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ESTIC 2025 में ‘डिजिटल संचार’ सत्र का नेतृत्व करते हुए दूरसंचार सचिव डॉ. नीरेज मित्तल ने किया भारत की 6G दृष्टि पर बल

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दूरसंचार विभाग (DoT) ने 3 से 5 नवम्बर, 2025 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित उभरती विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार संगोष्ठी (ESTIC) 2025 में भाग लिया। प्रमुख आयोजकों में से एक के रूप में, दूरसंचार विभाग ने 5 नवम्बर 2025 को ‘डिजिटल संचार (Digital Communication)’ विषय पर एक थीम आधारित सत्र का नेतृत्व किया।

इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. neeraj मित्तल, सचिव (दूरसंचार) एवं अध्यक्ष, डिजिटल कम्युनिकेशन्स कमीशन ने की। इसमें भारत के दूरसंचार एवं डिजिटल नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़े प्रमुख शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सत्र में अशोक कुमार, उप महानिदेशक, दूरसंचार विभाग एवं उपाध्यक्ष, IEG, WTPF, ITU भी उपस्थित रहे।

अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. neeraj मित्तल ने कहा कि “टेलीकॉम केवल अर्थव्यवस्था का ही नहीं, बल्कि उन सभी प्रौद्योगिकियों का भी सक्षम माध्यम बन गया है जो विभिन्न क्षेत्रों में विकसित हो रही हैं।” उन्होंने कनेक्टिविटी की परिवर्तनकारी शक्ति और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के तीव्र विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “यह क्षेत्र हम सभी के लिए असंभव को संभव बनाने का नया अवसर लेकर आया है।”

डॉ. मित्तल ने कहा कि कनेक्टिविटी सभी उत्पादक गतिविधियों की आधारशिला है, और भारत की दूरसंचार क्रांति का सीधा प्रभाव राष्ट्रीय आर्थिक वृद्धि पर पड़ा है। उन्होंने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री जी के दृष्टिकोण के अनुरूप भारत ने विश्व के सबसे तेज़ 5G रोलआउट्स में से एक को पूरा किया है, तथा देशभर में 100 5G लैब्स स्थापित की गई हैं, जो उपयोग मामलों (use cases) के विकास और 6G प्रौद्योगिकियों में वैश्विक नेतृत्व के लिए राष्ट्र को तैयार कर रही हैं।

सचिव (दूरसंचार) ने बताया कि सरकार की अगली पीढ़ी की संचार तकनीक के प्रति रणनीति बहुआयामी है — जो अनुसंधान एवं विकास को समर्थन देती है, घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करती है, और अकादमिक जगत, उद्योग और सरकार के बीच मजबूत पुल बनाती है। उन्होंने जानकारी दी कि वर्तमान में 6G से संबंधित 100 से अधिक अनुसंधान परियोजनाओं को समर्थन दिया जा रहा है, जिनमें Open RAN, स्वदेशी चिपसेट्स, AI आधारित बुद्धिमान नेटवर्क, और रेगुलेटरी सैंडबॉक्स जैसी नवाचार पहलों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

डॉ. मित्तल ने भारत 6G एलायंस (Bharat 6G Alliance) का भी उल्लेख किया — जो प्रधानमंत्री जी की दृष्टि से प्रेरित एक अग्रणी पहल है। इसने अब तक 10 अंतरराष्ट्रीय 6G संस्थाओं के साथ सहयोग समझौते किए हैं और इसका लक्ष्य है कि 2030 तक विश्व के कुल 6G पेटेंट्स में भारत का योगदान 10% हो।

सत्र में “भारत के लिए 6G दृष्टि को साकार कैसे करें” विषय पर मुख्य वक्तव्य प्रो. किरण कुमार कुचि (विभागाध्यक्ष, विद्युत अभियांत्रिकी, IIT हैदराबाद एवं संस्थापक, WiSig Networks) ने दिया। अन्य वक्ताओं में रामु श्रीनिवासैया (संस्थापक एवं निदेशक, लेखा वायरलेस सॉल्यूशंस, बेंगलुरु) जिन्होंने “प्राइवेट नेटवर्क्स का नया रूप: 6G नेटवर्क डिज़ाइन में ORAN की भूमिका” पर बात की, और डॉ. कुमार एन. शिवराजन (सह-संस्थापक एवं सीटीओ, तेजस नेटवर्क्स, बेंगलुरु) जिन्होंने “2030 तक भारत को वैश्विक दूरसंचार क्षेत्र में अग्रणी बनाना” विषय पर विचार साझा किए।

एक पैनल चर्चा “स्वदेशी तकनीकों को अगले स्तर तक ले जाना” विषय पर आयोजित की गई, जिसका संचालन डॉ. राजकुमार उपाध्याय, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सी-डॉट (C-DOT) ने किया। इसमें प्रो. राधाकृष्णा गंती (IIT मद्रास), प्रो. पंगनमला विजय कुमार (IISc बेंगलुरु),ए. रॉबर्ट जेरार्ड रवि (अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, BSNL) और डॉ. पराग नाइक (मुख्य वैज्ञानिक, तेजस नेटवर्क्स, एवं पूर्व सीईओ, सांख्य लैब्स) ने भाग लिया।

पैनल में भारत में 5G पारिस्थितिकी तंत्र के विस्तार, NavIC L1 सिग्नल के माध्यम से स्वदेशी PNT (Positioning, Navigation & Timing) के विकास, तथा D2M से लेकर 6G तक के विघटनकारी प्रौद्योगिकी स्टैक्स के निर्माण पर चर्चा की गई।

ESTIC 2025, जिसका विषय था “विकसित भारत 2047 – सतत नवाचार, प्रौद्योगिकी उन्नति और सशक्तिकरण का मार्ग”, का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 नवम्बर 2025 को किया। यह आयोजन भारत सरकार के 13 मंत्रालयों एवं विभागों द्वारा प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के मार्गदर्शन में संयुक्त रूप से किया गया। इस संगोष्ठी में 3000 से अधिक प्रतिभागियों — शिक्षाविदों, अनुसंधान संस्थानों, उद्योग, सरकार, नोबेल पुरस्कार विजेताओं, वैज्ञानिकों, नवाचारकर्ताओं और नीति निर्माताओं — ने भाग लिया।

चर्चा का केंद्र 11 प्रमुख क्षेत्र रहे, जिनमें उन्नत सामग्री एवं विनिर्माण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव-उत्पादन (Bio-Manufacturing), ब्लू इकॉनमी, डिजिटल कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सेमीकंडक्टर निर्माण, उभरती कृषि तकनीकें, ऊर्जा, पर्यावरण एवं जलवायु, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा प्रौद्योगिकी, क्वांटम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, और अंतरिक्ष तकनीकें शामिल हैं।

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