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चंद्रयान से चाँद तक – भारत का स्पेस मिशन अब होगा और बड़ा!

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2033 तक भारत की स्पेस इकॉनमी होगी 44 अरब डॉलर की, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया – निजी भागीदारी से अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से बढ़त

नई दिल्ली- भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में जबरदस्त उछाल लेने जा रही है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की स्पेस इकॉनमी 2033 तक करीब 44 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगी, जो 2022 के 8.4 अरब डॉलर से लगभग पाँच गुना वृद्धि होगी।

उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा किए गए ऐतिहासिक सुधारों और निजी क्षेत्र की भागीदारी ने भारत को एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभरने का मौका दिया है।

🚀 निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स ने बढ़ाई रफ्तार

डॉ. सिंह ने कहा कि IN-SPACe और New Space India Limited (NSIL) जैसी संस्थाओं की स्थापना से सरकारी एकाधिकार खत्म हुआ और निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रवेश का अवसर मिला।
इसके परिणामस्वरूप, पिछले पाँच वर्षों में 300 से अधिक स्पेस स्टार्टअप्स उभरे हैं, जिससे भारत दुनिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा स्पेस स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है।

🌕 चंद्रयान-3 बना भारत की पहचान

उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश बना।
यह मिशन अन्य देशों की तुलना में लगभग आधी लागत में पूरा हुआ, जिससे भारत की लागत-प्रभावी तकनीक की विश्व भर में सराहना हुई।

💰 विदेशी सैटेलाइट लॉन्च से हुआ बड़ा मुनाफा

अब तक भारत ने 433 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए हैं, जिससे 190 मिलियन डॉलर और 270 मिलियन यूरो की कमाई हुई है।

🛰️ भविष्य की बड़ी योजनाएँ

मंत्री ने बताया कि भारत की दीर्घकालिक योजना के तहत –

  • 2035 तक “भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन” (Bharatiya Antariksh Station) की स्थापना की जाएगी।

  • 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतरेंगे, और “विकसित भारत 2047” की दृष्टि का ऐलान करेंगे।

  • अगले 15 वर्षों में 100 से अधिक उपग्रहों के प्रक्षेपण की योजना है, जिनमें अधिकांश छोटे उपग्रह होंगे जो निजी कंपनियों के साथ मिलकर बनाए जाएंगे।

🌍 शासन और विकास में बढ़ती भूमिका

अंतरिक्ष तकनीक अब शासन और विकास में भी अहम भूमिका निभा रही है।
SVAMITVA योजना के जरिए अब तक 1.61 लाख गांवों के 2.4 करोड़ ग्रामीणों को संपत्ति स्वामित्व अधिकार उपग्रह मानचित्रण के माध्यम से मिले हैं।
साथ ही उपग्रह तकनीक का उपयोग आपदा प्रबंधन, कृषि आकलन, वनाग्नि निगरानी और बुनियादी ढांचा योजना (गति शक्ति) में किया जा रहा है।

🤝 अंतरराष्ट्रीय सहयोग

भारत की “स्पेस डिप्लोमेसी” भी मजबूत हो रही है।
भारत जल्द ही जापान के साथ चंद्रयान-5 मिशन और NASA के साथ NISAR मिशन लॉन्च करने जा रहा है।
पड़ोसी देश भी अब आपदा प्रबंधन और संचार के लिए भारतीय सैटेलाइट्स पर निर्भर हो रहे हैं।

🗣️ “विकसित भारत 2047” की ओर

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा,

“हमारी 70 प्रतिशत अंतरिक्ष तकनीक देश के विकास और लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए समर्पित है। अंतरिक्ष, डिजिटल अवसंरचना और शासन का संगम ‘विकसित भारत 2047’ की डिजिटल तंत्रिका प्रणाली बनेगा।”

कार्यक्रम में IN-SPACe के चेयरमैन डॉ. पवन गोयंका और ISRO प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने भी संबोधित किया और भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

सत्र का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिससे सैटेलाइट नेटवर्क के माध्यम से सार्वभौमिक कनेक्टिविटी पर सहयोगात्मक चर्चा की नई शुरुआत हुई।


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