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चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 : राष्ट्रीय सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और भविष्य की सैन्य तैयारी पर गहन विमर्श

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चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 आज नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आरंभ हुआ, जिसमें सैन्य नेतृत्व, वैश्विक रणनीतिक विशेषज्ञ, राजनयिक, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और युवा शोधकर्ता शामिल हुए। उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाई भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने, जबकि सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मुख्य भाषण दिया।

यह संवाद भारतीय सेना और सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज़ के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है, जिसका मुख्य केन्द्र "सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत" की राष्ट्रीय दृष्टि है। इसमें भारत की सुरक्षा चुनौतियों, तकनीकी क्षमताओं और बदलते वैश्विक वातावरण का विश्लेषण किया जा रहा है।

राष्ट्रपति का संबोधन

माननीय राष्ट्रपति ने भारतीय सेना की राष्ट्रीय सुरक्षा में भूमिका और सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिरोध क्षमता नैतिक स्पष्टता और जिम्मेदार व्यवहार पर आधारित है, जो "वसुधैव कुटुंबकम्" की सभ्यतागत सोच को दर्शाती है।

उन्होंने साइबर, स्पेस और कॉग्निटिव वॉरफेयर जैसे नए क्षेत्रों में तकनीकी रूप से सक्षम और भविष्य के लिए तैयार सैन्य बलों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सेना द्वारा किए जा रहे सुधारों, आधुनिकीकरण और युवाओं एवं महिलाओं के लिए बढ़ते अवसरों की भी प्रशंसा की।

सेना प्रमुख का वक्तव्य

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि 2023 से प्रारंभ हुआ यह संवाद अब एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में विकसित हो चुका है। उन्होंने बताया कि वैश्विक परिदृश्य बहुध्रुवीय और अस्थिर होता जा रहा है, ऐसे में भारतीय सेना को निर्णायक और भविष्य के अनुरूप बने रहना होगा।

उन्होंने प्रधानमंत्री के 5S दृष्टिकोण—सम्मान, संवाद, सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा—का उल्लेख करते हुए सेना की परिवर्तन यात्रा के तीन चरण बताए:

  • HOP 2032 – त्वरित परिवर्तन

  • STEP 2037 – संरचनात्मक मजबूती

  • JUMP 2047 – एकीकृत, नेक्स्ट-जनरेशन फोर्स डिज़ाइन

उन्होंने चार मुख्य प्रेरक तत्वों की पहचान की—आत्मनिर्भरता, तेज तकनीकी नवाचार, रक्षा संरचनाओं का अनुकूलन, और सैन्य–उद्योग–अकादमिक साझेदारी।

रक्षा सचिव का वक्तव्य

राजेश कुमार सिंह ने कहा कि 2025 को रक्षा मंत्रालय ने "वर्ष 2025–रक्षा सुधारों का वर्ष” घोषित किया है। उन्होंने बताया कि पूंजीगत खरीद का 75% बजट अब घरेलू उद्योग के लिए आरक्षित है, जिससे रक्षा उत्पादन, नवाचार और निर्यात में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है।

नीति आयोग के CEO का संबोधन

बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत को वैश्विक जनसांख्यिकीय, आर्थिक, तकनीकी और जलवायु परिवर्तनों के बीच रणनीतिक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। उन्होंने भारत की युवा जनसंख्या, मजबूत संस्थाओं और आत्मनिर्भर तकनीक को भविष्य के लिए निर्णायक बताया।

तकनीकी श्रेष्ठता पर प्रो. के. विजय राघवन के विचार

उन्होंने तीन-चरणीय तकनीकी निवेश मॉडल पर जोर दिया:

  • 0–3 वर्ष: स्टार्टअप, अकादमिक शोध और AI आधारित अपग्रेड के माध्यम से त्वरित क्षमता

  • 3–10 वर्ष: मूल्य श्रृंखलाओं पर नियंत्रण और निजी क्षेत्र को बढ़ावा

  • 10–30 वर्ष: मूल विज्ञान, बायोटेक, सामग्री विज्ञान और कॉग्निटिव वॉरफेयर में साहसिक निवेश

उन्होंने रक्षा तकनीकी परिषद गठन का सुझाव दिया।

पहले दिन की प्रमुख थीमैटिक सत्र

  1. ऑपरेशन सिंदूर: ए सोवरेन स्ट्रैटेजिक विक्ट्री

  2. बदलती स्थिति: रक्षा सुधारों की अनिवार्यता

  3. सिविल-मिलिट्री फ्यूज़न: परिवर्तन के प्रमुख चालक

सीडीएस जनरल अनिल चौहान का विशेष संबोधन

उन्होंने कहा कि तकनीक ने भूगोल की सीमाओं को अप्रासंगिक बना दिया है और युद्ध का स्वरूप बदल रहा है। AI, हाइपरसोनिक्स, रोबोटिक्स और सेंसर-आधारित युद्धक्षेत्र नई रणनीतिक वास्तविकताएँ हैं। उन्होंने मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस के लिए नई सैन्य सोच की आवश्यकता पर बल दिया।

दूसरा दिन

दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण होगा रक्षा मंत्री का विशेष सत्र, जिसमें वे भारत की रक्षा सुधार यात्रा से संबंधित महत्वपूर्ण पहलें जारी करेंगे।

निष्कर्ष

दो दिवसीय चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 भारत की सुरक्षा संरचना, आत्मनिर्भरता, तकनीकी श्रेष्ठता और सैन्य आधुनिकीकरण का व्यापक खाका प्रस्तुत करेगा। यह भारतीय सेना की "सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत" के निर्माण में निर्णायक भूमिका को मजबूत करता है।

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