छत्तीसगढ़ में 18 साल से ज्यादा उम्र के 100 प्रतिशत लोगों को कोरोना का पहला टीका लगाया जा चुका है। वहीं देश में अभी 95 फीसदी लोगों को ही टीका लग पाया है। इस हिसाब से छत्तीसगढ़ में वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी अच्छी है। इसी कैटेगरी के प्रदेश के 78 फीसदी लोगों ने दूसरा टीका भी लगावा लिया है। 15 से 18 साल के 65 फीसदी बच्चों ने भी वैक्सीन की पहली खुराक ले ली है। प्रदेश में प्रीकॉशन डोज की रफ्तार भी अच्छी है।
विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर से निपटने में वैक्सीनेशन की भूमिका को अहम माना है। आने वाले कुछ दिनों में सभी वर्गों में वैक्सीनेशन का टारगेट लगभग पूरा हो जाएगा। प्रदेश में तीसरी लहर के दौरान कोरोना से हुई मौतों के आडिट से पता चला है कि मरने वालों में 65 फीसदी लोगों ने टीके नहीं लगाए थे। प्रदेश में तीसरी लहर के दौरान 405 लोगों की मौत हुई है। इनमें करीब ढाई लोगों ने दोनों या एक टीका नहीं लगवाया। ये साबित करने के लिए काफी है कि वैक्सीनेशन की वजह से ही बहुत लोगों की जान बची है।
बचे हुए लोगों के टीकाकरण पर फोकस
स्वास्थ्य विभाग अब बचे हुए लोगों के टीकाकरण पर फोकस कर रहा है। प्रदेश में 1.96 करोड़ 51 हजार लोगों को दोनों टीके लगाने का लक्ष्य रखा गया है। 1.96 करोड़ 49 हजार को पहला टीका लग चुका है। 1.52 करोड़ 34 हजार का दूसरा टीका भी लग गया। यानी 78 फीसदी को दूसरा टीका भी लगाया जा चुका है। बीते 13 दिन में 1.21 लाख लोगों को लाख और 9.15 लाख लोगों ने दूसरा टीका लगाया। दूसरा टीका लगाने में लोगों ने काफी दिलचस्पी ली। आम लोगों के अलावा फ्रंट लाइन वर्करों को प्रीकॉशन डोज भी लगाई जा रही है।
3.24 लाख को बूस्टर डोज
प्रदेश में इस श्रेणी के 11.75 लाख लोगों को टीके लगाए जाने हैं। 3.24 लाख को प्रीकॉशन डोज दी जा चुकी है। इस तरह सभी श्रेणी मिलाकर प्रदेश में अब तक 3 करोड़ 67 लाख से ज्यादा टीके लगाए जा चुके हैं। इसमें पहला, दूसरा, छोटे बच्चों और प्रीकॉशन डोज शामिल है। इस संबंध में राज्य महामारी नियंत्रण के संचालक डॉक्टर सुभाष मिश्रा ने कहा कि स्कूल बंद होने की वजह से छोटे बच्चों का टीका कुछ प्रभावित हुआ, लेकिन अब फिर से रफ्तार पर है। तीसरी लहर में ज्यादा हानि नहीं होने पर लोगों को वैक्सीनेशन का महत्व समझ में आया। तीसरी लहर में मरने वाले ज्यादातर लोगों ने टीके नहीं लगवाए थे।