मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट द्वारा बीते 20 जुलाई को राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा देने का फैसला सराहनीय है। सरकार के इस फैसले से मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए किसानों के समान ब्याज रहित ऋण सुविधा मिलने के साथ ही जलकर और विद्युत शुल्क में भी छूट का लाभ मिलेगा। इससे मछली पालन को बढ़ावा मिलने के साथ ही इससे जुड़े कवर्धा जिले के हजार लोगों की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएगा।
कवर्धा जिले में छत्तीसगढ़ सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के प्रांरभिक तौर पर प्रक्रिया शुरू हो गई है। कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने आज यहां समय सीमा की बैठक मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई योजना की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि यह योजना राज्य सरकार की प्राथमिकता वाली योजना है। इस योजना से जिले के मछली पालन से जुड़े हजारों परिवारों को इससे लाभ मिल सकता है। उन्होंने मछली पालन विभाग के अधिकारी को विकासखंडवार मछली पालन से जुड़े हितग्राहियों का चिन्हांकित करने के निर्देश दिए हैं।
सहायक संचालक ने दी जानकारी
मछली पालन विकास के सहायक संचालक हरगोविंद मेहरा ने बैठक में बताया कि राज्य शासन द्वारा मछली पालन को कृषि के समान विद्युत दर, सिंचाई दर और संस्थागत ऋण सहायता प्रदान करने का फैसला लिया गया है। मछली पालन के लिए मत्स्य पालकों, मत्स्य समूह और समितियों को निशुल्क सिंचाई जल-आपूर्ति के साथ विद्युत दर में अनुदान और अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान देय होगा। इस संबंध में विभाग से विस्तृत दिशा-निर्देश जारी होने के बाद हितग्राहियों का चयन किया जाएगा। हालांकि इस योजना का प्रांरभिक क्रियान्वयन शुरू कर दी गई है।
मछली पालन के क्षेत्र में लगातार बढ़ोतरी
हितग्राहियों को चिन्हांकित किया जा रहा है, ताकि मछली पालन से जुड़े सभी किसानों को इस योजना का लाभ दिया जा सकें। वर्तमान में मछली पालन से जुडे 16 हितग्राहियों को चिन्हाकित किया गया है। जिसमें ग्राम पोड़ी, मगरदा, पांडताराई, कोसमंदा, भानपुर, मजगांव, लासाटोला, दौजरी, सिंघनपुरी जंगल, सिंघनपुरी गो, पैलपार, ग्राम हरदी, और बोटेसुर के मछली पालन किसान शामिल है। बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य में बीते ढाई सालों में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से मछली पालन के क्षेत्र में लगातार बढ़ोतरी हुई है।
मछुआरों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा
राज्य में ढाई सालों में मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में 13 प्रतिशत और मत्स्य उत्पादन में 9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। कृषि का दर्जा मिलने से मत्स्य पालन के क्षेत्र में राज्य अब और तेजी से आगे बढ़ेगा, यह संभावना प्रबल हो गई है। छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य पालन के लिए अभी मछुआरों को एक प्रतिशत ब्याज पर एक लाख तक और 3 प्रतिशत ब्याज पर अधिकतम 3 लाख रुपए तक ऋण मिलता था। इस क्षेत्र को कृषि का दर्जा मिलने से अब मत्स्य पालन से जुड़े लोग सहकारी समितियों से अब अपनी जरूरत के मुताबिक शून्य प्रतिशत ब्याज पर सहजता से ऋण प्राप्त कर सकेंगे। किसानों की तरह अब मत्स्य पालकों और मछुआरों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिलेगी।