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जैव विविधता संरक्षण में ऐतिहासिक पहल: रेड सैंडर्स की खेती करने वाले किसानों को लाभांश वितरण

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भारत की जैविक संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देने हेतु "एक्सेस एंड बेनिफिट शेयरिंग (ABS)" ढाँचे के अंतर्गत, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) ने तमिलनाडु राज्य जैव विविधता बोर्ड के माध्यम से रेड सैंडर्स (Pterocarpus santalinus) की खेती करने वाले 18 किसानों/कृषकों को ₹55 लाख की राशि जारी की है। ये किसान तिरुवल्लुर ज़िले के 8 गाँवों — कननभिरन नगर, कोथूर, वेम्बेडु, सिरुनियम, गुनीपलयम, अम्मंबक्कम, आलिकुझी और थिम्मबूपोलापुरम — से संबंधित हैं।

यह किसानों/कृषकों को लाभांश प्रदान करने की अपनी तरह की पहली पहल है, जो समावेशी जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह पहल एनबीए द्वारा पूर्व में आंध्र प्रदेश वन विभाग, कर्नाटक वन विभाग और आंध्र प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड को रेड सैंडर्स के संरक्षण एवं सुरक्षा के लिए ₹48 करोड़ के लाभांश वितरण पर आधारित है।

पृष्ठभूमि और नीति विकास

यह पहल राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2015 में गठित “रेड सैंडर्स पर विशेषज्ञ समिति” की सिफारिशों से प्रेरित है। इस समिति ने एक व्यापक रिपोर्ट तैयार की थी —

“रेड सैंडर्स के उपयोग से उत्पन्न लाभों के संरक्षण, सतत उपयोग और न्यायसंगत व समान साझेदारी हेतु नीति”।

समिति की सिफारिशों के परिणामस्वरूप, विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने वर्ष 2019 में नीति में संशोधन करते हुए खेती से प्राप्त रेड सैंडर्स के निर्यात की अनुमति दी थी। यह कदम खेती-आधारित संरक्षण और व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध हुआ है।

रेड सैंडर्स का महत्व

रेड सैंडर्स, जो मुख्यतः पूर्वी घाटों में पाया जाने वाला एक स्थानिक (endemic) वृक्ष प्रजाति है, आंध्र प्रदेश में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है तथा तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा और अन्य राज्यों में इसकी खेती की जाती है।

इस प्रजाति का पारिस्थितिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत विशिष्ट है। खेती के माध्यम से रेड सैंडर्स के उत्पादन को प्रोत्साहित करने से न केवल किसानों की आजीविका को सशक्त समर्थन मिलता है, बल्कि कानूनी रूप से प्राप्त और सतत रूप से उत्पादित रेड सैंडर्स के माध्यम से बाज़ार की बढ़ती माँग को पूरा किया जा सकता है, जिससे वन्य आबादी पर दबाव कम होता है।

समुदाय आधारित संरक्षण का सशक्त मॉडल

यह लाभांश-साझेदारी मॉडल (Benefit Sharing Model) समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित करता है और सुनिश्चित करता है कि जैव विविधता की रक्षा करने वाले व्यक्तियों और समुदायों को उचित आर्थिक लाभ प्राप्त हो।

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) संरक्षण को आजीविका से जोड़ने, समुदाय-आधारित संरक्षण को सशक्त करने, और जैव विविधता के संरक्षकों को उनका उचित अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है — ताकि भारत की इस महत्त्वपूर्ण और स्थानिक वृक्ष प्रजाति (Red Sanders) को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखा जा सके।


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