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एनएचआरसी ने बेंगलुरु में शोकग्रस्त पिता से रिश्वत वसूली की खबर पर स्वतः संज्ञान लिया

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें बताया गया है कि कर्नाटक के बेंगलुरु में अपनी इकलौती बेटी की मृत्यु पर शोक मना रहे 64 वर्षीय पिता को हर स्तर पर — एंबुलेंस चालक, पुलिस, शवदाह गृह कर्मियों और नगर निगम अधिकारियों — को रिश्वत देनी पड़ी। 30 अक्टूबर, 2025 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, जो घटना एक श्रद्धांजलि का अवसर होनी चाहिए थी, वह भ्रष्टाचार, नौकरशाही और अमानवीयता का एक भयावह अनुभव बन गई।

आयोग ने कहा कि यदि रिपोर्ट में दिए गए तथ्य सही हैं, तो यह मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का मामला है। इसलिए आयोग ने कर्नाटक के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

रिपोर्ट के अनुसार, मृतक महिला — जो IIT मद्रास और IIM अहमदाबाद की स्नातक थीं और बेंगलुरु में कार्यरत थीं — को 18 सितंबर, 2025 को ब्रेन हेमरेज हुआ था। बेटी की मृत्यु के बाद जब पिता ने एंबुलेंस बुलाई, तो एंबुलेंस चालक ने कथित रूप से अत्यधिक शुल्क वसूला। पुलिस को मृत्यु की सूचना देने पर न केवल सहानुभूति की कमी दिखाई दी, बल्कि प्राथमिकी (FIR) और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रतियां भी रिश्वत देने के बाद ही सौंपी गईं।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मृतका के परिवार ने अंतिम संस्कार से पहले उसकी आंखें दान कीं। किंतु शवदाह गृह में भी धन की मांग की गई, जिसे पिता को देना पड़ा। वहीं, महादेवपुरा नगर निगम से मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने में भी काफी देरी हुई। वरिष्ठ अधिकारी के हस्तक्षेप के बावजूद प्रमाण पत्र तभी जारी किया गया जब पिता ने रिश्वत का भुगतान किया।

आयोग ने इस पूरी घटना को मानव गरिमा और सरकारी जवाबदेही के खिलाफ बताया है और राज्य प्रशासन से सख्त कार्रवाई की अपेक्षा की है।

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