आनंदराम पत्रकारश्री / महासमुन्द ।
छत्तीसगढ़ के प्राचीन नगर सिरपुर के पुरावशेषों और पुरातात्विक महत्व को सहेजने में घोर उदासीनता बरती जा रही है। मीडिया24मीडिया द्वारा " सिरपुर के पास बेशकीमती खजाने की खोदाई, दो दिन बाद भी कुंभकर्णी निद्रा में है पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग " खबर प्रमुखता से प्रकाशित करने के बाद विभाग के अधिकारी, वन विभाग का मैदानी अमला, सिरपुर विकास प्राधिकरण के लोग हरकत में आए। पुलिस विभाग सूचना के बावजूद इस गम्भीर मसले पर अब तक कोई भी कार्यवाही नहीं की है। उन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण/संरक्षण विभाग के लिखित रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। एफआईआर करने के लिए जब भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारी लिखित में देंगे, किस धारा के तहत आपराधिक कृत्य किया गया है, यह स्पष्ट बताएंगे तब जाकर पुलिस कार्यवाही करेगी। आरक्षित वन क्षेत्र में अवैध खोदाई के लिए वन विभाग ने पीओआर काट कर वन अपराध कायम किया है। महासमुन्द वन परिक्षेत्र अधिकारी सियाराम कर्माकर ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर जेसीबी CG04NT4037 को जब्त कर राजसात करने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है।
सिरपुर में करबिन तालाब के समीप जंगल में जेसीबी से अवैध खोदाई में निकली मूर्ति |
पुलिस में एफआईआर नहीं होने से मामला रहस्यमय
पुरातात्विक महत्व के स्थल को क्षति पहुंचाने, कथित तौर पर गड़ा खजाना (बेशकीमती मूर्ति अथवा धन) खोजने के लिए संरक्षित क्षेत्र में अवैध रूप से खोदाई करने वालों के विरुद्ध सख्ती से कार्यवाही नहीं किए जाने से समूचा मामला संदेह के दायरे में है। घटना के दो दिन बाद और मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद जिम्मेदार लोग हरकत में आए जरूर हैं, अभी भी मामले को रफादफा करने की कवायद हो रही है। दरअसल में जब्त जेसीबी नरेंद्र वर्मा खरोरा के नाम पर दर्ज है। समूचे अपराध की विवेचना में संबंधित जेसीबी का मालिक सूत्रधार हो सकते हैं। पुलिस जेसीबी मालिक के जरिये अपराधियों तक आसानी से पहुंच सकती है। लेकिन, पुलिस की चुप्पी आश्चर्यजनक है। जानकार बताते हैं कि जेसीबी मालिक और उसके कुछ रिश्तेदार आज अफसरों के पास महासमुन्द पहुंचकर मामले को कमजोर कर जेसीबी को छुड़ाने का जुगाड़ लगा रहे थे। सूत्रों से ऐसी जानकारी मिली है कि जेसीबी घटना के पहले दिन चोरी हो गई थी, ऐसा मिथ्या रिपोर्ट पुलिस में अब लिखाकर जेसीबी मालिक अपना दामन बचाने की कोशिश भी कर सकते हैं।
जेसीबी के आरटीओ में रजिस्ट्रेशन की ऑनलाइन कॉपी |
118 वर्ष से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से संरक्षित क्षेत्र है सिरपुर
उल्लेखनीय है कि सिरपुर को वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल करने लम्बे अर्से से प्रयास किया जा रहा है। सिरपुर क्षेत्र के करीब 10 से 15 किमी क्षेत्र की परिधि वर्ष 1906 से संरक्षित क्षेत्र घोषित है। जहाँ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की पूर्वानुमति के बिना कोई भी खोदाई गैर कानूनी और दंडनीय अपराध है। इस मामले में अवैध खोदाई कर पुरातात्विक महत्व की मूर्तियों, टीलों को क्षति पहुंचाई गई है। इसके बावजूद ASI के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं कराया जाना अनेक संदेहों को जन्म दे रहा है। ठोस कार्यवाही करने के बजाय जिम्मेदार विभाग एक-दूसरे के सिर पर कार्यवाही करने की जिम्मेदारी डाल कर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।
इस संबंध में पूछने पर सिरपुर चौकी प्रभारी बसंत पाणिग्राही ने बताया कि जंगल में कुछ लोग 25 जून की रात में टीलानुमा खंडहर को खोदे हैं। वहाँ से गणेशजी की एक प्राचीन मूर्ति बरामद हुआ है। जिसे ASI को सौंपा गया है। अवैध खोदाई की सूचना पर मौका मुआयना करने पुलिस भी पहुँची थी। इस संबंध में ASI के अधिकारियों के द्वारा लिखित रिपोर्ट और जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने पर उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर समुचित कार्यवाही करेंगे। पुलिस का कहना है कि वन विभाग द्वारा भी इस पर कार्यवाही की जा रही है।
कार्यवाही नहीं होने से हौसले बुलंद
पुलिस द्वारा ठोस दंडात्मक कार्यवाही नहीं करने पर गड़ा धन के लालच में सिरपुर क्षेत्र में खोदाई को बल मिलेगा। यह छत्तीसगढ़ के प्राचीन विरासत को सहेजने की दिशा में घोर लापरवाही होगी। तीन दिन बाद भी एफआईआर नहीं होने से अपराधियों के हौसले बुलंद होना स्वाभाविक है। अब देखना होगा कि पुरातात्विक महत्व के स्थान को क्षति पहुंचाने वालों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जाती है।