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IPS उदय किरण और पुलिस के अन्य अधिकारियों के खिलाफ दर्ज होगा FIR !

महासमुंद। छत्तीसगढ़ के प्रथम निर्दलीय विधायक और BJP चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष विमल चोपड़ा ने एक अक्टूबर 2021 को प्रेस क्लब महासमुंद में प्रेसवार्ता आयोजित कर बड़ा खुलासा किया। डाॅ चोपड़ा ने उच्चतम न्यायालय द्वारा 27 सितंबर 2021 को पारित एक आदेश के हवाले से बताया कि नागरिकों पर ज्यादती करने वाले IPS यू उदय किरण और उनके साथी पुलिस कर्मियों छत्रपाल सिन्हा, समीर डुंगडुंग पर FIR दर्ज किया जाना अब तय हो गया है। 



गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर ने 16 मार्च 2019 को काजल सिंह विरूद्ध यू उदयकिरण प्रकरण में पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध जुर्म दर्ज करने का आदेश पारित किया था। जिसके विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील कर पुलिस अधिकारियों ने स्थगन आदेश ले रखा था। सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस ए एस बोपन्ना की ज्वाइंट बेंच में अपील प्रकरण पर 27 सितंबर को सुनवाई हुई। जिसमें  हाईकोर्ट द्वारा FIR करने संबंधी दिए गए आदेश को गंभीर मामला मानते हुए इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

पुलिस अथॉरटी को निर्देश


वहीं उच्च न्यायालय के इस आदेश पर राहत के लिए लगाए गए याचिका को सिरे से खारिज कर दिया गया। इसके साथ ही राज्य सरकार और पुलिस अथॉरटी को निर्देश दिया गया है कि चूंकि यह बहुत ही गंभीर मामला है। इसलिए इसकी जांच CID से कराई जाए और इसकी निगरानी पुलिस अधीक्षक और उनसे उच्च स्तर के CID (क्राइम अधिकारी) से कराई जाए।

यह है नागरिकों पर ज्यादती का मामला


19 जून 2018 की घटना है। खेल मैदान मिनी स्टेडियम परिसर महासमुन्द में खिलाड़ी युवतियों के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ और मारपीट हुई। इसकी शिकायत करने पर पुलिस ने आरोपियों के नाबालिग होने की बात कहकर जुर्म दर्ज करने से इंकार कर दिया। इस बात को लेकर विवाद बढ़ा और संज्ञेय अपराध में जुर्म दर्ज नहीं करने की बात को लेकर तत्कालीन विधायक डा विमल चोपड़ा और उनके समर्थक उद्वेलित हो गए। सिटी कोतवाली महासमुंद का घेराव कर दिया। घंटों तनातनी के बाद तत्कालीन प्रशिक्षु अधिकारी यू उदयकिरण और उनके साथी पुलिस कर्मियों ने विधायक और नागरिकों की जमकर पिटाई कर दी। लाठीचार्ज में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। बाद शिकवा-शिकायतों और न्यायालयीन कार्यवाही का दौर शुरू हुआ। जो अब तक जारी है। हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में पुलिस ज्यादती की सुनवाई हुई। अंततः मामला पीड़ित बालिका काजल सिंह के पक्ष में आया है। इस बीच उसके परिवार वालों को पुलिस के जवानों द्वारा धमकाए जाने की बातें भी सामने आयी थी।

तत्कालीन SP और TI की भूमिका संदिग्ध


प्रेसवार्ता में विमल चोपड़ा ने आरोप लगाया कि तत्कालीन SP संतोष सिंह की भूमिका समूचे मामले में संदिग्ध रही है। इसकी जांच की मांग भी की जाएगी। उन्होंने दावा किया है कि यह छत्तीसगढ़ का पहला मामला है जब साधारण परिवार की साहसी बालिका की शिकायत पर किसी IPS अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज होने जा रहा है। तत्कालीन TI दीपा केंवट द्वारा हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मार्च 2019 में तीन महीने तक FIR दर्ज नहीं करना न्यायालय की अवमानना और आरोपित को बचाने का प्रयास है। इसके विरूद्ध न्यायालय की अवमानना का प्रकरण भी पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक निर्णय से आम आदमी का न्याय व्यवस्था पर विश्वास और भी बढ़ा है।
डॉ चोपड़ा ने कहा कि समूचे मामले में कामता आवडे, संदीप टंडन, विनोद मिंज, पीयूष शर्मा, दरबारी सिंह, सुखलाल भोई, राजेन्द्र गेंदले के खिलाफ भी अपराध पंजीबद्ध करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन लगाएंगे। यह मामला पुलिस सुधार की प्रक्रिया में मील का पत्थर साबित होने वाला है। समूचे मामले में सर्वोच्च न्यायालय में विधिक सहायता सेवा के मोहम्मद इरशाद हनीफ और उनके सहयोगियों की अहम भूमिका रही।
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