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मानवाधिकार के प्रति सजग रहकर करें जीवन यापन, हनन होने पर लें कानूनी मदद

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महासमुंद। मानवाधिकार दिवस के अवसर पर शांत्रीबाई कला, वाणिज्य और विज्ञान महाविद्यालय में विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता ऐश्वर्या दीवान सिविल न्यायाधीश वर्ग 2, धारणी राणा  सिविल न्यायधीश वर्ग 2 और महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर सविता चंद्राकर थीं। छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए न्यायाधीश ऐश्वर्या दीवान ने बताया कि सभी मनुष्यों को मौलिक अधिकार प्राप्त है, वे उसका अपने दैनिक जीवन में उपयोग करें।  

संयुक्त राष्ट्र ने 10 दिसंबर 1948 को मानव अधिकार के विषय को लेकर सार्वभौम घोषणा की। उन्होंने यह भी बताया कि मानव के अधिकारों का उल्लंघन होने पर वह न्यायपालिका से भी मदद ले सकते हैं। न्यायपालिका सभी मनुष्य को न्याय दिलाती है। हमारे संविधान में बहुत से ऐसे कानून है जो सभी मानव जाति को सुरक्षा प्रदान करती है। इस बीच मुख्य अतिथि धारणी राणा ने बताया कि मानव अधिकार को आगे बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक असमानताओं को भी समाप्त करने की आवश्यकता है। 

स्वतंत्रता पूर्वक काम करने का नहीं था अधिकार  

जरूरी नहीं कि सभी कार्य केवल पुरुषों को ही करना चाहिए। महिलाओं को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने  बताया कि आजादी से पहले महिलाओं को कोई भी कार्य स्वतंत्रता पूर्वक करने का अधिकार नहीं था। चाहे वह कार्य किसी भी क्षेत्र में हो, व्यवसाय, शिक्षा के क्षेत्र में हो या सामाजिक क्षेत्र में हो, उनके लिए पूर्ण रूप से वर्जित था। सन 1948 में संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय संविधान में जब मानव अधिकार को लागू किया। उसके बाद से लेकर अब तक सभी मानव जाति अपने आप को सुरक्षित महसूस करने लगे हैं। 

न्यायपालिका में अपनी बातों को रखने का अधिकार

धारणी राणा ने मानव के मूल अधिकारों का वर्णन करते हुए बताया कि सभी मनुष्य को स्वतंत्रतापूर्वक जीने का अधिकार, भोजन करने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, मतदान करके अपना नेता स्वयं चुनने का अधिकार, श्रम करने का अधिकार, न्यायपालिका में अपनी बातों को रखने का अधिकार, स्वतंत्रता पूर्वक यात्रा करने का अधिकार  प्राप्त है। इस कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सविता चंद्राकर  ने विद्यार्थियों को मानव अधिकार के बारे में अधिक से अधिक जानकारी अर्जित करने के लिए प्रेरित किया। 

छात्रसंघ मीडिया प्रभारी पुष्पेंद्र किशोर यादव ने दी जानकारी

उन्होंने कहा कि सभी मनुष्यों को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है। अपने सभी कार्य स्वतंत्र पूर्वक करने का अधिकार है। सभी को अपने अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन कोई भी मनुष्य किसी भी व्यक्ति के मान सम्मान के बारे में या राज्य के बारे में या न्यायपालिका के बारे में गलत विचारधारा ना रखें और और सरकार के द्वारा संचालित सभी नियमों का पालन करते हुए जीवन में आगे बढ़े। कार्यक्रम का संचालन और आभार ज्ञापन सहायक प्राध्यापक गायत्री चंद्राकर ने किया। उक्ताशय की जानकारी छात्रसंघ मीडिया प्रभारी पुष्पेंद्र किशोर यादव ने दी है।

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