देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर अभी थमा नहीं है। अभी भी रोजाना 40 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। वहीं रोजाना 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। इसी बीच मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जिले में 20 अगस्त तक 204 मरीज थे, जो 3 हफ्ते बाद बढ़कर 700 के करीब पहुंच गए हैं। इतने मामले होने के बावजूद जिले में फिलहाल किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है, लेकिन डेंगू के कारण प्लेटलेट्स की मांग बढ़ती जा रही है।
पूरे प्रदेश में डेंगू के सबसे ज्यादा मामले मंदसौर जिले से सामने आ रहे हैं। इस साल जिले में डेंगू के करीब 700 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें सबसे बड़ा हॉटस्पॉट शहर बना हुआ है। यहां से डेंगू के अब तक 560 मरीज मिल चुके हैं। जबकि बाकी मरीज जिले के अन्य इलाकों से हैं। बढ़ते मामलों को देखते हुए जिले में स्वास्थ्य विभाग ने 63 हॉटस्पॉट बनाए हैं। जहां स्वास्थ्य विभाग की टीमें सर्वे का काम कर रही है। CMHO के एल राठौर की माने तो जिले में 7 सितंबर तक डेंगू के 698 मरीज मिल चुके हैं। जिसमें से 436 स्वस्थ हो चुके हैं। जबकि डेंगू के 262 एक्टिव केस हैं। जिनमें से कोई भी गंभीर मरीज नहीं है।
डेंगू से बचने के उपाय
डेंगू फैलाने वाला मच्छर रूके हुए साफ पानी में पनपता है। जैसे कि कूलर , पानी की टंकी , फ्रिज की ट्रे , फूलदान , नारियल का खोल , टूटे हुए बर्तन और टायर। इसके लिए सभी लोगों को चाहिए कि वे पानी से भरे हुए बर्तनों और टंकियों को ढक कर रखें। कूलर को हफ्ते में एक दिन आवश्यक रूप से सुखाए । बता दें कि डेंगू का मच्छर दिन के समय काटता है। ऐसे में बदन को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहने। डेंगू के इलाद के लिए कोई खास दवा या वैक्सीन नहीं है। बुखार उतारने के लिए पैरासीटामाल टेबलेट का उपयोग किया जाता है। लोगों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे एस्प्रीन या आइबु्रफेन का इस्तमाल अपने आप न करें। डेंगू होने पर डॉक्टर की सलाह ले।
कब पनपते हैं डेंगू के मच्छर?
डेंगू के मच्छर अधिकतर जुलाई से अक्टूबर के बीच ही पनपते हैं। इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। एडीज मच्छर 3 फीट से ज्यादा ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता है। एडीज मच्छर गर्म से गर्म माहौल में भी जिंदा रह सकता है। मानसून के समय पानी इकठ्ठा होने से डेंगू के मच्छर पनपने का अधिक खतरा रहता है। इसलिए गर्मियों की शुरुआत के साथ ही और लोगों के घरों में कूलर लगने के बाद ही बारिश में स्वास्थ्य विभाग घरों में कूलर में पानी जमा होने की चेकिंग शुरू कर देते हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है की यह बीमारी अभी भी उतनी ही घातक है और इसे लेकर पूरी जानकारी होना बेहद जरूरी है।