नई पीढ़ी खेती से विमुख हो रही है। किसान-मजदूर परिवार भी अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर नौकरी ही कराना चाहते हैं। तब चिंतनीय विषय है कि खेती करेगा कौन? यदि खेती नहीं होगी तो बड़ी आबादी को अनाज, फल-फूल, सब्जी कहां से मिल पाएगा? खेती को कैसे प्रोत्साहित किया जाए? इसी चिंतन के साथ नई पीढ़ी को उन्नत खेती करने के लिए प्रेरित करने लघु फिल्म बनाने की योजना बनी। चरौदा (आरंग) के नवाचारी शिक्षक महेन्द्र पटेल और लाफिनकला के गोवर्धन साहू ने परिकल्पना कर पटकथा लिखी।
महासमुन्द के वरिष्ठ पत्रकार आनंदराम साहू ने फिल्मांकन पटकथा व टाइटल बनाने में विशेष मार्गदर्शन किया। भिलाई के किसान नेता पारसनाथ साहू और शिक्षक महेन्द्र पटेल ने फिल्म के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। लोक कलाकारों के साथ समाजसेवी युवाओं के सहयोग से फिल्मांकन शुरू हुआ। कम बजट में उत्कृष्ट प्रदर्शन का लक्ष्य निर्धारित किया गया। फिल्म की शूटिंग ग्राम भिलाई और आरंग में हुआ। जिसमें उन्नत खेती का सुंदर फिल्मांकन किया गया है। ग्रामीण परिवेश पर निर्मित इस लघु फिल्म को यूट्यूब प्लेटफार्म पर जनवरी-2022 में रिलीज करने की योजना है।
फिल्मांकन में इनकी रही अहम् भूमिका
'खेती अपन सेती' इस लघु फिल्म की परिकल्पना, निर्देशन और निर्माण जुगाड़ में शिक्षक महेन्द्र पटेल, किसान नेता पारसनाथ साहू, मां विद्या बीज बीज भंडार संचालक दूजेराम धीवर, शिक्षक गोवर्धन साहू आदि ने अहम भूमिका निभाई है। फिल्म में अहम किरदार दीपक चंद्राकर (सफल किसान), पारसनाथ साहू (ग्राम प्रमुख), आनंदराम साहू (कृषि अधिकारी), दूजेराम धीवर (कृषि अधिकारी), किसान की भूमिका में महेन्द्र पटेल, गोवर्धन साहू, पुरानिक साहू, कोमल लाखोटी, प्रतीक टोंड्रे, मोहन सोनकर, गिरधारी साहू, श्रीमती शकुन चंद्राकर आदि नजर आएंगे। ग्राम रीवा के लोक कलाकार परमा साहू और चरौदा के कुलेश्वर मानिकपुरी की जोड़ीदारी और हास्य विनोद वाली वार्ता फिल्म में आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। राहुल पटेल और रूपनारायण धीवर बाल कलाकारों ने किसान पुत्र के बचपने का रोल अदा किया है। वहीं फिल्म का छायांकन महासमुंद के शारदा म्यूजिकल संचालक जिमेश राजपूत ने किया है।
कुछ इस तरह है फिल्म की पटकथा
एक गांव में दो किसान परिवार रहते हैं। जिसमें से एक किसान अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर समृद्ध किसान बनाने का निश्चय कर आगे बढ़ते हैं। बचपन से ही बालक दीपक को खेती-बाड़ी की बारीकियां सिखाते हैं। और खेती-बाड़ी से संबंधित पढ़ाई-लिखाई कराते है। वहीं दूसरी ओर एक मध्यमवर्गीय किसान अपने बेटे को बिना किसी लक्ष्य के पढ़ाते लिखाते हैं।उसका बालक पढ़-लिख रहा हूं कहकर हर काम से कामचोरी करता है।