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कोरोना के बीच फिर बढ़ा बर्ड फ्लू का खतरा, 100 मुर्गियों के मरने से मचा हड़कंप

देश में कोरोना की तीसरी लहर का कहर अभी थमा नहीं है। इसी बीच महाराष्ट्र में बर्ड फ्लू का कहर देखने को मिल रहा है, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई है। दरअसल, ठाणे जिले के अंतर्गत आने वाले शाहपुर तहसील के बेहलोली गांव की एक पोल्ट्री फार्म में अचानक करीब 100 मुर्गियों के मरने से हड़कंप मच गया है। जिले के पशुपालन विभाग को बर्ड फ्लू के खतरे से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा गया है। हालांकि मुंबई अब तक बर्ड फ्लू के खतरे से बचा हुआ है, लेकिन अधिकारियों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि वक्त रहते जरूरी कदम उठाए जा सकें। 

ठाणे और पालघर जिले में बर्ड फ्लू के खतरे को बढ़ता हुआ देख BMC भी एक्टिव हो गई है और मुंबई में इस पर कड़ी निगरानी बनाए हुए है और अधिकारियों को अलर्ट पर रहने को कहा गया है। अब तक मुंबई से सटे ठाणे पालघर और वसई-विरार जैसे शहरों में स्थानीय प्रशासन में बर्ड फ्लू की पुष्टि की है। मुंबई के चिकन विक्रेताओं का कहना है कि बर्ड फ्लू का खतरा मुंबई में नहीं है और अभी तक धंधे पर भी किसी का असर नहीं पड़ा है। हालांकि सावधानी बरती जा रही है।

25 हजार पक्षियों को मारा गया: पशुपालन मंत्री 

वहीं महाराष्ट्र के पशुपालन मंत्री सुनील केदार ने बर्ड फ्लू को लेकर कहा कि पालघर में करीब 1 हजार 922 और ठाणे में 23 हजार से ज्यादा पक्षियों को मारा गया है। पहले भी जब महाराष्ट्र में बर्ड फ्लू आया था तब राज्य ने बहुत अच्छे से नियंत्रित किया था और इस बार भी हम इसे नियंत्रित कर लेंगे। 

गौरतलब है कि राज्य में कोरोना के हालात अब पूरी तरह नियंत्रण में नजर आ रहे हैं और और संक्रमण दर अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। इसी के चलते सरकार ने लोगों को पाबंदियों में राहत दी है, लेकिन बर्ड फ्लू की आहट से सभी लोग काफी चिंतित नजर आ रहे हैं।  

प्रवासी पक्षियों की वजह से फैलता है फ्लू (Bird Flu News)

पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के मुताबिक भारत में बर्ड फ्लू का ज्यादातर संक्रमण प्रवासी पक्षियों के वजह से ही फैलता है। इसके बाद संक्रामक वस्तुओं से, जैसे कोई व्यक्ति, कपड़ा, सामान, खाने-पीने की वस्तुएं संक्रमित इलाके से देश के अंदर आई हों। हालांकि, भारत सरकार ने साल 2005 में ही बर्ड फ्लू के प्रसार को रोकने के लिए एक्शन प्लान बना लिया था। तब से इसी प्लान को अपडेट कर फॉलो किया जाता है।

ऐसा होता है बर्ड फ्लू का खतरा

बर्ड फ्लू से संक्रमित पहला इंसान साल 1997 में मिला था, जबकि इंसानों से इंसानों को बर्ड फ्लू होने का पहला मामला साल 2003 में चीन में सामने आया था। उससे पहले इंसानों के एक दूसरे के संपर्क में आने से एच7एन9 (H7N9) वायरस के संक्रमण के कोई सबूत नहीं मिले थे। सिर्फ पक्षियों के साथ सीधे संपर्क में आने से इंसानों में बर्ड फ्लू संक्रमण का खतरा होता था।

इंसानों के लिए जानलेवा

बर्ड फ्लू वायरस पक्षियों और मुर्गियों के लिए तो जानलेवा होता ही है, साथ ही यह इंसानों के लिए भी जानलेवा है। इंसानों में बर्ड फ्लू से संक्रमण का पहला मामला साल 1997 में हांगकांग में सामने आया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तब से लेकर अब तक इससे संक्रमित होने वाले करीब 60 फीसदी लोगों की मौत हो चुकी है। इसलिए कोरोना की तरह इस वायरस से भी लोगों को बचकर रहने की जरूरत है।

2014 में मिला था पहला मामला

जनवरी 2014 में कनाडा ने अमेरिका में H5N1 वायरस से संक्रमित पहले व्यक्ति की सूचना दी थी। संक्रमित यात्री चीन से लौटा था। इसके बाद आज तक संयुक्त राज्य अमेरिका में H5N1 वायरस के संक्रमण की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। फ्लू के वायरस लगातार बदल रहे हैं और एनिमल फ्लू के वायरस इस तरह बदल सकते हैं कि वे लोगों को आसानी से संक्रमित करने और लोगों के बीच फैलने की क्षमता हासिल कर सकते हैं, जिससे महामारी फैल सकती है।

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