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जकार्ता में आयोजित डब्ल्यूएचओ–आईआरसीएच की 16वीं वार्षिक बैठक में भारत की महत्वपूर्ण भागीदारी

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जकार्ता (इंडोनेशिया)- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अंतरराष्ट्रीय औषधीय सहयोग परिषद – हर्बल मेडिसिन्स (IRCH) की 16वीं वार्षिक बैठक जकार्ता, इंडोनेशिया में आयोजित की जा रही है। इस बैठक में विश्वभर के नियामक प्राधिकरणों और विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य हर्बल औषधियों के नियमन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सामंजस्य को सुदृढ़ करना है।

भारत ने इस बैठक में उल्लेखनीय योगदान दिया। भारत का प्रतिनिधिमंडल डॉ. रघु अरक्कल, सलाहकार (आयुर्वेद) एवं उप महानिदेशक (कार्यवाह), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के नेतृत्व में सम्मिलित हुआ। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कार्यक्रम के दूसरे दिन आयोजित तकनीकी सत्रों में सक्रिय भूमिका निभाई।

डॉ. रघु अरक्कल ने “हर्बल औषधियों की प्रभावकारिता और निर्धारित उपयोग (वर्किंग ग्रुप–3)” पर कार्यशाला रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने भारत की विकसित हो रही नियामक रूपरेखा और पारंपरिक चिकित्सा में साक्ष्य-आधारित नीति पहलों पर प्रकाश डाला।

डॉ. रमन मोहन सिंह, निदेशक, भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी औषध संहिता आयोग (PCIM&H) ने “हर्बल औषधियों की सुरक्षा और नियमन (वर्किंग ग्रुप–1)” पर कार्यशाला रिपोर्ट प्रस्तुत की और “हर्बल औषधियों की सुरक्षा और नियमन – भारतीय परिप्रेक्ष्य” विषय पर अलग प्रस्तुति दी।

ये दोनों कार्यशालाएँ विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से, PCIM&H के सहयोग से आयोजित की गई थीं। ये कार्यशालाएँ 6 से 8 अगस्त 2025 के बीच गाज़ियाबाद, भारत में हुईं और जकार्ता में हो रही WHO–IRCH बैठक की तैयारी में प्रमुख योगदान साबित हुईं।

इसके अतिरिक्त, डॉ. महेश दाधीच, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय औषधीय पौध बोर्ड (NMPB) ने डॉ. सिंह के साथ “हर्बल औषधियों की गुणवत्ता नियंत्रण, मानकीकरण और स्थिरता” विषय पर सत्र सह-प्रस्तुत किया। डॉ. दाधीच ने औषधीय पौधों के सतत उपयोग और गुणवत्ता नियंत्रण व मानकीकरण सुनिश्चित करने हेतु अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर भी विचार साझा किए।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल के व्यापक योगदान ने हर्बल औषधियों की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता के वैश्विक मानकों के निर्माण में भारत की अग्रणी भूमिका को पुनः स्थापित किया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय नियामक संस्थाओं के साथ सक्रिय सहयोग के माध्यम से, भारत पारंपरिक चिकित्सा और प्राकृतिक उत्पाद आधारित स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में वैज्ञानिक और समन्वित नियमन को प्रोत्साहित करता रहेगा।

भारत की भागीदारी यह दर्शाती है कि वह हर्बल औषधियों के नियमन में वैश्विक सहयोग को सुदृढ़ करने और अंतरराष्ट्रीय मानकों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।


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