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संवेदनशील गांवों में बह रही विकास की बयार : निर्माण एवं विकास कार्यों से ग्रामीणों को मिल रहा रोजगार

बीजापुर। छत्तीसगढ़ सरकार की विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति के असर अब बस्तर अंचल के संवेदनशील एवं अति संवेदनशील गांवों में भी देखने को मिलने लगा है। वर्षों से विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर इन गांवों में अब विकास की बयार बहने लगी है, जिसके चलते यहां के जन-जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है बीजापुर जिले के संवेदनशील एवं अति संवेदनशील गांवों में शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत तेजी से निर्माण व विकास के कार्य कराए जा रहे है, जिसके चलते गांवों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के साथ-साथ ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार मिलने लगा है।



बीजापुर जिले में विगत पौने चार वर्षों में मनरेगा के तहत् 26 हजार 184 कार्य स्वीकृत एवं संचालित कराए गए, जिसके चलते 77 लाख 22 हजार मानव दिवस रोजगार सृजित हुआ है। इससे जिले के एक लाख 19 हजार 306 परिवारों के 02 लाख 54 हजार 378 श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध हुआ है, जिसमें से 100 दिवस का रोजगार पूर्ण करने वाले परिवारों की संख्या 29 हजार 500 है। बीजापुर जिले के 19 अति संवेदनशील ग्राम पंचायतों में प्रशासन की पहुंच सुनिश्चित हुई। 2017-18 में जहां पहुंचविहीन गांवों की संख्या 40 थी आज उनमें से 19 ग्राम पंचायतों में रोजगारमूलक कार्य कराये जा रहे है।



भैरमगढ़ ब्लॉक के मदपाल, पिटेपाल, बेचापाल, बांगोली, ताकीलोड़, चिंगेर, बैल वहीं बीजापुर ब्लॉक के पदमूर, पुसनार, पालनार, बुरजी, कमकानार, पेदाकोरमा, उसूर ब्लॉक के पुजारीकांकेर, कोरसागुड़ा, चिन्नागेलूर, पेल्लमपल्ली, तर्रेम एवं भोपालपटनम ब्लॉक के संड्रा ग्राम पंचायतों में मनरेगा अंतर्गत रोजगार मूलक कार्य किये जा रहे है। जिले में कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के दौरान मनरेगा के तहत् 32908 परिवारों के 78 हजार 479 श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। जिले में मनरेगा के साथ अन्य योजनाओं की राशि का अभिसरण कर 15 करोड़ 27 लाख रूपए की लागत के 21 चेक डेम निर्माण कार्यों की स्वीकृति दी गयी है। 



जिसमें 17 चेक डेम पूर्ण किये जा चुके हैं। वहीं 7 करोड़ 43 लाख 32 हजार की लागत से 105 पुलिया निर्माण स्वीकृत किया गया है। जिनमें से 87 पुलिया पूर्ण हो चुके है। 18 निर्माणाधीन है। नवीन पंचायत भवन निर्माण हेतु 05 करोड़ 39 लाख 57 हजार रुपये की लागत से 27 नवीन पंचायत भवन स्वीकृत किया गया था। अब तक 07 पंचायत भवन पूर्ण किया जा चुका है। 16 भवनों का कार्य प्रगति पर है। जिले में 80 करोड़ 54 लाख 67 हजार की लागत से 538 तालाब निर्माण कार्य स्वीकृत किये गए थे। 353 तालाब पूर्ण किया जा चुका है। 185 अप्रारंभ है। 



जिले में मनरेगा के तहत् 23 करोड़ 36 लाख 14 हजार की लागत से 282 आंगनबाड़ी भवन निर्माण स्वीकृत किये गए थे। जिनमें 58 भवन पूर्ण हो चुका है। 150 में कार्य प्रगति पर है। जिसमें 5 पंचायतों के 300 बच्चे लाभान्वित हो रहे है। वहीं सुपोषण अभियान के तहत् एनीमिक महिला एवं कुपोषित बच्चों को लाभान्वित किया जा रहा है। जिले में 04 करोड़ 83 लाख 33 हजार की लागत से 47 उचित मूल्य की दुकान सह गोदाम निर्माण कार्य स्वीकृत किये गये थे। अब तक 18 उचित मूल्य की दूकान पूर्ण हो चुका है। शेष 29 कार्य प्रगति पर है। 18 दुकानों से 4 हजार लोगों को सुगमता पूर्वक राशन उपलब्ध कराया जा रहा है।

जिले में मनरेगा के तहत् 7 करोड़ 11 लाख 22 हजार रूपए की लागत से 140 नहर निर्माण कार्यों की स्वीकृति दी गयी है, जिसमें से 98 नहर निर्माण कार्य पूर्ण होने के फलस्वरूप किसानों को सिंचाई करने में सहूलियत हो रही है। मनरेगा से 53 करोड़ 18 लाख 25 हजार रूपए लागत के 2745 डबरी निर्माण कार्यों की स्वीकृति दी गयी है, जिसमें से 1826 डबरी निर्माण कार्य पूर्ण किये जा चुके है। इन डबरी निर्माण कार्यों के पूर्ण होने के फलस्वरूप सम्बन्धित किसानों को मत्स्यपालन एवं सिंचाई सुविधा मिली है। साग-सब्जी की खेती को बढ़ावा मिला है। जिले में मनरेगा के तहत् 09 करोड़ 49 लाख 70 हजार रूपए लागत के 337 कुआँ निर्माण कार्यों की स्वीकृति दी गयी है। जिसमें 51 कुआँ निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है, जिससे पेयजल एवं सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हुई है।


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