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धरोहरों की रक्षा का संकल्प: आईजीएनसीए संरक्षण प्रभाग का गौरवशाली सफर

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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने संरक्षण एवं सांस्कृतिक अभिलेखागार प्रभाग का स्थापना दिवस मनाया

नई दिल्ली- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने 17 सितम्बर 2025 को अपने संरक्षण एवं सांस्कृतिक अभिलेखागार प्रभाग का स्थापना दिवस मनाया, जो विश्वकर्मा जयंती के अवसर के साथ आयोजित हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी और विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजय भटनागर उपस्थित थे। कार्यक्रम में आईजीएनसीए के अधिकारीगण, सहकर्मी, छात्र एवं आमंत्रित अतिथि भी शामिल हुए।

इसी कड़ी में आईजीएनसीए में चल रही ‘मन की बात’ पेंटिंग प्रदर्शनी के अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ पर आधारित पुस्तक ‘Igniting Collective Goodness’ पर चर्चा का आयोजन किया गया। इस चर्चा में डॉ. सच्चिदानंद जोशी और आईजीएनसीए की निदेशक (प्रशासन) डॉ. प्रियंका मिश्रा सहित केंद्र के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

डॉ. जोशी ने कहा, “मन की बात जैसा कार्यक्रम संभवतः विश्व में अनोखा है। इस पहल के माध्यम से प्रधानमंत्री सीधे देश की जनता से जुड़ते हैं, प्रेरणा देते हैं और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देते हैं।” उन्होंने उल्लेख किया कि कार्यक्रम के पहले 100 एपिसोड 100 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा सुने गए हैं और यह कार्यक्रम सामुदायिक भावना का प्रतीक बन चुका है, क्योंकि लोग अक्सर मिलकर इसे सुनते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्वच्छता जैसे विषयों का गहरा असर पड़ा है, आज छोटे बच्चे भी दूसरों को स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं, जो प्रधानमंत्री की गांधीवादी प्रेरणा को दर्शाता है।

उन्होंने बताया कि मन की बात एकतरफा संवाद नहीं है, बल्कि इसमें देशभर से आई कहानियाँ शामिल होती हैं और नागरिक सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। विजयादशमी 2014 से प्रारंभ हुए इस कार्यक्रम के अब तक 100 से अधिक एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं। डॉ. जोशी ने कहा कि रेडियो का श्रव्य माध्यम एक अलग ही प्रभाव छोड़ता है, और प्रत्येक एपिसोड देशभर की विशेष घटनाओं और उपलब्धियों को सामने लाता है, जिससे अन्य लोग प्रेरित होते हैं।

इस अवसर पर डॉ. प्रियंका मिश्रा ने Igniting Collective Goodness पुस्तक पर विचार व्यक्त किए और प्रधानमंत्री के भाषणों पर आधारित पाँच खंडों का उल्लेख करते हुए डॉ. जोशी के संपादकीय योगदान को रेखांकित किया।

संरक्षण प्रभाग के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. जोशी ने कहा कि यह प्रभाग आज 150 से अधिक संरक्षकों की शक्ति बन चुका है, जिसने लद्दाख से वर्धा तक अनेक ऐतिहासिक परियोजनाओं को आगे बढ़ाया है। इनमें महात्मा गांधी ग्रामीण उद्योग संस्थान की पहल और भारत मंडपम में विश्व की सबसे बड़ी नटराज प्रतिमा की स्थापना जैसी उल्लेखनीय उपलब्धियाँ शामिल हैं। उन्होंने लद्दाख में पूरी तरह महिलाओं की टीम द्वारा किए गए कार्य को विशेष उदाहरण बताया और कहा कि संरक्षण दल ने समर्पण और अनुशासन के साथ नई ऊँचाइयाँ हासिल की हैं। उन्होंने ज्ञान भारतम् सम्मेलन को याद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने संरक्षकों के प्रयासों की सराहना की और युवाओं को इस महान पेशे से जुड़ने का आह्वान किया।

डॉ. जोशी ने प्रो. अचल पांडेय और उनकी टीम को बधाई दी और कहा कि छात्रों की तैयारी और निरंतर प्रयास से आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिलेगा। प्रो. अचल पांडेय, प्रभागाध्यक्ष, ने संरक्षण एवं सांस्कृतिक अभिलेखागार प्रभाग की अब तक की यात्रा और इसकी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पहचान को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि यह प्रभाग ओरछा, वडोदरा, लालबाग (इंदौर), पटना संग्रहालय, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय (जयपुर), भरतपुर, लद्दाख और भारत के सर्वोच्च न्यायालय जैसे स्थलों पर सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण कार्य कर रहा है।

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजय भटनागर ने भारत की सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण में प्रभाग के सतत प्रयासों की प्रशंसा की और संरक्षण जागरूकता के महत्व पर बल दिया। कार्यक्रम में सांस्कृतिक आयाम जोड़ते हुए कुआहारा सेनके स्कूल की मास्टर ताकाहो असोनुमा और उनकी टीम ने जापानी कला इकेबाना (फूल सज्जा) का प्रदर्शन किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम का समापन प्रो. अचल पांडेय, उनकी टीम और संरक्षक बनने की तैयारी कर रहे छात्रों को बधाई के साथ हुआ, उनके अथक योगदान को भारत की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा में सराहनीय बताया गया।

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