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नीति आयोग ने हिमालयी क्षेत्रों में हर मौसम में नल से जल आपूर्ति पर आयोजित किया मंथन सत्र, संकलन किया जारी

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नई दिल्ली- नीति आयोग ने आज हिमालय के ऊँचे क्षेत्रों में हर मौसम में नल से जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक मंथन सत्र (Brainstorming Session) का आयोजन किया और इस विषय पर एक संकलन (Compendium) जारी किया।

इस सत्र में जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, हिमालयी राज्य लद्दाख और हिमाचल प्रदेश, आईआईटी मंडी जैसे शैक्षणिक संस्थानों तथा विभिन्न राज्यों में कार्यरत जमीनी संगठनों के विशेषज्ञों ने भाग लिया।

सत्र के दौरान विशेषज्ञों ने जल सुरक्षा को सुदृढ़ करने और समुदायों की आजीविका में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए। चर्चाओं में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि केंद्र और राज्य सरकारों के हस्तक्षेपों में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। इससे संपत्तियों पर समुदाय की स्वामित्व भावना बढ़ेगी और जल संसाधनों की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

विशेषज्ञों ने भूगोल, कठोर मौसम, कार्यान्वयन की चुनौतियाँ, तकनीक के उपयोग और डेटा विश्लेषण जैसी बाधाओं से निपटने के उपायों पर भी चर्चा की। उन्होंने सतत कृषि मॉडल, कृषि-वनीकरण (Agro-Forestry), झरनों का पुनर्जीवन, ड्रिप आधारित जल आपूर्ति प्रणालियाँ और नवीन अभियांत्रिकी सामग्री के उपयोग जैसी पहलें अपनाने की सिफारिश की।

सत्र में यह भी बताया गया कि स्थानीय समुदायों की क्षमता निर्माण (Capacity Building) से उनकी सतत भागीदारी सुनिश्चित हुई है। साथ ही, समुदाय के सदस्यों के कौशल की औपचारिक मान्यता (Formal Skill Recognition) की आवश्यकता पर बल दिया गया ताकि उन्हें बेहतर रोजगार और आजीविका के अवसर प्राप्त हो सकें।

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि झरनों पर एक “Centre of Excellence” स्थापित किया जाए, जिससे सभी हितधारक एक मंच पर आकर झरनों के पुनर्जीवन और दीर्घकालिक स्थायित्व के लिए मिलकर कार्य कर सकें।

जारी किया गया संकलन (Compendium) हिमालयी राज्यों के नवाचारों, सफल अनुभवों और केस स्टडीज़ को प्रस्तुत करता है, जो दर्शाता है कि प्रौद्योगिकी, सामुदायिक भागीदारी और नीतिगत एकीकरण के माध्यम से कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी सतत जल आपूर्ति संभव है।


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