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बांधों और जलाशयों से किसानों को सिंचाई के लिए मिलेगा पानी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर जल संसाधन विभाग ने गंगरेल सहित राज्य के सभी बांधों और जलाशयों से खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए तत्काल पानी छोड़ने का फैसला लिया है। कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे की अध्यक्षता में  उनके निवास कार्यालय में आयोजित विभागीय अधिकारियों की बैठक में यह फैसला लिया गया। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुलाकात कर खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए बांधों और जलाशयों से पानी छोड़ने का आग्रह किया था। इस पर मुख्यमंत्री ने दुर्ग और रायपुर संभाग के कुछ इलाकों में अल्प वर्षा की वजह से खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए बांधों और जलाशयों से पानी छोड़ने के संबंध में कृषि एवं जल संसााधन मंत्री रविंद्र चौबे को तत्परता से आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे।  


मुख्यमंत्री  बघेल द्वारा किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिए जाने के निर्देश के परिपालन में कृषि एवं जल संसाधन मंत्री चौबे ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली और राज्य के सभी बांधों और जलाशयों में जल भराव और पानी छोड़ने की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की। मंत्री चौबे ने कहा कि  गंगरेल बांध में वर्तमान में मात्र 39 प्रतिशत जल भराव है। उन्होंने अधिकारियों को अल्प वर्षा और खरीफ फसलों की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप गंगरेल से तत्काल सिंचाई के लिए पानी छोड़ने के निर्देश दिए। 

सिंचाई के लिए की जा रही जलापूर्ति की जानकारी

मंत्री चौबे ने राज्य के अन्य इलाकों के सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए की जा रही जलापूर्ति की भी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि ऐसी सिंचाई परियोजना जिनसे पेयजल के लिए भी पानी दिया जाता है, उनमें पीने के पानी को सुरक्षित रख शेष जल की आपूर्ति सिंचाई के लिए की जानी चाहिए, ताकि खरीफ की फसलों को वर्तमान स्थिति में बचाया जा सके।  

गंगरेल से कमांड एरिया में सिंचाई 

बैठक में जल संसाधन विभाग के सचिव अविनाश चम्पावत ने बताया कि 15 अगस्त की स्थिति में राज्य की 12 वृहद परियोजनाओं में 68.13 प्रतिशत जल भराव है, जबकि 34 मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में 51.14 प्रतिशत पानी है। बीते साल इसी अवधि में सिंचाई परियोजनाओं में क्रमश 78 प्रतिशत और 67 प्रतिशत जल भराव था। उन्होंने बताया कि गंगरेल में आज की स्थिति में मात्र 39 प्रतिशत जल उपलब्ध है। गंगरेल के कैचमेंट के इलाके में अल्प वर्षा की वजह से यह स्थिति बनी है। उन्होंने बताया अगर बारिश नहीं हुई तो गंगरेल से कमांड एरिया में सिंचाई के लिए एक हफ्ते तक पानी दिया जा सकेगा। 

सिंचाई के लिए जलापूर्ति

बैठक में मुख्य अभियंता महानदी-गोदावरी कछार  डी.सी. जैन ने बताया कि भानुप्रतापपुर अंचल में इस साल अब तक मात्र 289 मि.मि. वर्षा हुई है। इस वजह से तांदुला जलाशय में जल भराव 17 प्रतिशत है, ऐसी स्थिति में तांदूला से अल्प मात्रा में ही सिंचाई के लिए जलापूर्ति हो सकेगी। उन्होंने बताया कि सिकासार और जोंक परियोजना से लगातार सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। अब तक दोनों परियोजनाओं के कमांड क्षेत्र में खरीफ फसलों की एक सिंचाई के लिए पानी दिया जा चुका है। बैठक में प्रमुख अभियंता इंद्रकुमार उइके ने बताया कि कोडार परियोजना से सिंचाई के लिए 3 दिन पहले पानी छोड़ दिया गया है। 

खरीफ फसलों के लिए लगातार दिया जा रहा पानी 

राजनांदगांव जिले के पिपरिया जलाशय, मोंगरा बैराज, सूखा नाला बैराज, रूसे जलाशय कवर्धा जिले के सरोदा, छीरपानी, बैहराखार, दुर्ग जिले के खपरी जलाशय, महासमुंद के टेसवा, रायपुर के कुम्हारी, बलौदाबाजार के बलार, धमतरी के सोंढूर जलाशय, कांकेर के घुघवा, बस्तर के कोसारटेडा, मुंगेली जिले के मनियारी जलाशय, बिलासपुर जिले के अरपा-भैसाझार, खारंग, कांकेर जिले के पलारकोट जलाशय, कोरबा के बांगो परियोजना, रायगढ़ के केलो बैराज, सरगुजा के श्यामघुनघुटा परियोजना, बरनाई और कुंवरपुर जलाशय परियोजना, कोरिया जिले के गेज और झुमका जलाशय से खरीफ फसलों के सिंचाई के लिए लगातार पानी दिया जा रहा है। 

बैठक में ये रहे उपस्थित

उन्होंने बताया कि राज्य के वृहद और मध्यम परियोजनाओं के अलावा अन्य परियोजनाओं से जलापूर्ति की जा रही है। बैठक में जल संसाधन विभाग के सचिव अविनाश चम्पावत, प्रमुख अभियंता इन्द्रकुमार उइके, मुख्य अभियंता महानदी-गोदावरी कछार डी.सी. जैन, मुख्य अभियंता महानदी परियोजना आर. के. नगरिया, मुख्य अभियंता जल संसाधन बिलासपुर ए.के. सोमावार एवं मुख्य अभियंता अंबिकापुर एस. के. रवि उपस्थित थे। 

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