आबादी बढ़ने की वजह से भी जंगलों में अतिक्रमण बढ़ने लगे हैं। जंगल की पूरी संरचना प्रभावित हो रही है। जंगलों में बांस और फलदार वृक्ष भी कम हो रहे हैं। अपने निवास स्थान की कमी और पेट भरने के लिए हाथी इन्सानी बस्तियों का रुख कर रहे हैं। सिमटते जंगल से हाथी और मनुष्य के बीच द्वंद्व (Elephant attack in Chhattisgarh) की स्थिति बनी हुई है। हर दूसरे दिन गजराज के हमले से इंसानों की मौत की खबर सामने आती रहती है। वहीं 15 दिन पहले गरियाबंद गए दो दंतैल फिर महासमुंद वापस लौट आए हैं।
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इन गांवों के लिए अलर्ट जारी
शहर के करीब होने से विभाग की परेशानी और अधिक बढ़ गई है। हालांकि विभाग ने उन पर नजर रखने के लिए गजराज दल की टीम को क्षेत्र में लगा दिया है। विभाग ने दोनों हाथियों की आमद की खबर देते हुए ग्रामीणों को अलर्ट रहने और जंगल की ओर आने-जाने से मना किया है। वन विभाग गौरखेड़ा और सोरिद के बीच जंगल में हाथियों को विचरण करता देख आसपास करीब 12 गांव में अलर्ट जारी किया है। इसमें गौरखेड़ा, सोरिद, अरंड, उमरदा, पतेरापाली, कोसरंगी, केशवा, सिरगिड़ी, झालखम्हरिया, बनसिवनी, कौंदकेरा, लोहारडीह, घोंघीबाहरा, बंजारी, कौंवाझर और तुमगांव में अलर्ट जारी किया है।
हाथी सामने होने पर ढलान की ओर दौड़े
विभाग के अफसरों ने ग्रामीणों को महुआ बीनने जाने और अन्य किसी कार्य के लिए जंगल की ओर जाने से मना किया गया है। इसके साथ ही रात में भी अलर्ट रहने कहा है। हालांकि हाथियों ने अभी तक किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं पहुंचाई है। अगर हाथी से सामना हो जाए तो तुरंत उसके लिए रास्ता छोड़े, पहाड़ी स्थानों में सामना होने की स्तिथि मे पहाड़ी की ढलान की ओर दौड़े ऊपर की ओर नहीं क्योंकि हाथी ढलान में तेज गति से नहीं उतर सकता, लेकिन चढाई चढ़ने में वह दक्ष होता है, सीधे न दौड़ कर आड़े तिरछे दौड़े, कुछ दूर दौड़ने के बाद गमछा, पगड़ी, टोपी और अन्य कोई वस्त्र फेक दे, ताकि कुछ समय तक हाथी उसमें उलझा रह सके और आपको सुरक्षित स्थान पर जाने का समय मिल जाए।