रायपुर। छत्तीसगढ़ के गांवों में इन दिनों खुशी का माहौल है। गांव-गांव धान खरीदी चल रही है। किसानों की जेब में पैसा भी आ रहा है। गांवों में खेती किसानी का तरीका बदलते जा रहा है। सुदूर वनांचल क्षेत्रों में भी किसानों को ट्रैक्टर चलाते और आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करते देखा जा सकता है। दरअसल इन बदलावों के पीछे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की किसान हितैषी नीतियां और कार्यक्रम हैं। उन्होंने सरकार बनते ही किसानों का कर्जा लम्बे समय बकाया सिंचाई कर माफ किया इसके साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की पहल शुरू की। पिछले चार सालों में किसानों-मजदूरों और गरीबों की जेब में एक लाख करोड़ रूपए से अधिक की राशि डाली गई है। इसका असर उद्योग और व्यापार जगत में देखने को मिला। कोरोना संकट काल में जहां देश में आर्थिक मंदी रही, वहीं छत्तीसगढ़ में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
छत्तीसगढ़ में समावेशी विकास को प्राथमिकता दी गई है, इसके लिए छत्तीसगढ़ में विकास का नया मॉडल अपनाया गया। जहां सभी वर्गों के विकास के लिए न्याय योजनाओं की शुरूआत की गई है। इस मॉडल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर मुख्य फोकस है। राज्य में लगभग 31 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। समर्थन मूल्य में धान खरीदी के लिए राज्य में ढाई हजार से भी अधिक धान खरीदी केन्द्र बनाये गये हैं। धान खरीदी की पूरी व्यवस्था कम्प्यूटरीकृत की गई है। इस व्यवस्था के माध्यम से किसानों को धान खरीदी की राशि ऑनलाइन मिल रही है। किसानों को धान बेचने में सुविधा के लिए एक मोबाईल एप ‘टोकन तंुहर हाथ‘ भी बनाया गया है। इसके माध्यम से धान खरीदी के लिए टोकन जारी किया जाता हेै इससे धान बेचने में किसानों को कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ रहा है।छत्तीसगढ़ मॉडल से राज्य में कृषि एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में बदलते जा रहा है। इस मॉडल में किसानों को इनपुट सब्सिडी के साथ सस्ते दर पर विद्युत और शून्य प्रतिशत ब्याज पर खेती-किसानी के लिए ऋण की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा इस मॉडल में खेती के सहायक उद्योग-धंधे को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। मछली पालन और लाख उत्पादन को खेती का दर्जा दिया गया है। मत्स्य पालन और लाख उत्पादन करने वाले किसानों को कृषि के समान ही दी जाने वाली सुविधाएं मिल रही हैं।
राज्य में उद्यानिकी फसलों की संभावनाओं को देखते हुए किसानों को उद्यानिकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों को माइक्रोइरीगेशन, ग्रीन हाउस, शेडनेट और मलचिंग के लिए अनुदान दिया जा रहा है। उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देेने के लिए शाकम्भरी बोर्ड का गठन किया गया है। युवाओं को उद्यानिकी के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए पाटन में उद्यानिकी विश्वविद्यालय के साथ ही नये उद्यानिकी महाविद्यालय भी प्रारंभ किए जा रहे हैं।