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फिर एक किसान ने की आत्महत्या, ये बनी खुदकुशी की वजह

मध्यप्रदेश में किसानों के आत्महत्या (Farmers' suicide in MP) करने की खबरें लगातार सामने आ रही है। कई किसान कर्ज के तनाव में अपनी जान दे रहे हैं तो कई फसल खराब होने के कारण मौत को गले लगा रहे हैं। ताजा मामला ईसागढ़ थाने के बड़ी पिररोल गांव का है, जहां एक किसान ने खाद नहीं मिलने के कारण जहर खा कर आत्महत्या कर ली। किसान धनपाल यादव के परिजनों का‌ आरोप है कि वे खाद नहीं मिलने से काफी समय‌ से परेशान चल रहे थे। इसीलिए उन्होंने सल्फास खा कर अपनी जान दे दी।‌ 

मृतक धनपाल के भाई विवेक ने बताया कि वो 10-15 दिन से खाद के लिए परेशान थे। पुलिस के मुताबिक ईसागढ़ स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल भेजे गए घनपाल की यहां पहुंचने से पहले ही मौत हो चुकी थी। मौत का कारण पोस्टमॉर्टम के बाद ही पता चल पाएगा। विवेक यादव ने बताया कि उसके चाचा ने सल्फास खा कर जान दी है। किसान के आत्महत्या करने के पीछे एक और वजह सामने आ रही है कि धनपाल की 12 बीघा सोयाबीन की फसल पूरी तरह से खराब हो चुकी थी, जिसकी वजह से वो पहले से परेशान चल रहा था। आगामी फसल बोने के लिए तैयार है, लेकिन खाद नहीं मिल पाने से बुआई नहीं हो पा रही थी।

किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़े

साल 2020 में 2019 की तुलना में किसान और कृषि मजदूर की आत्महत्याओं में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।  4 हजार 006 आत्महत्याओं के साथ महाराष्ट्र एक बार फिर लिस्ट में सबसे आगे हैं। इसके बाद कर्नाटक 2 हजार 016, आंध्रप्रदेश 889, मध्यप्रदेश 735 और छत्तीसगढ़ 537 में कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों ने आत्महत्या की है। ये राज्य 2019 में भी इस मामले में दूसरे राज्यों से आगे थे।

खुदकुशी के मामले में कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग सबसे ज्यादा

गुरुवार 28 अक्टूबर को भारत में आत्महत्या पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि किसानों और कृषि मजदूरों की आत्महत्या रुकने के बजाय बढ़ रही है। कुल मिलाकर देश में 2020 के दौरान कृषि क्षेत्र में 10 हजार 677 लोगों ने आत्महत्या की, जो देश में कुल आत्महत्याओं (1 लाख 53 हजार 052) का 7 प्रतिशत है। इसमें 5 हजार 579 किसान और 5 हजार 098 खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याएं शामिल हैं। लगातार 4 साल गिरावट के बाद कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। 2016 में कुल 11 हजार 379 किसान और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की थी। 2017 में इसमें गिरावट आई और संख्या 10 हजार 655 रह गई। 2018 में 10 हजार 349 तो 2019 में इस तरह के आत्महत्या के कुल 10 हजार 281 मामले सामने आए थे। 2020 में ऐसे मामलों की संख्या 10 हजार 677 रही।

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