भारत के पंजाब प्रांत में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के निकट जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 वैशाखी के दिन जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। रोलेट एक्ट का विरोध करने के लिए सभा हो रही थी,जिसमें जनरल डायर अंग्रेज अफसर ने अकारण सभा में उपस्थित भीड़ में गोली चलवा दी, जिसमें लगभग 400 से अधिक व्यक्ति शहीद हो गये। जलियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डालने वाली घटना रही है माना जाता है कि यह घटना ही "भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी" बाद में अंग्रेजों ने भी माना ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के अंग्रेज अफसर को सरदार उधम सिंह ने इंग्लैंड जाकर 13 मार्च 1940 को उसकी हत्या करके इस हत्याकांड का बदला लिया था। पूरे भारतवर्ष में जलियांवाला बाग हत्याकांड के पश्चात आजादी के आंदोलन के लिए युवाओं में और अधिक राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत हुई जिससे युवाओं के द्वारा की जा रही क्रांति से अंग्रेज शासन डरने लगे थे। तथा उन्हें एहसास हो गया था अब ज्यादा दिनो तक भारतवर्ष को गुलाम नहीं बनाया जा सकता था । इन्हीं परिचर्चा के साथ महासमुंद के कांग्रेस भवन में समस्त कांग्रेस जनों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।डॉ. रश्मि चन्द्राकर ने कही की देश के आजादी में जलियांवाला बाग की घटना देश में बलिदान देने वालों की एक परम्परा सी आरंभ हो गई।
कार्यक्रम में डॉ.रश्मि चंद्राकर जिला अध्यक्ष,संजय शर्मा प्रभारी महामंत्री,खिलावन बघेल शहर अध्यक्ष,ढेलु निषाद ग्रामीण अध्यक्ष,सोमेश दवे,गुरमीत चावला,सुरेश द्विवेदी,राजू साहू,राशि महिलांग नेता प्रतिपक्ष,अनवर हुसैन,जावेद चौहान,तुलसी साहू,लखन चंद्राकर,प्रदीप चंद्राकर,छन्नू साहू,अजय थवाईत,मनोहर ठाकुर,नितेंद्र बेनर्जी,दशोदा ध्रुव,ममता चंद्राकर,ऋषि वर्मा,लक्ष्मी सोनी,गिरजा शंकर चंद्राकर,मोती साहू,लीलू साहू,भारत बुंदेला,गणेश राम ध्रुव आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किए तत्पश्चात जलियांवाला बाग के शहीदों को 2 मिनट का मौन धारण कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी गई।