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छत्तीसगढ़ में सुपोषण अभियान को बड़ी सफलता, 3 सालों में कुपोषण में 8.7 प्रतिशत की कमी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा समाज के सभी वर्गों की खुशहाली और बेहतरी के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य में महिलाओं और बच्चों के हितों के संरक्षण और उनकी बेहतरी के लिए कई अभिनव योजनाएं संचालित की जा रही है। महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा और उनके स्वास्थ्य के स्तर को बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान सहित अन्य कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिससे राज्य में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है।

छत्तीसगढ़ में एकीकृत बाल विकास सेवा मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, वजन त्यौहार तथा नवा जतन जैसी योजनाओं एवं मुख्यमंत्री पोषण अभियाान के समन्वित प्रयास से बीते 3 सालों के दौरान कुपोषण में 8.7 प्रतिशत की कमी आई है। राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 साल से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 साल की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं। कुपोषित बच्चों में अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचलों के थे। राज्य सरकार ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2019 से की। इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने की रणनीति तैयार की गई है। 

योजना शुरू होने के समय साल 2019 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में लगभग 4 लाख 33 हजार 541 बच्चे कुपोषित थे। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के चलते राज्य में अब तक 1,72,000 से ज्यादा बच्चे अब कुपोषण मुक्त हो गए हैं। इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या मे कुल 39 प्रतिशत की कमी आई है। राज्य में 85 हजार महिलाएं एनीमिया से मुक्त हो चुकी हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के मुताबिक राज्य में कुपोषण का प्रतिशत 31.3 है, जो कुपोषण के राष्ट्रीय औसत से 32.1 प्रतिशत से कम है।

राज्य में महिलाओं और बच्चों को पोषण और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान कुपोषित महिलाओं, शिशुवती महिलाओं, शाला त्यागी किशोरियों और 51,455 आंगनबाड़ी केंद्रों के लगभग 27 लाख हितग्राहियों को भी घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट फूड वितरित किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य में कौशल्या मातृत्व योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के तहत महिलाओं के पोषण में सुधार के लिए दूसरे संतान यानी बेटी के जन्म पर राज्य द्वारा 5 हजार रूपये की एकमुश्त सहायता राशि दी जा रही है। 

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अब राशि को 15 हजार रूपए से बढ़ाकर 25 हजार रूपए कर दिया गया है। बढ़ी हुई दर से जरूरतमंद परिवारों की लगभग 8 हजार कन्याओं का विवाह सम्पन्न कराया गया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में सखी वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से प्रदेश में 27 जिलों में पीड़ित-संकटग्रस्त, जरूरतमंद महिलाओं को उनके आवश्यकतानुसार सुविधा और सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इन सेंटरों में बीते 3 साल की अवधि में 8 हजार 826 प्रकरणों का निराकरण किया गया और 3 हजार 694 प्रकरणों में महिलाओं को आश्रय सुविधा प्रदान की गई। 

महिला हेल्प लाइन 181 के माध्यम से 2 हजार 793 प्रकरणों का निराकरण किया गया है। राज्य में महिला स्व-सहायता समूहों को स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए 2 लाख रूपए का ऋण प्रदान करने की व्यवस्था सक्षम योजना के तहत की गई है। छत्तीसगढ़ महिला कोष के माध्यम से ऋण लेने वाले महिला स्व-सहायता समूहों पर लगभग 13 करोड़ रूपए का ऋण लंबित होने के कारण इनके काम-काज ठप्प हो गए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा वितरित महिला समूहों का 12 करोड़ 77 लाख का बकाया ऋण माफ करने के साथ ही इस योजना में दिए जाने वाले ऋण की सीमा को भी बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। 

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय में बढ़ोतरी

छत्तीसगढ़ महिला कोष के लिए साल 2018-19 की तुलना में इस साल बजट के प्रावधान में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए 5 करोड़ 20 लाख का प्रावधान किया गया है।  महिलाओं और बच्चों की सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से राज्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के मानदेय पर बढ़ोतरी की गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 5 हजार रूपए से बढ़ा है।

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