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भारत–यूरोप आर्थिक संबंधों का नया अध्याय: भारत–EFTA व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA)

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भारत–यूरोप आर्थिक संबंधों में एक निर्णायक क्षण

WHAT IS EFTA? / EFTA क्या है?

EFTA (European Free Trade Association) एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसमें आइसलैंड, लिकटेंस्टाइन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड शामिल हैं। इसकी स्थापना 1960 में सात सदस्य देशों द्वारा मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। यूरोप में यह तीन प्रमुख आर्थिक समूहों में से एक है — अन्य दो हैं यूरोपीय संघ (EU) और यूनाइटेड किंगडम (UK)

भारत–EFTA व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA), 10 मार्च 2024 को नई दिल्ली में हस्ताक्षरित हुआ और 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी हुआ। यह भारत की बाह्य व्यापार नीति में एक ऐतिहासिक और निर्णायक क्षण है।
यह समझौता भारत का चार विकसित यूरोपीय देशों — स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टाइन — के साथ पहला मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है, जो अपने पैमाने और दृष्टिकोण दोनों में अत्यंत महत्वाकांक्षी है।
यह भारत के “आत्मनिर्भर भारत” दृष्टिकोण और EFTA के लचीले व विविधीकृत साझेदारी की खोज के बीच रणनीतिक एकता को दर्शाता है।

यह समझौता 14 अध्यायों से मिलकर बना है, जिनमें प्रमुख रूप से निम्न विषय शामिल हैं —

  • वस्तुओं के लिए बाज़ार पहुँच,

  • उत्पत्ति के नियम,

  • व्यापार सुगमीकरण,

  • व्यापार उपचार,

  • स्वास्थ्य और फाइटोसैनिटरी उपाय,

  • तकनीकी व्यापार अवरोध,

  • निवेश संवर्धन,

  • सेवाएँ,

  • बौद्धिक संपदा अधिकार,

  • सतत विकास और अन्य कानूनी प्रावधान।

इस समझौते का मुख्य लक्ष्य अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर के निवेश को आकर्षित करना और 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना है। यह भारत के आर्थिक इतिहास के सबसे दूरदर्शी समझौतों में से एक माना जा रहा है।

WHAT IS TEPA? / TEPA क्या है?

TEPA (Trade and Economic Partnership Agreement) एक आधुनिक और महत्वाकांक्षी समझौता है, जिसमें पहली बार भारत द्वारा किए गए किसी भी FTA में निवेश और रोजगार सृजन पर बाध्यकारी प्रतिबद्धताएँ शामिल की गई हैं।

मुख्य विशेषताएँ (Key Features of TEPA)

1. उद्देश्यपूर्ण निवेश (Investment with Purpose)

अनुच्छेद 7.1 के तहत, चारों EFTA देश भारत में पहले 10 वर्षों में 50 अरब डॉलर, और अगले 5 वर्षों में अतिरिक्त 50 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

ये निवेश दीर्घकालिक और क्षमता-विकास आधारित हैं, जो विनिर्माण, नवाचार और अनुसंधान पर केंद्रित रहेंगे। इससे अगले 15 वर्षों में 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की संभावना है, जो भारत के कुशल श्रमिक बल को यूरोप की प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी से जोड़ेंगे।

भारत–EFTA डेस्क (स्थापित फरवरी 2025) निवेशकों के लिए एक सिंगल-विंडो प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य कर रही है, जो नवीकरणीय ऊर्जा, जीवन विज्ञान, इंजीनियरिंग और डिजिटल परिवर्तन जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है।

2. संतुलित बाजार पहुँच (Balanced Market Access)

TEPA में महत्वाकांक्षा और सावधानी के बीच संतुलन बनाया गया है।

  • EFTA ने 92.2% टैरिफ लाइनों पर छूट दी है, जो भारत के 99.6% निर्यात को कवर करती है।

  • भारत ने 82.7% टैरिफ लाइनों पर पहुँच दी है, जो EFTA के 95.3% निर्यात को कवर करती है, लेकिन इसमें मजबूत सुरक्षा उपाय भी शामिल हैं।

80% से अधिक आयात सोने से संबंधित हैं, जिन पर कोई बदलाव नहीं किया गया है।
डेयरी, सोया, कोयला, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण, और कुछ खाद्य उत्पादों को अपवर्जन सूची में रखा गया है।
“मेक इन इंडिया” और PLI योजना के अंतर्गत आने वाले उत्पादों के लिए शुल्क कटौती 5–10 वर्षों में चरणबद्ध रूप से लागू की जाएगी।

3. सेवाओं और कुशल प्रतिभा के लिए अवसर (Gateway for Services and Skilled Talent)

सेवाओं का क्षेत्र भारत के GVA का 55% से अधिक योगदान देता है। TEPA डिजिटल और ज्ञान-आधारित सेवाओं के लिए नया प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।

भारत ने 105 उप-क्षेत्रों में प्रतिबद्धताएँ दी हैं, जबकि
EFTA देशों ने —

  • स्विट्ज़रलैंड: 128

  • नॉर्वे: 114

  • आइसलैंड: 110

  • लिकटेंस्टाइन: 107

इसमें IT, बिज़नेस सर्विसेज़, शिक्षा, मीडिया, सांस्कृतिक और पेशेवर सेवाएँ शामिल हैं।

TEPA में नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंसी और आर्किटेक्चर जैसी प्रोफेशन के लिए पारस्परिक मान्यता समझौते (MRAs) भी शामिल हैं, जिससे पेशेवर गतिशीलता में सुगमता आएगी।

4. बौद्धिक संपदा, नवाचार और विश्वास (IPR, Innovation and Trust)

TEPA के IPR प्रावधान TRIPS समझौते के अनुरूप हैं।
भारत को सार्वजनिक स्वास्थ्य और जेनेरिक दवाओं पर अपनी लचीलापन बनाए रखने की अनुमति है।
स्विट्ज़रलैंड जैसे नवाचार-प्रधान देशों के लिए यह भारत के नियामक ढाँचे पर विश्वास का प्रतीक है।
यह अध्याय नवाचार और समावेशन के बीच संतुलित सहयोग का मॉडल प्रस्तुत करता है।

5. सतत और समावेशी विकास (Sustainable and Inclusive Development)

TEPA सतत विकास, सामाजिक प्रगति, और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देता है।
यह व्यापार प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, दक्षता और सरलीकरण को प्रोत्साहित करेगा।

क्षेत्रवार अवसर (Sectoral Opportunities)

कृषि और संबद्ध उत्पाद (Agriculture and Allied Goods)

वित्त वर्ष 2024–25 में भारत का EFTA को निर्यात 72.37 मिलियन डॉलर रहा, जिसमें मुख्य रूप से ग्वार गम, प्रसंस्कृत सब्ज़ियाँ, बासमती चावल, दालें, फल और अंगूर शामिल हैं।
TEPA के तहत स्विट्ज़रलैंड और नॉर्वे में इन पर शुल्कों में बड़ी कटौती हुई है, जिससे भारतीय किसानों और निर्यातकों को सीधा लाभ होगा।

देशवार लाभ (Country-Specific Gains)

  • देश

  • उत्पाद

  • टैरिफ रियायतें / अवसर

  • स्विट्ज़रलैंड

  • खाद्य उत्पाद, बिस्किट, अंगूर, मेवे और सब्जियाँ

  • 127.5 CHF/100kg तक के शुल्क समाप्त; भारतीय निर्यात को बड़ा अवसर

  • नॉर्वे

  • खाद्य उत्पाद, चावल, सब्जियाँ, पेय पदार्थ

  • कई उत्पादों पर शुल्क-मुक्त पहुँच; भारतीय ब्रांडों के लिए बाजार खुला

  • आइसलैंड   

  • प्रसंस्कृत खाद्य, चॉकलेट, सब्जियाँ

  • उच्च शुल्क (97 ISK/kg तक) समाप्त; भारतीय प्रसंस्कृत खाद्य के लिए नए अवसर

कॉफी और चाय (Coffee and Tea)

EFTA देश विश्व के कॉफी आयात का लगभग 3% ($175 मिलियन) हिस्सा हैं।
TEPA के तहत सभी कॉफी उत्पादों पर शून्य शुल्क (Zero Duty) लागू है, जिससे भारतीय कॉफी उत्पादकों को प्रीमियम बाजारों तक पहुँच मिलेगी।

चाय के निर्यात में भी लाभ हुआ है —
2024–25 में भारत की औसत निर्यात कीमत $6.77/kg रही, जो पिछले वर्ष के $5.93/kg से अधिक है।

समुद्री उत्पाद (Marine Products)

TEPA के अंतर्गत, भारतीय मछली, झींगा, स्क्विड आदि उत्पादों पर प्रमुख EFTA देशों में महत्वपूर्ण शुल्क कटौती की गई है —

  • नॉर्वे: मछली और झींगा फीड पर 13.16% तक की शुल्क छूट।

  • आइसलैंड: 10% तक शुल्क समाप्त; झींगा, स्क्विड, फिश फीड पर 55% तक कमी।

  • स्विट्ज़रलैंड: मछली के तेल (लिवर ऑयल को छोड़कर) पर शून्य शुल्क।

औद्योगिक और विनिर्माण लाभ (Industrial and Manufacturing Gains)

EFTA को भारत का इंजीनियरिंग निर्यात FY 2024–25 में $315 मिलियन रहा, जो 18% की वार्षिक वृद्धि दर्शाता है।
TEPA से इलेक्ट्रिकल मशीनरी, कॉपर उत्पाद, ऊर्जा-कुशल प्रणालियों और सटीक इंजीनियरिंग के निर्यात में नए अवसर खुलेंगे।
टेक्सटाइल्स, चमड़ा, फुटवियर, खेल सामग्री, और खिलौनों को भी शून्य शुल्क और मानकीकरण में सुगमता का लाभ मिलेगा।
रत्न और आभूषण क्षेत्र में, समझौते से स्थायी शुल्क-मुक्त पहुँच सुनिश्चित हुई है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर (Electronics and Software)

$100 अरब निवेश प्रतिबद्धता और उच्च-आय यूरोपीय बाजारों तक पहुँच के साथ, TEPA भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और MSME क्षेत्रों के लिए वैश्विक विस्तार का आधार बनेगा।

देशवार अवसर:

  • स्विट्ज़रलैंड: मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्ट सेंसर, फिनटेक संचार प्रणालियाँ

  • नॉर्वे: ईवी बैटरी सिस्टम, मरीन इलेक्ट्रॉनिक्स

  • आइसलैंड: स्मार्ट होम, शिक्षा तकनीक उपकरण

  • लिकटेंस्टाइन: औद्योगिक नियंत्रण प्रणाली, बैंकिंग हार्डवेयर

रसायन, प्लास्टिक और संबंधित उत्पाद (Chemicals, Plastics & Allied Products)

EFTA ने भारत के 95% रासायनिक निर्यात पर शुल्क समाप्त या कम किए हैं।
निर्यात $49 मिलियन से बढ़कर $65–70 मिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
प्लास्टिक और शेलक उत्पादों के लिए भी उच्च-मूल्य यूरोपीय बाजारों में विविधीकरण के अवसर बढ़ेंगे।

विश्वास पर आधारित साझेदारी (A Partnership Rooted in Mutual Confidence)

भारत के लिए TEPA केवल व्यापार समझौता नहीं, बल्कि नियम-आधारित, पारदर्शी और नवाचार-केंद्रित अर्थव्यवस्थाओं के साथ एक रणनीतिक विश्वास का प्रतीक है।
यह घरेलू हितों की रक्षा करते हुए भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का विश्वसनीय भागीदार बनाता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

भारत–EFTA व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
यह भारत का चार विकसित यूरोपीय देशों के साथ पहला FTA है, जिसमें अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर के निवेश और 10 लाख प्रत्यक्ष नौकरियों की प्रतिबद्धता शामिल है।
यह समझौता वस्तुओं और सेवाओं के लिए बाजार पहुँच को बढ़ाता है, बौद्धिक संपदा अधिकारों को सुदृढ़ करता है, और सतत व समावेशी विकास को प्रोत्साहित करता है — जिससे मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को नई गति मिलती है।


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