Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: प्रमुख विशेषताएँ और व्यापक श्रमिक कल्याण सुधार

Document Thumbnail

मुख्य बिंदु (Key Takeaways)

  • यह संहिता नौ मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों को एकीकृत कर एक रूपरेखा प्रदान करती है, जिससे संगठित, असंगठित, गिग एवं प्लेटफ़ॉर्म सभी प्रकार के श्रमिकों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

  • EPFO और ESIC का दायरा पूरे देश में विस्तारित किया गया है, जिससे अधिक संस्थान और अधिक श्रमिक सामाजिक सुरक्षा लाभों के अंतर्गत आएंगे।

  • गिग एवं प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों को पहली बार मान्यता दी गई है और उनके कल्याण हेतु सामाजिक सुरक्षा कोष का प्रावधान किया गया है।

  • महिलाओं के लिए 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश, वर्क-फ्रॉम-होम, एवं क्रेच सुविधा जैसे प्रावधानों को और सशक्त बनाया गया है।

  • डिजिटल रिकॉर्ड, अपराधमुक्तिकरण, अपराधों के निपटारे में संयोजन (compounding), और तकनीक आधारित निरीक्षण-प्रधान सहायक प्रणाली के माध्यम से “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” को बढ़ावा दिया गया है।

परिचय

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 भारत के श्रम कल्याण ढांचे में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जिसका उद्देश्य सभी वर्गों के श्रमिकों के लिए व्यापक और समावेशी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह संहिता नौ सामाजिक सुरक्षा कानूनों को एकीकृत कर एक सरल और व्यापक ढांचा प्रदान करती है, जिससे संगठित, असंगठित, गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों तक सामाजिक सुरक्षा लाभों की पहुंच बढ़ाई जा सके।

इन विविध श्रम कानूनों को एक मंच पर लाकर, संहिता अनुपालन को सरल बनाती है, दक्षता बढ़ाती है, और जीवन एवं विकलांगता बीमा, स्वास्थ्य एवं मातृत्व लाभ, भविष्य निधि (PF) और ग्रेच्युटी जैसे लाभों तक पहुंच को विस्तारित करती है। यह डिजिटल प्रणालियों और पारदर्शी तंत्रों के माध्यम से कार्यान्वयन को मजबूत करती है, जिससे नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को सुगमता मिलती है।

श्रमिक-हितैषी प्रावधान (Pro-Worker Provisions)

1. फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को ग्रेच्युटी

संहिता की धारा 53 के तहत फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों (FTE) के लिए ग्रेच्युटी की पात्रता अवधि 5 वर्ष से घटाकर 1 वर्ष कर दी गई है।
1 वर्ष की निरंतर सेवा पूर्ण करने पर उन्हें अनुपातिक आधार पर ग्रेच्युटी मिलेगी।

2. गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों को शामिल करना

धारा 113 और 114 के तहत पहली बार गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ उपलब्ध कराए गए हैं।
इसके तहत “एग्रीगेटर” की परिभाषा भी शामिल की गई है।

मुख्य प्रावधान—

  • राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड का गठन

  • राज्य स्तरीय बोर्ड जो असंगठित, गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों हेतु योजनाओं की सिफारिश करेगा

  • सामाजिक सुरक्षा कोष (Social Security Fund)—केंद्र/राज्य योगदान, CSR, कंपाउंडिंग से प्राप्त राशि आदि से बनाया जाएगा

  • धारा 13—भविष्य की आवश्यकताओं हेतु अतिरिक्त कार्य भी सौंपे जा सकेंगे

3. EPFO का सार्वभौमिक कवरेज

EPF अधिनियम, 1952 को समाप्त कर दिया गया है।
अब 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठान EPFO के दायरे में आएंगे।
इससे कर्मचारी भविष्य निधि कवरेज बढ़ेगा और विवाद कम होंगे।

4. राष्ट्रीय पंजीकरण एवं यूनिक आईडी

असंगठित, गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस बनेगा।
पोर्टल पर पंजीकरण के बाद प्रत्येक श्रमिक को यूनिक आईडी मिलेगी, जो आधार सत्यापित होगी।
इससे प्रवासी श्रमिकों को देशभर में पोर्टेबिलिटी मिलेगी।

5. “वेतन” की एक समान परिभाषा

वेतन = मूल वेतन + महंगाई भत्ता + रिटेनिंग भत्ता
अन्य भत्ते 50% से अधिक होने पर अतिरिक्त राशि वेतन में जोड़ी जाएगी।
इससे ग्रेच्युटी, पेंशन आदि में लाभ बढ़ेगा।

6. “परिवार” की विस्तृत परिभाषा

अब इसमें शामिल—

  • महिला कर्मचारी की सास-ससुर (आय सीमा आधारित)

  • माता-पिता न होने पर अविवाहित नाबालिग भाई/बहन

ESIC लाभों का दायरा बढ़ा।

7. आवागमन के दौरान दुर्घटना पर मुआवज़ा

घर से कार्यस्थल के बीच यात्रा में दुर्घटना होने पर अब इसे सेवा के दौरान दुर्घटना माना जाएगा।

8. ESIC का विस्तार

ESIC अब पूरे भारत में लागू होगा।

  • 10 से कम कर्मचारियों वाले संस्थानों के लिए स्वैच्छिक विकल्प

  • ख़तरनाक कार्यों में 1 कर्मचारी होने पर भी अनिवार्य

  • प्लांटेशन श्रमिक भी शामिल

महिला-हितैषी प्रावधान (Pro-Women Provisions)

1. मातृत्व लाभ

  • 80 दिन कार्य पर उपस्थित—पात्र

  • 26 सप्ताह का अवकाश

  • गोद लेने/सरोगेसी पर 12 सप्ताह

2. वर्क-फ्रॉम-होम

मातृत्व अवकाश के बाद, कार्य की प्रकृति अनुरूप, वर्क-फ्रॉम-होम का प्रावधान।

3. सरल चिकित्सा प्रमाणन

अब प्रमाण पत्र—

  • पंजीकृत डॉक्टर

  • आशा कार्यकर्ता

  • एएनएम

  • दाई
    द्वारा जारी किया जा सकेगा।

4. मेडिकल बोनस

₹3,500—प्रि-नैटल/पोस्ट-नैटल सेवाएँ न मिलने पर देय।

5. स्तनपान अवकाश

बच्चे के 15 माह तक प्रतिदिन दो ब्रेक।

6. क्रेच सुविधा

50+ कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में अनिवार्य।

  • चार बार विजिट

  • साझा क्रेच सुविधा की अनुमति

  • क्रेच न होने पर ₹500/माह (प्रति बच्चा, अधिकतम दो)

विकास-उन्मुख प्रावधान (Pro-Growth Provisions)

1. डिजिटलीकरण

सभी रिकॉर्ड/रिटर्न इलेक्ट्रॉनिक रूप में—अनुपालन सरल, लागत कम।

2. जांच पर सीमा

PF जांच आरंभ करने की सीमा—5 वर्ष
जांच 2 वर्ष में पूरी, CPFC की अनुमति से 1 वर्ष अतिरिक्त।

3. अपील हेतु कम जमा राशि

अब केवल 25% जमा कर अपील दायर की जा सकती है (पहले 40–70%)।

4. भवन निर्माण उपकर—स्व-मूल्यांकन

उपकर संग्रह सरल व तेज़ होगा।

5. प्लांटेशन हेतु ESIC

प्लांटेशन मालिक स्वेच्छा से ESIC अपना सकेंगे।

6. अपराधमुक्तिकरण (Decriminalization)

  • उल्लंघन सुधार हेतु 30 दिन की नोटिस अवधि

  • 13 अपराधों में जेल के स्थान पर जुर्माना

  • 7 अपराध कंपाउंडेबल

7. निरीक्षक-कम-फैसिलिटेटर

धारा 72—

  • ऑनलाइन, रैंडम निरीक्षण

  • सहयोगात्मक, मार्गदर्शक दृष्टिकोण

  • इंस्पेक्टर राज में कमी

8. अपराधों का संयोजन (Compounding)

पहली बार—

  • केवल जुर्माने से निपटान

  • अधिकतम जुर्माने का 50%/75% देकर मामला सुलझाया जा सकता है

  • मुकदमों में कमी

रोज़गार-उन्मुख प्रावधान (Pro-Employment Provisions)

1. करियर सेंटर

  • पंजीकरण, मार्गदर्शन, जॉब-मैचिंग

  • डिजिटल व फिजिकल—दोनों प्लेटफॉर्म

  • नियोक्ताओं द्वारा रिक्तियों की अनिवार्य सूचना

2. फिक्स्ड-टर्म रोजगार

FTE कर्मचारियों को—

  • 1 वर्ष में ग्रेच्युटी

  • स्थायी कर्मचारियों जैसी सामाजिक सुरक्षा

3. श्रमिकों का सार्वभौमिक कवरेज

(a) गिग एवं प्लेटफ़ॉर्म श्रमिक—पहली बार मान्यता
(b) असंगठित/स्व-नियोजित श्रमिक—विशेष योजनाएँ

निष्कर्ष

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 नौ मौजूदा कानूनों को एकीकृत कर, संगठित–असंगठित सभी श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा को सुदृढ़ करती है। यह महिलाओं की भागीदारी बढ़ाती है, अनुपालन सरल बनाती है, और “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” को प्रोत्साहित करती है।
यह संहिता विकसित भारत 2047 की दिशा में समावेशी विकास और सामाजिक सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।


Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.