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नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव समीर कुमार सिन्हा ने एशिया पैसिफिक एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ग्रुप (APAC-AIG) बैठक एवं कार्यशाला का किया उद्घाटन

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नई दिल्ली-नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव समीर कुमार सिन्हा ने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित चार दिवसीय एशिया पैसिफिक एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ग्रुप (APAC-AIG) बैठक एवं कार्यशाला (28 से 31 अक्टूबर 2025) का उद्घाटन किया। उद्घाटन सत्र में नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एएआईबी (AAIB) भारत, डीजीसीए (DGCA) भारत, आईसीएओ (ICAO) एपीएसी क्षेत्रीय कार्यालय तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न देशों से आए विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

एएआईबी के महानिदेशक जी. वी. जी. युगंधर ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि भारत का एएआईबी, आईसीएओ की सुरक्षा पहलों (Safety Initiatives) में सक्रिय भागीदारी निभा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत ने आईसीएओ की 42वीं महासभा में “कंट्रोल्ड फ्लाइट इन्टू टेरेन (CFIT) दुर्घटनाओं की रोकथाम” पर सूचना पत्र प्रस्तुत किया था। उन्होंने दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु सुरक्षा अनुशंसाओं के समयबद्ध कार्यान्वयन के महत्व पर भी जोर दिया और सिंगापुर एयरलाइंस की क्लियर एयर टर्बुलेंस जांच में भागीदारी का उल्लेख किया।

युगंधर ने विश्वभर में दुर्घटनाओं की संख्या घटाने के लिए गहन जांच और ठोस अनुशंसाओं की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सदस्य देशों को भारत की एविएशन प्रयोगशालाओं की सुविधाओं का उपयोग दोष जांच (Defect Investigation) के लिए करने का निमंत्रण दिया।
उन्होंने विदेशी प्रतिनिधियों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और योग आधारित जीवनशैली का अनुभव करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर सभी प्रतिनिधियों को आयुष मंत्रालय द्वारा विकसित “वाई-ब्रेक” और नियमित योग मोबाइल ऐप की पुस्तक भेंट की गई। सभी प्रतिनिधियों के लिए 29 अक्टूबर 2025 को अक्षरधाम मंदिर, नई दिल्ली का भ्रमण कार्यक्रम भी निर्धारित किया गया है।

आईसीएओ एपीएसी-एआईजी के चेयरमैन स्टुअर्ट गॉडली और सचिव अनम ने भी प्रतिनिधियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह बैठक दुर्घटना/घटना जांच प्राधिकरणों के बीच विशेषज्ञता, अनुभव और जानकारी के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगी और एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में दुर्घटना जांच क्षमता को सशक्त बनाने में सहयोग करेगी। उन्होंने सुरक्षा अनुशंसाओं के कार्यान्वयन के महत्व को दोहराया और इस आयोजन की मेजबानी के लिए भारत सरकार एवं एएआईबी, भारत का धन्यवाद किया।

अपने संबोधन में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव समीर कुमार सिन्हा ने बताया कि भारत ने आईसीएओ एनैक्स-13 के मानकों को अपनाते हुए एयरक्राफ्ट (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जांच) नियम, 2017 के अंतर्गत विमान दुर्घटना जांच प्रणाली लागू की है।

उन्होंने भारतीय विमानन क्षेत्र में क्षमता निर्माण (Capacity Building) की योजनाओं की जानकारी दी, जिनमें शामिल हैं —

  • जेवर में राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा केंद्र (National Aviation Safety Center) की स्थापना,

  • राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय (RGNAU) में USOAP ऑडिटर्स कोर्स की शुरुआत,

  • भारतीय वायुवन अधिनियम 2024 के अंतर्गत DGCA और AAIB को सुदृढ़ बनाना,

  • इन संगठनों में अधिकारियों की संख्या दोगुनी करने की योजना।
    उन्होंने आईसीएओ ऑडिट्स में डीजीसीए और एएआईबी के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की और वैश्विक व क्षेत्रीय सुरक्षा प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किनजारप्पु राममोहन नायडू का संदेश जी. वी. जी. युगंधर द्वारा पढ़ा गया। उन्होंने कहा कि यह वर्ष का सम्मेलन विशेष है क्योंकि यह पहली बार भारत में आयोजित किया जा रहा है और भारत इस 13वें APAC-AIG सम्मेलन की मेजबानी करके गौरवान्वित है।
उन्होंने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र ने सुरक्षा निगरानी और दुर्घटना रोकथाम में सदस्य देशों के सहयोगात्मक प्रयासों से लगातार वैश्विक मानक स्थापित किए हैं।

मंत्री ने उल्लेख किया कि इस क्षेत्र की दुर्घटना दर पिछले दशक में वैश्विक औसत से कम रही है, जो सभी हितधारकों की प्रतिबद्धता और पेशेवर उत्कृष्टता को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि भारत ने आईसीएओ SARPS के प्रभावी कार्यान्वयन (Effective Implementation) में उल्लेखनीय प्रगति की है — भारत का स्कोर अब 85% तक पहुँच गया है, जो 2018 में 70% था। इसके साथ भारत की वैश्विक रैंकिंग 112 से बढ़कर 55 हो गई है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का विमानन क्षेत्र, जो अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे तेज़ी से विकसित होने वाला क्षेत्र है, असाधारण विकास पथ पर अग्रसर है।
भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2047 तक 350 से 400 हवाईअड्डों की स्थापना का है, जो विकास, अवसर और कनेक्टिविटी का प्रतीक है, साथ ही यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी कि वायु सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहे।

सत्र का समापन एएआईबी के निदेशक रमेश बाबू के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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