देश में कोरोना अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसी बीच निपाह वायरस ने चिंता बढ़ा दी है। केरल के कोझिकोड जिले में 11 लोगों में निपाह वायरस के लक्षण दिखे हैं। निपाह वायरस के संक्रमण के मद्देनजर केरल के कोझिकोड में तैनात एक केंद्रीय टीम की एक रिपोर्ट के आधार पर केंद्र ने जिले में अस्पताल और समुदाय-आधारित निगरानी दोनों को मजबूत करने और निषिद्ध क्षेत्रों में मामलों का सक्रियता से पता लगाने की सिफारिश की है। केरल के मुख्य सचिव डॉ. वीपी जॉय को लिखे पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सोमवार को कहा कि कन्नूर, मलप्पुरम और वायनाड के आस-पास के जिलों को सतर्क करने की आवश्यकता है और जिलों के अधिकारियों को संक्रिमतों के संपर्कों की पहचान करने के साथ-साथ उच्च जोखिम वालों, कम जोखिम वालों की संपर्क सूची तैयार करनी चाहिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा है कि सभी उच्च जोखिम वाले संपर्कों को निर्धारित आइसोलेशन सेंटर में ले जाया जा सकता है और लक्षणों की निगरानी की जा सकती है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की केंद्रीय टीम को कोझिकोड जिले में निपाह के प्रकोप के मद्देनजर रविवार को वहां तैनात किया गया था। टीम ने अब तक वन और वन्यजीव मंत्री के साथ-साथ केरल की स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठकों में भाग लिया है। केरल के स्वास्थ्य विभाग ने 251 व्यक्तियों की पहचान की है, जो निपाह वायरस के संक्रमण से जान गंवाने वाले 12 साल के लड़के के संपर्क में आए थे। इनमें से 38 लोग कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अलग से रखा गया है और 11 लोगों में लक्षण नजर आए हैं।
11 में दिखे वायरस के लक्षण
स्वास्थ्य मंत्री ने एक विज्ञप्ति में बताया कि संपर्क में आए 251 लोगों में 129 स्वास्थ्यकर्मी हैं। उन्होंने बताया कि 'कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 38 लोग अलग से रखा गया है, जिनमें से 11 लोगों में संक्रमण के लक्षण दिखे हैं। आठ लोगों के नमूने राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे भेजे गए हैं।' संक्रमण के लक्षण वाले सभी लोगों की हालत स्थिर है। संपर्क में आए 251 लोगों में 54 बहुत ज्यादा जोखिम वाली श्रेणी में हैं और इनमें से 30 स्वास्थ्यकर्मी हैं। इनमें से बच्चे के अभिभावक समेत कुछ रिश्तेदार भी हैं।
2018 हुई थी वायरस की पहचान
दक्षिण भारत में निपाह वायरस का पहला मामला केरल के कोझिकोड में 19 मई 2018 को सामने आया था। एक जून 2018 तक इस संक्रमण के 18 मामले सामने आए थे और 17 लोगों की मौत हो गई थी। तब कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में निपाह के चलते 12 लोगों की मौत के बाद विशेषज्ञों ने चमगादड़ों से नमूने एकत्र किए थे। इसके बाद फ्रूट बैट प्रजाति के चमगादड़ों को घातक वायरस के वाहक के रूप में पहचाना गया था।