मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के मुताबिक नियमों से संशोधन करते हुए छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों को ज्यादा वित्तीय अधिकार देने वाली अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई है। छत्तीसगढ़ नगर पालिका (मेयर इन काउंसिल, प्रेसिडेंट इन काउंसिल के कामकाज का संचालन, प्राधिकारियों की शक्तियां और कर्तव्य) के नियम में संशोधन किया गया है, जिसमें अब नगर पालिका आयुक्तों, मेयर इन काउंसिल, निगम, मुख्य नगर पालिका अधिकारियों, प्रेसिडेंट इन काउंसिल और परिषद के वित्तीय अधिकारों की सीमा में बढ़ोतरी की गई है।
राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के मुताबिक 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले नगर पालिका निगम में नगर पालिका आयुक्त को डेढ़ करोड़ रूपए तक, मेयर इन काउंसिल को डेढ़ करोड़ से 6 करोड़ रूपए तक और निगम को 6 करोड़ रूपए से 10 करोड़ रुपए तक वित्तीय अधिकार दिए गए हैं। तीन लाख से ज्यादा लेकिन दस लाख से कम जनसंख्या वाले नगर पालिका निगम में नगर पालिका आयुक्त को एक करोड़ रूपए, मेयर इन काउंसिल को एक करोड़ रूपए से 3 करोड़ रूपए तक और निगम को 3 करोड़ रूपए से 10 करोड़ रूपए तक वित्तीय अधिकार दिए गए हैं।
नगर पालिका आयुक्त को 50 लाख रु
वहीं तीन लाख तक के जनसंख्या वाले नगर पालिक निगम में नगर पालिका आयुक्त को 50 लाख रूपए, मेयर इन काउंसिल को 50 लाख रूपए से 2 करोड़ रूपए तक और निगम को 2 करोड़ रूपए से 6 करोड़ रुपए तक के वित्तीय अधिकार दिए गए हैं। 50 हजार या उससे अधिक जनसंख्या वाले नगर पालिका परिषद में मुख्य नगर पालिका अधिकारी को 2 लाख रूपए, प्रेसिडेंट-इन-काउंसिल को 2 लाख रूपए से 60 लाख रूपए तक और परिषद को 60 लाख रूपए से 4 करोड़ रूपए तक वित्तीय अधिकार दिए गए हैं।
नगर पालिका अधिकारी को एक लाख रु
50 हजार से कम जनसंख्या वाले मुख्य नगर पालिका अधिकारी को एक लाख रूपए, प्रेसिडेंट-इन-काउंसिल को एक लाख से 30 लाख रूपए तक और परिषद को 30 लाख से ढ़ाई करोड़ रूपए तक के वित्तीय अधिकार दिए गए हैं। नगर पंचायत के वित्तीय अधिकारों में बढ़ोतरी करते हुए मुख्य नगर पालिका अधिकारी को 50 हजार रूपए तक, प्रेसिडेंट-इन-काउंसिल को 50 हजार से 20 लाख रूपए तक और परिषद को 20 लाख रुपए से डेढ़ करोड़ तक के वित्तीय अधिकार दिए गए हैं।