महासमुंद जिले में लगातार अवर्षा की स्थिति में खरीफ फसल की सिंचाई के लिए कोडार जलाशय परियोजना और लघु जलाशयों से पिछले 13 तारीख से पानी छोड़ जा रहा है। कार्यपालन अभियंता जल संसाधन जे.के. चन्द्राकर ने बताया कि जिले के सबसे बड़े कोडार जलाशय छोड़े गए पानी से 21 ग्रामों की 7000 हेक्टेयर में प्रथम सिंचाई पूर्णत की ओर है। उन्होंने बताया कि 33 ग्रामों की 9000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई जारी है। जिले के 20 एनीकटों में से 5 एनीकटों में उपलब्ध जल भराव से कृषकों द्वारा स्वयं के साधन से अपने खेतों को सिंचित किया जा रहा है।
जिले में चालू मानसून के दौरान लगातार अवर्षा की स्थिति बनी हुई है। इसके कारण जिले के अधिकांश नालों में पानी शेष नहीं है। जिससे व्यपवर्तन एनीकट में जल भराव खत्म हो गया है। जिले के शेष 53 लघु जलाशयों में 5 से 20 प्रतिशत तक ही जल भराव हुआ है। जल संसाधन अधिकारी ने बताया कि वर्तमान स्थिति में सिंचाई के लिए पानी देना सम्भव नहीं हो पा रहा। उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव द्वारा 19 अगस्त को वीडियों कॉन्फ्रेंस के जरिए सिंचाई के लिए बांधों, जलाशयों में जल प्रदाय की समीक्षा की गई थी। उन्होंने बांधों में 16 प्रतिशत जल भराव या उससे कम स्थिति में सिंचाई के लिए जल प्रदाय नहीं किए जाने के निर्देश दिए गए थे।
जल संसाधन अधिकारी ने दी जानकारी
जल संसाधन अधिकारी चंद्राकर ने जानकारी देते हुए बताया कि कोडार जलाशय में 24 अगस्त की स्थिति में मात्र 23 प्रतिशत जल भराव ही शेष है। ऐसे स्थिति इस जलाशय से आगामी 6 दिन तक ही खरीफ सिंचाई के लिए पानी दिया जाना संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार की स्थिति जिले के लघु जलाशयों की भी बनी हुई है। उन्होंने जिले के किसानों से पुन अपील की है कि सिंचाई के लिए नहरों से छोड़े जा रहें पानी का विभागीय जल प्रबंधन में समन्वय करते हुए इसका सदुपयोग करें। खेतों की सिंचाई हो जाने के बाद कुलाबों को बंद करें और किसी भी स्थिति में पानी का अपव्यय न हो या खेतों से छलककर पानी नालों में ना जाएं इसका विशेष ध्यान रखा जाए।