छत्तीसगढ़ के बस्तर में दंतेवाड़ा पुलिस की ओर से चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान (Naxalite eradication Campaign) के तहत साल 2021 में कुल 251 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। दंतेवाड़ा पुलिस के लिए साल 2021 बहुत सफल रहा। इस साल पुलिस के लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर और माओवादियों की खोखली विचारधारा को छोड़कर 251 नक्सली मुख्यधारा से वापस जुड़े हैं। इनमें 33 लाख रुपए के 6 खूंखार नक्सली भी शामिल हैं। जबकि जिले में अलग-अलग जगह हुई मुठभेड़ों में जवानों ने लाखों रुपए के इनामी नक्सलियों को ढेर भी किया है। अलग-अलग थाना क्षेत्रों से कुल 74 नक्सलियों की गिरफ्तारी भी की गई है, जिनमें से कुल 6 खूंखार नक्सलियों पर 33 लाख रुपए का इनाम घोषित है।
बस्तर में इन दिनों पुलिस लोन वर्राटू अभियान चला रही है। जिसमें माओवाद का रास्ता छोड़ नक्सलियों की घर वापसी कराई जा रही है। ये अभियान माओवाद को चोट पहुंचाने में कारगर साबित हुआ है। दंतेवाड़ा पुलिस ने साल 2020 में इस अभियान की शुरुआत की थी, जिसके तहत महज डेढ़ साल में ही 480 से ज्यादा माओवादी मुख्यधारा में लौट आए हैं। सरेंडर करने वालों में कुल 117 नक्सली पर इनाम भी घोषित था। दंतेवाड़ा देश का पहला ऐसा नक्सल प्रभावित जिला है, जहां पर पुलिस की ओर से चलाए जा रहे किसी अभियान में महज डेढ़ साल के अंदर इतनी बड़ी सफलता हाथ लगी है।
SP अभिषेक पल्लव ने दी जानकारी
दंतेवाड़ा के SP अभिषेक पल्लव ने बताया कि जिले में नक्सलियों की कमर लगातार टूटती जा रही है। वहीं इलाके के ग्रामीणों का भी पुलिस पर विश्वास बढ़ा है। इसलिए अब वे नक्सलियों का साथ नहीं दे रहे हैं। ग्रामीण गांव में विकास चाहते हैं। पुलिस ने कई नक्सलगढ़ में हाल ही में कई कैंप भी स्थापित किए हैं, जिससे नक्सली काफी हद तक बैकफुट हुए हैं। इस साल एक भी कैजुअल्टी नहीं हुई है। जल्द ही दंतेवाड़ा जिला नक्सल मुक्त हो जाएगा।
क्या है 'लोन वर्राटू' अभियान ?
दंतेवाड़ा में नक्सलियों के लिए एक अनोखी पहल की शुरुआत की गई है। जिसका नाम लोन वर्राटू दिया गया है, जिसका अर्थ है घर वापस लौट आइए। इसके लिए पुलिस के जवानों द्वारा गांव-गांव में प्रचार करवाया जा रहा है।गांव-गांव में पुलिस अधिकारियों के फोन नंबर भी दिए जा रहे हैं, ताकि समर्पण की इच्छा रखने वाले नक्सली सीधे उनसे संपर्क कर सकें। इस अभियान के तहत अब धीरे-धीरे पूरे दंतेवाड़ा जिले से स्थानीय कैडर के नक्सली इस अभियान के तहत पुलिस से संपर्क कर सरकार की मुख्य धारा में लौट रहे हैं।
20 सालों में 4 हजार 739 नक्सलियों की मौत
इधर, नक्सलियों की PLGA यानी 'पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी' ने 109 पन्नों की एक किताब जारी की है। इस किताब में नक्सलियों ने साल 2000 से लेकर अगस्त 2021 तक अपनी सारी कामयाबी और नुकसान का जिक्र किया है। जितने भी माओवादी नेताओं की मुठभेड़ हो या सामान्य मौत उनका भी जिक्र किया है। नक्सलियों ने 109 पन्नों की इस किताब में पिछले 20 सालों की हर एक घटना के बारे में लिखा है। PLGA के मुताबिक बीते 20 सालों में पूरे देशभर में कुल 4739 नक्सलियों की बीमारी, हादसों और मुठभेड़ की वजह से मौत हुई है। इनमें 909 महिला नक्सली भी शामिल हैं। साथ ही सेंट्रल कमेटी मेंबर 16, SSC, SZC, SC मेंबर 44, आरसी मेंबर 9 और जेसी, डीवीसी और डीसी के 168 मेंबर भी शामिल हैं।
3 हजार 672 जवानों को घायल करने का दावा
माओवाद पार्टी के ये सभी बड़े टॉप कैडर हैं। पद के हिसाब से इनकी खूंखार प्रवृत्ति का पता चलता है। माओवादियों के पद के अनुसार 5 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ तक का इनाम था। पुलिस की माने तो कुल 60 करोड़ रुपए से ज्यादा का इनाम इन सभी पर घोषित था। नक्सलियों ने किताब में जो आंकड़े जारी किए हैं उसके मुताबिक पिछले 20 सालों में अब तक कुल 4031 छोटे-बड़े हमले जवानों पर किए गए हैं। PLGA ने पिछले 20 सालों के इन हमलों में कुल 3054 जवानों को मारने और 3672 जवानों को घायल करने का दावा किया है।
1 लाख 55 हजार 356 कारतूस लूटने का जिक्र
मुठभेड़ के बाद जवानों के लगभग 3 हजार 222 हथियार लूटने और 1 लाख 55 हजार 356 कारतूस लूटने का जिक्र भी किताब में किया गया है। वहीं नक्सलियों की तरफ से एंबुश लगाकर जवानों पर किए गए हमलों में 20 सालों में 196 नक्सलियों के मारे जाने की भी बात किताब में लिखी हुई है। नक्सलियों ने देश के अलग-अलग राज्यों में कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। जिसमें सैकड़ों जवानों की शहादत हुई है।
जवानों को एंबुश में फंसाने का दावा
छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में जवानों को एंबुश में फंसाया है। इनमें सबसे बड़े एंबुश, मिनपा, जीरागुड़ेम, सारंडा -2, नवाटोला, ऑपरेशन विकास मदनवेड़ा, सनबाइल एंबुश, ताड़मेटला, टेकलगुड़ा, टाहाकवाड़ा, कसलपाड़, बुरकापाल, उरपलमेटा, धरधारिया, डुमरीनाला समेत 20 से ज्यादा बड़े एंबुश नक्सलियों ने प्लान किए थे। नक्सलियों की बनाई रणनीति में इन सभी एंबुश में कई जवानों की शहादत हुई है। हालांकि कई जगह माओवादियों को भी थोड़े बहुत नुकसान झेलने पड़े थे।
नक्सलियों के व्यक्तिगत जीवन पर किताब
नक्सलियों को संगठन में और मजबूती देने के साथ लोगों में क्रांतिकारी विचारधारा फैलाने के लिए संगठन की किताबों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। PLGA ने अपनी बुक में किताबों का भी जिक्र किया है। साल 1989 में पूर्ववर्ती भाकपा राज्य कमेटी आंध्र प्रदेश ने 'एक जंग' पत्रिका आरंभ की थी। यह नक्सलवाद के शुरुआती दौर के बारे में लिखी पत्रिका थी। जिसने कोई का मन बदला था। वहीं साल 2004 के अंत से भारत की कम्युनिस्ट पार्टी की पत्रिका के रूप में जारी है। वहीं वर्तमान में अलग-अलग राज्यों में कुल 100 से ज्यादा नक्सलियों के व्यक्तिगत जीवन और संगठन को लेकर किताब लिखी हुई है।
छत्तीसगढ़ पुलिस लगातार चला रही अभियान
नक्सलियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी ने अपनी किताब में हेलिकॉप्टर हमले का भी जिक्र किया है। माओवादियों का कहना है कि फोर्स ने उन पर हेलिकॉप्टर और ड्रोन से हमला किया था, लेकिन माओवादियों ने भी ड्रोन और हेलिकॉप्टर को नुकसान पहुंचाया है। साल 2008 में बीजापुर, 2010 में झारखंड, 2011 रांची और छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, 2012 में झारखंड, 2013 में सुकमा हेलिकॉप्टर पर फायरिंग कर नुकसान पहुंचाने की बात लिखी है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है। साथ ही उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।