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डिलीवरी के बाद मां और बच्चे की मौत, इस शिकायत के चलते अस्पताल पहुंची थी महिला

दुर्ग जिले के  सुपेला में स्थित लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में डिलीवरी के बाद मां और बच्चे की मौत हो गई है। जानकारी के मुताबिक डिलीवरी के दौरान मां और बच्चे दोनों की स्थिति गंभीर थी। डॉक्टर्स ने बच्चे को जिला अस्पताल रेफर कर ICU में भर्ती कराया था। वहीं मां का इलाज सुपेला अस्पताल चल रहा था, लेकिन इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई।

सुपेला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर पीयम सिंह ने बताया कि 22 साल की ओगेश्वरी  गुलशन पांडेय कि पत्नी थी, जो शनिवार रात 9.30 बजे लूज मोशन की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंची थी। उसे 12 से 13 बार लूज मोशन हुआ था, जिससे उसकी हालत काफी खराब थी। डॉक्टर्स ने उसे भर्ती किया और इलाज शुरू किया।

ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी होने से मौत

ड्यूटी पर तैनात मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर एसके अग्रवाल ने बताया कि महिला को 8 महीने का गर्भ था। रात में किसी तरह उसकी बीमारी को कंट्रोल किया गया, लेकिन रविवार शाम को उसे अचानक लेबर पेन शुरू हो गया। रविवार शाम 7.58 बजे महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। कम समय यानी प्रीमैच्योर बेबी होने से उसकी हालत खराब थी। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर किरण ने बच्चे की जांच की और ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से उसे रविवार रात 9.15 बजे जिला अस्पताल रेफर किया, जहां इलाज के दौरान सोमवार सुबह उसने दम तोड़ दिया।

महिला के ब्लड में जमने लगा था थक्का 

वहीं बच्चे को रेफर करने के बाद मां की भी तबीयत बिगड़ने लगी। वो अचानक बेहोश हो गई। डॉक्टर्स ने उसका इलाज शुरू किया, लेकिन उसकी हालत खराब होती चली गई और उसकी रविवार देर रात ही मौत हो गई। डॉक्टर्स का कहना है कि उसके ब्लड में थक्का जमना शुरू हो गया था, जिसकी वजह से उसकी मौत हुई है। 

80 बिस्तर वाले अस्पताल में सिर्फ एक स्त्री रोग विशेषज्ञ 

बता दें कि सुपेला अस्पताल भिलाई शहर के लिए काफी महत्वपूर्ण है। अस्पताल में 80 बेड की क्षमता है, लेकिन सुविधाएं नहीं हैं। अस्पताल अभी भी स्टॉफ की कमी से जूझ रहा है। इतने बड़े अस्पताल में सिर्फ एक ही स्त्री रोग विशेषज्ञ है। अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दीक्षा विसेन का कहना है कि वो सुबह OPD ड्यूटी में आती है। उसके बाद ऑनकॉल 24 घंटे रहती है। वहीं चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर पीयम सिंह का कहना है कि अस्पताल में कम से कम 2 स्त्री रोग विशेषज्ञ होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखा है। हालांकि अब तक उनके पत्र का जवाब नहीं मिल पाया है। साथ ही इस समस्या का अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। 

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