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केरल राज्य में ओबीसी आरक्षण की समीक्षा — धर्म के आधार पर दिए गए आरक्षण पर आयोग ने माँगा स्पष्टीकरण

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नई दिल्ली- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes – NCBC) द्वारा 09 सितम्बर, 2025 को केरल राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण की स्थिति पर समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता माननीय हंसराज अहीर, अध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने की।

बैठक में यह तथ्य सामने आया कि केरल राज्य में धर्म के आधार पर मुसलमानों को 10 प्रतिशत तथा ईसाइयों को 6 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। आयोग ने इसे मूल ओबीसी समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए गंभीर आपत्ति व्यक्त की।

आयोग के अनुसार, इस प्रकार का धार्मिक वर्गीकरण संवैधानिक और विधिक दृष्टि से अनुचित है तथा इससे मूल ओबीसी जातियों के अधिकारों और हिस्से पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

आयोग द्वारा राज्य सरकार से माँगा गया स्पष्टीकरण

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य सरकार के सचिव, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से यह स्पष्ट करने को कहा कि —

  • क्या मुसलमानों और ईसाइयों को धर्म के आधार पर ओबीसी आरक्षण प्रदान किया गया है?

  • क्या यह आरक्षण किसी सर्वेक्षण रिपोर्ट, जाँच प्रतिवेदन या न्यायालय के आदेश पर आधारित है?

  • यदि ऐसा है, तो इन आरक्षणों के लिए ठोस प्रमाण, रिपोर्ट और नीतिगत आधार प्रस्तुत किए जाएँ।

आयोग ने पाया कि राज्य सरकार के अधिकारी इस संबंध में कोई साक्ष्य या ठोस आधार प्रस्तुत करने में असमर्थ रहे।

आयोग की टिप्पणियाँ और निर्देश

आयोग ने यह भी प्रश्न किया कि क्या राज्य सरकार, सामाजिक न्याय मंत्रालय अथवा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने कभी इस आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की है और क्या सुधार की कोई प्रक्रिया चल रही है। इस पर भी राज्य सरकार के अधिकारियों ने स्पष्ट उत्तर देने में असमर्थता जताई।

इस स्थिति को देखते हुए आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि —

“धर्म आधारित ओबीसी आरक्षण के संबंध में समस्त दस्तावेज़, रिपोर्ट और नीतिगत आधार 15 दिनों के भीतर आयोग को प्रस्तुत किए जाएँ।”

आयोग ने यह भी पाया कि केरल राज्य में भर्ती प्रक्रियाओं में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत से कम है तथा शिक्षा और चिकित्सा शिक्षा में भी आरक्षण का अनुपात असमान है। इस पर आयोग ने असंतोष व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से सम्पूर्ण आरक्षण नीति, उसके आधार, और धार्मिक समुदायों के नाम पर दिए गए आरक्षणों की सूची प्रस्तुत करने को कहा।

आयोग की टिप्पणी

आयोग ने 26 सितम्बर, 2025 को प्रस्तुत किए गए केरल सरकार के दस्तावेजों की समीक्षा के बाद कहा कि —

“राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ अस्पष्ट हैं और उनमें आरक्षण के लिए निर्धारित मानकों एवं दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया है।”

आयोग ने माना कि मूल ओबीसी जातियों के आरक्षण का हिस्सा मुसलमानों और ईसाइयों को स्थानांतरित किया गया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है।

संवैधानिक प्रावधान और आयोग की भूमिका

इस गंभीर विषय पर आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि संवैधानिक आरक्षण और अन्य लाभ मूल ओबीसी जातियों के अधिकारों को प्रभावित न करें, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338(बी) के तहत समीक्षा बैठक आयोजित की।

आयोग ने स्पष्ट किया कि —

“बिना रिपोर्ट और आधार के दिया गया आरक्षण मूल ओबीसी समुदायों के अधिकारों का हनन है। आयोग का दायित्व है कि वह देशभर में ओबीसी वर्गों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करे।”

निष्कर्ष

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने केरल राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि —

  • धर्म आधारित आरक्षण की नीति पर पूर्ण स्पष्टीकरण 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाए।

  • मूल ओबीसी समुदायों के अधिकारों और हिस्से की रक्षा सुनिश्चित की जाए।

  • आरक्षण नीति को संविधान और आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुरूप संशोधित किया जाए।

आयोग ने पुनः यह दोहराया कि —

“अन्य पिछड़ा वर्गों (OBCs) का आरक्षण केवल सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया जा सकता है, न कि धर्म के आधार पर।”


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