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वृद्धावस्था की ओर बढ़ता भारत: नीतिगत प्रयास और भविष्य की दिशा

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परिचय

भारत तीव्र जनसांख्यिकीय परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 2011 में 10 करोड़ से बढ़कर 2036 तक 23 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। इसका अर्थ है कि 2036 तक हर सातवें भारतीय की आयु 60 वर्ष या उससे अधिक होगी। यह परिवर्तन देश की जनसंख्या संरचना में एक मौलिक बदलाव को दर्शाता है। इस पृष्ठभूमि में, भारत ने घटती प्रजनन दर और बढ़ती आयु-आशा से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने हेतु अनेक नीतियाँ, कार्यक्रम और कानूनी प्रावधान अपनाए हैं।

वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकताओं को संबोधित करने का महत्व

बेहतर पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं के कारण भारत में लोग अब अधिक समय तक जीवित रह रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही उम्र बढ़ने से जुड़ी नई चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह पेंशन, उपयुक्त आवास और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच को प्राथमिकता दे, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वरिष्ठ नागरिकों और विधवाओं के लिए।

परिवार और समुदाय-आधारित सहयोग की दिशा में, आर्थिक सुरक्षा, डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण, दीर्घकालिक देखभाल बीमा, डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, सहायक प्रौद्योगिकियाँ और सहभागिता मंच विकसित करना आवश्यक है, ताकि बुजुर्गों को भारत की उभरती “सिल्वर इकोनॉमी” (Silver Economy) में समाहित किया जा सके — यानी ऐसी अर्थव्यवस्था जो 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की आवश्यकताओं पर केंद्रित है। इससे बुजुर्गों को विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुभव और विशेषज्ञता से योगदान करने के अवसर भी मिलते हैं।

जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियाँ

तकनीकी समूह द्वारा जुलाई 2020 में प्रकाशित "भारत और राज्यों के लिए जनसंख्या प्रक्षेपण रिपोर्ट" के अनुसार, 2036 तक भारत की वरिष्ठ नागरिक आबादी 23 करोड़ तक पहुँच जाएगी। यह एक गहन सामाजिक परिवर्तन का संकेत है। देशभर में जनसंख्या वृद्धावस्था की गति समान नहीं है।

दक्षिणी राज्य जैसे केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश पहले से ही अधिक बुजुर्ग जनसंख्या वाले राज्य हैं। केरल में 2011 में बुजुर्गों की जनसंख्या 13% थी, जो 2036 तक 23% तक पहुँचने का अनुमान है। इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बुजुर्गों की संख्या अपेक्षाकृत कम है — 2011 में 7% से बढ़कर 2036 में 12% होने की संभावना है।

2021 की लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी ऑफ इंडिया (LASI) के अनुसार, भारत की 12% आबादी बुजुर्ग है, जो 2050 तक 31.9 करोड़ तक पहुँचने की संभावना है। बुजुर्गों में प्रति 1000 पुरुषों पर 1065 महिलाएँ हैं, और इनमें से 54% विधवाएँ हैं। कुल आश्रित अनुपात 62 प्रति 100 कार्यशील व्यक्ति है, जिससे वृद्धावस्था के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव स्पष्ट होते हैं।

वरिष्ठ नागरिकों के सामने आने वाली चुनौतियाँ

भारत के बुजुर्ग अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं:

  • स्वास्थ्य संबंधी: मानसिक स्वास्थ्य, डिमेंशिया, अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियाँ, अपर्याप्त जेरियाट्रिक इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रामीण-शहरी असमानता।

  • आर्थिक: सीमित पेंशन व सामाजिक सुरक्षा, बढ़ते स्वास्थ्य व्यय, सीमित वित्तीय संसाधन।

  • सामाजिक: पारिवारिक ढांचे का कमजोर होना, अकेलापन, उपेक्षा, सामाजिक अलगाव।

  • डिजिटल खाई: तकनीक अपनाने में कठिनाई, प्रशिक्षण की कमी।

  • भौतिक अवसंरचना: सार्वजनिक स्थानों और परिवहन में वरिष्ठ नागरिकों हेतु रैम्प, रेलिंग, सुलभ शौचालयों की कमी।

भारत सरकार की पहलें

वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) नोडल मंत्रालय है। यह विभिन्न मंत्रालयों, राज्य सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों व निजी क्षेत्र के सहयोग से अनेक योजनाएँ संचालित करता है। प्रमुख योजनाएँ निम्नलिखित हैं:

1. अटल पेंशन योजना (APY)

2015 में शुरू की गई यह योजना 18–40 वर्ष के नागरिकों के लिए है। इसमें 60 वर्ष की आयु के बाद ₹1,000 से ₹5,000 तक की मासिक पेंशन की गारंटी दी जाती है। अक्टूबर 2025 तक इसमें 8.27 करोड़ से अधिक सदस्य शामिल हैं।

2. अटल वयो अभ्युदय योजना (AVYAY)

यह योजना वरिष्ठ नागरिकों के समग्र विकास और सामाजिक समावेशन हेतु बनाई गई है, जिसमें वृद्धाश्रम, मोबाइल चिकित्सा इकाइयाँ, फिजियोथेरेपी केंद्र आदि शामिल हैं।

3. राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY)

2017 में प्रारंभ, यह योजना गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले बुजुर्गों को चलने-फिरने और सुनने-संबंधी सहायक उपकरण निःशुल्क प्रदान करती है।

4. एल्डरलाइन हेल्पलाइन (14567)

देशभर में वरिष्ठ नागरिकों के लिए शिकायत और सहायता हेतु समर्पित हेल्पलाइन।

5. SAGE (Seniorcare Ageing Growth Engine) पोर्टल

यह पोर्टल बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी नवीन स्टार्ट-अप कंपनियों को प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

6. SACRED पोर्टल

60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों के पुनः रोजगार हेतु डिजिटल मंच।

7. जेरियाट्रिक केयरगिवर प्रशिक्षण कार्यक्रम

देशभर में प्रशिक्षित देखभालकर्ताओं को तैयार करने की पहल — 2023-24 में 36,785 प्रशिक्षित केयरगिवर तैयार किए गए।

8. आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY)

2024 में इसका विस्तार करते हुए 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को ₹5 लाख वार्षिक निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया गया।

9. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS)

60–79 वर्ष की आयु के लिए ₹200 प्रति माह और 80+ आयु वर्ग के लिए ₹500 प्रति माह पेंशन दी जाती है।

10. राष्ट्रीय वृद्ध स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम (NPHCE)

देश के सभी जिलों में जेरियाट्रिक वार्ड, ओपीडी और फिजियोथेरेपी सेवाओं के माध्यम से बुजुर्गों की सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करता है।

परिवार और समुदाय की भूमिका

परिवार वरिष्ठ नागरिकों का प्राथमिक सहारा है, लेकिन नगरीकरण और प्रवास के कारण पारिवारिक समर्थन कमजोर हुआ है।
इस समस्या के समाधान हेतु “माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007” लागू किया गया, जिसमें संतान और उत्तराधिकारी पर अपने माता-पिता के भरण-पोषण का कानूनी दायित्व निर्धारित किया गया है।

2019 के संशोधन विधेयक ने इस अधिनियम को और सशक्त बनाया — इसमें बच्चों की परिभाषा का विस्तार, ₹10,000 की सीमा का उन्मूलन, वरिष्ठ नागरिकों के "गरिमापूर्ण जीवन" का अधिकार, और प्रत्येक पुलिस स्टेशन में वरिष्ठ नागरिक नोडल अधिकारी की नियुक्ति जैसे प्रावधान शामिल हैं।

प्रौद्योगिकी की भूमिका

टेलीमेडिसिन (e-Sanjeevani), वियरेबल डिवाइसेज़, स्मार्ट होम तकनीक, ऑनलाइन दवा सेवाएँ आदि ने बुजुर्गों के जीवन को अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया है। इससे स्वास्थ्य निगरानी, आपातकालीन प्रतिक्रिया, और मानसिक कल्याण में सुधार हो रहा है।

अंतरपीढ़ी संबंध और आवास

2019 में जारी सेवानिवृत्ति गृहों के विकास और विनियमन हेतु मॉडल दिशा-निर्देश आयु-अनुकूल आवास को प्रोत्साहित करते हैं।
2025 में नैतिक पाटम (NAITIK PATAM) नामक पारिवारिक खेल लॉन्च किया गया ताकि बच्चों में बड़ों के प्रति सम्मान और पारिवारिक जुड़ाव को बढ़ावा दिया जा सके।

निष्कर्ष

भारत की “सिल्वर इकोनॉमी” का मूल्य 2024 में लगभग ₹73,000 करोड़ आँका गया है और इसमें आने वाले वर्षों में कई गुना वृद्धि की संभावना है। यह क्षेत्र स्वास्थ्य, कल्याण, और वरिष्ठ देखभाल से जुड़े उद्योगों के लिए अपार अवसर प्रदान करता है।

एक समग्र वरिष्ठ नागरिक देखभाल प्रणाली के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, एनजीओ, पंचायतों और शहरी निकायों के बीच समन्वित प्रयास आवश्यक हैं। वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकताओं को नीतिगत प्राथमिकता देते हुए, नियामक सुधार, मानक निर्धारण, और परिणाम-आधारित ढांचा विकसित करना समय की मांग है, जिससे भारत एक “गरिमामय वृद्ध समाज” का निर्माण कर सके।


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