है।

राधाकृष्णन ने पुस्तकालयों को “ज्ञान के मंदिर” बताया — ऐसे स्थान जो आलोचनात्मक सोच को पोषित करते हैं और व्यक्तियों व समुदायों को सशक्त बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने भारत भ्रमण कर आध्यात्मिक चेतना जगाई और विविध विचारों को एकीकृत किया। अनेक ऋषि-मुनियों और विचारकों ने अपने ज्ञान, करुणा और दूरदृष्टि से हमारी सभ्यता को समृद्ध किया है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा — महाकाव्यों से लेकर आधुनिक पुस्तकालयों तक — देश को निरंतर प्रबुद्धता और सामाजिक प्रगति की दिशा में प्रेरित करती रही है।

डिजिटल युग की चुनौतियों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि पुस्तकालय आज भी “ज्ञान केंद्र” के रूप में कार्य कर रहे हैं — जो प्रामाणिक जानकारी तक पहुँच सुनिश्चित करते हैं और गलत सूचनाओं का मुकाबला करते हैं। जहाँ तकनीक सूचनाओं की आसान पहुँच देती है, वहीं पुस्तकालय गहराई, चिंतन और सार्थक संवाद को प्रोत्साहित करते हैं।

उन्होंने केरल की शिक्षा और साक्षरता की विशिष्ट परंपरा की भी सराहना की और श्री पी. एन. पनिक्कर को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनकी दृष्टि ने पुस्तकालयों को सक्रिय सामुदायिक केंद्रों के रूप में विकसित किया।

अंत में उपराष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालय गतिशील ज्ञान, समावेशन और नवाचार के केंद्र हैं। उन्होंने पूरे देश में सार्वजनिक और सामुदायिक पुस्तकालयों के नेटवर्क को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि लोगों को ज्ञान के माध्यम से सशक्त किया जा सके।

सम्मेलन के बारे में:

“लाइब्रेरीज़ एम्पावरिंग कम्युनिटीज़ – ग्लोबल परस्पेक्टिव्स” विषय पर यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन पी. एन. पनिक्कर फाउंडेशन द्वारा 2 से 3 नवम्बर, 2025 तक तिरुवनंतपुरम के कनक्काकुन्नू पैलेस में आयोजित किया जा रहा है। इसमें विशेषज्ञ, नीति-निर्माता, पुस्तकालय पेशेवर, शिक्षाविद और डिजिटल नवाचारक शामिल हो रहे हैं।

सम्मेलन का उद्देश्य केरल के पुस्तकालय आंदोलन की ऐतिहासिक विरासत का उत्सव मनाना और सामुदायिक भागीदारी, डिजिटल पहुँच तथा सतत ज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाने की रणनीतियों पर विचार करना है।

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