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भारतीय पर्वोत्सव राष्ट्रीय चेतना और एकता के प्रतीक हैं: डॉ. अनसूया अग्रवाल

महासमुंद। भारतीय त्योहार और पर्वोत्सव मनाने के पीछे वैज्ञानिकता का भाव है। ये पर्वोत्सव हमारी राष्ट्रीय चेतना और एकता के प्रतीक हैं। इस आशय का प्रतिपादन डॉ. अनसूया अग्रवाल ने किया। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के रजत जयंती वर्ष पर आयोजित समारोह में परिचर्चा को संबोधित कर रही थी। परिचर्चा का विषय था - 'भारतीय त्यौहारों की वैज्ञानिकता'। 


डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा कि प्राकृतिक उपादान हमें प्रेरित करते हैं। इसलिए भारतीय संस्कृति में सूर्य, चंद्र, नदी, पहाड़, पेड़- पौधों की निरंतर पूजा पर्वोत्सव के उपलक्ष में होती है। ये पर्वोउत्सव हमारी बौद्धिक चेतना, आंतरिक ऊर्जा को परिपुष्ट करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत की महिलाओं ने पर्यावरण को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी भी अपने ही नाजुक कंधों पर उठा लिया है।यदि ऐसा न होता तो शायद वर्तमान में जूझ रहे पर्यावरण संकट से भी अधिक भयावह संकट हमारे सामने दिखाई देता। इस हेतु प्रयागराज के त्रिवेणी संगम सम पवित्र भावों को धारण करने वाली भारत की महिलाओं को नमन है।

पांच प्रमुख वक्ताओं का चयन 

बता दें कि इस आयोजन में पूरे भारत भर से पांच प्रमुख वक्ताओं को चयनित किया गया था। जिन्होंने विषय पर अपने विचार रखे। उनमें से चयनित मुख्य वक्ता डॉ. अनसूया महासमुंद (छत्तीसगढ़) थी। उनके चयन और प्रयागराज में वक्तव्य प्रस्तुति पर छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों सहित महासमुंद के प्रबुद्ध प्राध्यापक वर्ग और विद्यार्थियों ने हर्ष व्यक्त किया।

प्रकृति मानव जीवन के लिए संजीवनी 

इस अवसर पर ओम प्रकाश त्रिपाठी सोनभद्र(उत्तर प्रदेश) ने कहा कि हमारी प्रकृति एवं प्राकृतिक वस्तुएं मानव जीवन के लिए संजीवनी है। हमारे समस्त पर्व मानव और प्रकृति के मध्य अन्योन्याश्रित संबंध दर्शाते हैं। डॉ सुधा सिन्हा पटना (बिहार) ने कहा है कि भारतीय त्योहार अपनी वैज्ञानिकता की स्थिरता के साथ जनमानस में सौहार्द की भावना निर्माण करती है। वह हमें अध्यात्मिक बनाते हैं। डॉ. विनय कुमार पाठक  पूर्वाध्यक्ष, राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ ने कहा कि भारतीय त्योहार वैज्ञानिकता से युक्त हैं, जो प्रकृति से परिपूर्णता बनाए हुए जीवन दर्शन को पुष्ट करते हैं। भारतीय त्यौहार पूरे विश्व में मनाए जाते हैं। 

'पूरे विश्व में मनाए जाते हैं भारतीय त्यौहार' 

प्राचार्य डॉ.शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख पुणे (महाराष्ट्र) ने अध्यक्षीय समापन में कहा कि भारतीय त्यौहार पूरे विश्व में मनाए जाते हैं। इन त्योहारों के उपलक्ष्य में पारस्परिक रूप में जुड़ते हुए हम हर्षोल्लास के साथ त्यौहार मनाने के साथ भारतीय संस्कृति का पालन भी करते हैं। शुरू में संस्थान के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर प्रसाद द्विवेदी ने परिचर्चा के विषय की प्रस्तावना में विषय के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।  चर्चा में डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक छग , डॉ वंदना श्रीवास्तव लखनऊ, डॉ पूर्णिमा मालवीय प्रयागराज, डॉ नूपुर मालवीय प्रयागराज सहित अनेक गणमान्य की उपस्थिति रही। संचालन डॉक्टर वंदना श्रीवास्तव मधु शंखधर प्रध्यापिका ने किया।

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