बलरामपुर पढ़ना-लिखना अभियान के तहत प्रशासन और न्यायपालिका की संयुक्त पहल पर अब निरक्षर कैदी भी साक्षर होंगे। इसी कड़ी में जिला जेल रामानुजगंज में पढ़ना-लिखना अभियान की शुरूआत की गई, जिसके तहत 78 विचाराधीन निरक्षर कैदियों को साक्षर किया जाएगा। इन निरक्षर कैदियों को साक्षर करने के लिए स्वयंसेवी शिक्षक उन्हीं कैदियों में चयनित किए जाएंगे जो कम से कम 12वीं कक्षा पास हैं। निरक्षर शिक्षार्थी के लिए अभियान के तहत 120 घंटे की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद परीक्षा आयोजित कर सफल शिक्षार्थियों को साक्षरता उत्तीर्ण प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाएगा।
कार्यक्रम में साक्षरता के जिला परियोजना अधिकारी ओमप्रकाश गुप्ता ने पढ़ना-लिखना अभियान का परिचय कराते हुए विचाराधीन कैदियों से कहा कि आप अपना नाम लिखने, हस्ताक्षर करने और अक्षर ज्ञान प्राप्त करें। साथ ही यहां से बरी होने के बाद आप जहां जाएंगे, वहां भी इस कार्यक्रम का लाभ लेकर अपने जीवन में शिक्षा को आगे बढ़ा सकते हैं। जिला प्रशासन द्वारा आप सभी को पढ़ाई में हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।
कैदियों के पढ़ाई के लिए की गई पूरी व्यवस्था
जिला जेल में विचाराधीन कैदियों के पढ़ाई की पूरी व्यवस्था की गई है। पढ़ाने वाले स्वयंसेवी शिक्षकों को भी शिक्षण कार्य के लिए सहयोग किया जा रहा है। इस अवसर पर द्वितीय अपर जिला और सत्र न्यायाधीश मधुसुदन चंद्राकर ने विचाराधीन कैदियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे संविधान में नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जिसमें शिक्षा भी एक मौलिक अधिकार है। आप सभी असाक्षर है, साक्षर होने के बाद आप अपने मौलिक अधिकार को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे।
जेल स्टाफ सहित 78 कैदी रहे उपस्थित
जिला जज ने कहा कि आप सब साक्षर होने के बाद अपना अच्छा या बुरा और न्यायालयीन प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे और साक्षर होने पर कोई आपके अधिकारों का हनन नहीं कर पाएगा। इस दौरान 78 कैदी शिक्षार्थियों को कॉपी, स्लेट, रबर, पेंसिल और कटर वितरित कर शिक्षा प्राप्त करने के लिए शुभकामनाएं दी गई। कार्यक्रम में रोहित जायसवाल, विकासखंड शिक्षा अधिकारी रामचंद्रपुर विजय कुमार चौबे, विकासखंड परियोजना अधिकारी साक्षरता प्रदीप चौबे, संकुल प्रभारी पंकज तिवारी, जिले से राजेश कुमार गुप्ता और जेल स्टाफ सहित 78 कैदी उपस्थित रहे।