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डॉ. जितेंद्र सिंह ने ITEC प्रतिभागियों के साथ भारत के शासन नवाचार और तकनीकी प्रगति पर साझा किए अनुभव

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केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली स्थित भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA) में भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के प्रतिभागियों के साथ बातचीत के दौरान भारत की प्रशासनिक नवाचारों और प्रौद्योगिकी आधारित जनसेवा वितरण में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 19 देशों से आए प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की कई श्रेष्ठ प्रशासनिक पहलें — जैसे आधार-सक्षम डिजिटल पहचान प्रणाली और प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान — ने पारदर्शिता, गति और तकनीक के माध्यम से सेवा वितरण में क्रांतिकारी बदलाव किया है। उन्होंने ITEC प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने देशों के सर्वश्रेष्ठ प्रशासनिक और तकनीकी नवाचार साझा करें ताकि भारत और उसके साझेदार देश एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकें।

उन्होंने कहा, “आज भारत का शासन मॉडल नवाचार पर आधारित है — चाहे वह तकनीक के स्तर पर हो या सृजनात्मक समस्या-समाधान के रूप में। भारत सरकार के लगभग 90 प्रतिशत कार्य अब ऑनलाइन हैं, जिससे महामारी के समय भी कामकाज सुचारु रूप से चलता रहा। तकनीक पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम बन गई है।”

डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शासन प्रणाली दक्षता और नवाचार की दिशा में तेज़ी से अग्रसर हुई है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने शासन में नवाचार को जीवन का हिस्सा बनाने की पुरजोर वकालत की है — चाहे वह अवसंरचना योजना हो या डिजिटल सेवाओं का वितरण।”

उन्होंने यह भी कहा कि यह सत्र "दो-तरफा सीखने" का अवसर है। ITEC कार्यक्रम ने अब तक 2,500 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है, जिसमें वर्तमान बैच में 19 देशों के 34 प्रतिभागी शामिल हैं। यह कार्यक्रम प्रशासनिक अनुभवों और विचारों के आपसी आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है।

प्रतिभागियों द्वारा शहरी यातायात जैसी चुनौतियों पर चर्चा के जवाब में, डॉ. सिंह ने भारत में स्मार्ट निगरानी प्रणालियों और ऑनलाइन प्रवर्तन तंत्र के उपयोग का उदाहरण दिया, जो रोजमर्रा के शासन को अधिक कुशल बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि नागरिक भागीदारी के साथ ऐसी नवाचार-आधारित प्रणालियां प्रशासन में विश्वास और जवाबदेही को मजबूत कर रही हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रतिभागियों से अनुरोध किया कि वे अपने देशों लौटने के बाद भी IIPA और विदेश मंत्रालय से ऑनलाइन संपर्क बनाए रखें, ताकि विचारों और समाधान के आदान-प्रदान का सिलसिला जारी रहे। उन्होंने कहा, “आज की तकनीक ने भौगोलिक सीमाओं को अप्रासंगिक बना दिया है — हम नियमित रूप से ऑनलाइन संवाद कर सकते हैं और सामूहिक रूप से समाधान खोज सकते हैं।”

इस अवसर पर डॉ. सिंह ने ITEC प्रतिनिधियों के साथ स्वच्छता ही सेवा अभियान और एक पेड़ मां के नाम पहल के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम में भी भाग लिया, जिससे सरकार की सतत विकास और जनभागीदारी के प्रति प्रतिबद्धता परिलक्षित हुई।

अपने संबोधन के समापन पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ITEC जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से भारत का वैश्विक साझेदारी मॉडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "साझा विकास और सामूहिक नवाचार" के दृष्टिकोण का सच्चा प्रतिबिंब है।

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