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जिले के 2 पुरातात्विक शैलाश्रय संरक्षित क्षेत्र घोषित होंगे, पुरातत्व विभाग की कार्रवाई जारी

राज्य शासन के पुरातत्व विभाग द्वारा कोरबा जिले के दो शैलाश्रयों बरहाझरिया और हाथामाड़ा को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाएगा। इसके लिए पुरातत्व विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है और जिला प्रशासन से इन दोनो शैलाश्रयों की पूरी जानकारी और पटवारी नक्शा मंगाया है। कोरबा तहसील के छातीबहार गांव के पास स्थित बरहाझरिया शैलाश्रय और अरेतरा गांव के पास स्थित हाथामाड़ा शैलाश्रय के 300 मीटर परिवृत्त क्षेत्र को संरक्षित किया जाएगा। इन दोनों शैलाश्रयों की पहचान क्षेत्र के पुरातत्व मार्गदर्शक हरिसिंह क्षत्री ने की है। दोनों क्षेत्रों को छत्तीसगढ़ प्राचीन स्मारक-पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम के प्रावधानों के तहत संरक्षित घोषित किया जाएगा।


अरेतरा के पास स्थित हाथामाड़ा शैलाश्रय कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर बालको-लेमरू मार्ग पर स्थित है। यह मानघोघर नदी के दाहिने तट पर मुख्य मार्ग से लगभग तीन किलोमीटर दूर है। यहां पुरातन काल के हाथ के पंजो के 65 शैलचित्र मिले हैं। दो शैलचित्र ज्यामितीय प्रकार के हैं। इस शैलाश्रय में बच्चों के पंजो की आकृतियां भी लाल और सफेद रंग में मिली हैं। 

संरक्षित स्थलों की संख्या 6 

छातीबहार के पास स्थित बरहाझरिया शैलाश्रय में हाथ के पंजों के 60 चित्र हैं। यहां 40 ज्यामितीय प्रकार के शैलचित्र, 20 हिरण के शैलचित्र और 30 अन्य शैलचित्र भी मिले हैं। जिला मुख्यालय से बरहाझरिया लगभग 35 किलोमीटर दूर है। पुरातत्ववेत्ता और जानकार इन शैलचित्रों को प्रागैतिहासिक काल से लेकर मध्य और महापाषाण काल तक के मानते हैं। जिले के पुरातत्व संग्रहालय के मार्गदर्शक हरिसिंह क्षत्री ने बताया कि इन दोनों शैलाश्रयों के संरक्षित स्थल घोषित होने के बाद कोरबा जिले में पुरातत्व की दृष्टि से संरक्षित स्थलों की संख्या 6 हो जाएगी। इससे पहले भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा कोरबा जिले के पाली के शिवमंदिर, तुमान के शिव मंदिर और चैतुरगढ़ के किले को संरक्षित स्थल घोषित किया गया है। 

शासन का आभार

वहीं राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा कुदुरमाल स्थित कबीर पंथियों की साधना एवं समाधि स्थल को भी संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। क्षत्री ने बताया कि कोरबा जिले में पुरातात्विक महत्व के कई शैलचित्र और शैलाश्रयों की पहचान लगातार हो रही है। कोरबा जिले की इस पुरातात्विक संपत्ति से जिले की देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पहचान बढ़ती जा रही है। मानव सभ्यता के विकास के बारे में इन शैलचित्रों से कई महत्वपूर्ण जानकारियां पुरातत्ववेत्ताओं को मिलती हैं। क्षत्री ने राज्य शासन द्वारा जिले के दो शैलाश्रयों को संरक्षित स्मारक घोषित करने के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए शासन का आभार भी माना है।

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