धान की फसल में खरपतवार एक बहुत बड़ी समस्या है। अगर समय पर इसका नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। खरपतवार पैदावार में कमी के साथ धान में लगने वाले रोग के कारकों और कीट व्याधियों को भी आश्रय देते हैं। धान की फसल में खरपतवार के कारण 15-85 प्रतिशत तक नुकसान होता है, कभी कभी यह नुकसान 100 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। इसलिए सही समय पर खरपतवार नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के अनुशंसा के अनुसार कृषि विज्ञान केंद्र नारायणपुर के वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि सीधी बुआई वाले धान में बुआई के 15-45 दिन और रोपाई वाले धान में रोपाई के 35-45 दिन तक फसल को खरपतवार मुक्त रखना आर्थिक रूप से लाभदायक होता है। साथ ही फसल का उत्पादन ज्यादा प्रभावित नहीं होता है। बुआई के 3 दिन के अंदर खरपतवार नियंत्रण के लिए पायरेजोसल्फ़ुएरोन 10 डब्लू .पी. दवा का छिड़काव 80 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए । इस दौरान खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
जेट नोजल का प्रयोग
दूसरी बार बुआई के 20-25 दिन के भीतर बिसपायरिबैक सोडियम दवा का छिडकाव 100 एम एल प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए। इसके छिड़काव से घास कुल के संकरी पत्ती वाले जैसे सांवा और चौड़ी पत्ती वाले जैसे कौआ, कैनी और मोथा का नियंत्रण हो जाता है। खरपतवारनाशी रसायन के छिड़काव के लिए हमेशा फ्लैट फेन या फ्लैट जेट नोजल का प्रयोग प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए करना चाहिए।
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बीजापुर कृषि विज्ञान केंद्र ने कलेक्टर के निर्देशानुसार जिले के उद्यानिकी कृषकों के लिए बहुमंजिला खेती यानी मल्टीलेयर फार्मिंग कार्ययोजना तैयार किया है। इसके लिए बीजापुर जिले के 200 किसानों का चयन किया गया है। साथ ही आवश्यक संसाधन जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे किसानों के आय में बढ़ोतरी हो सके। बहुमंजिला खेती के इस तकनीक से एक साथ 05 फसलों की बुआई कम लागत में 08 गुना ज्यादा आय प्राप्त होगी, जो कि कृषकों की आय दोगुनी करने में एक रामबाण साधन साबित होगी।
लगाया जा सकता है 4 से 5 फसल
बहुमंजिला खेती से किसानों को विभिन्न लाभ होंगे, जैसे कि किसानों को मुनाफा प्रति इकाई क्षेत्र ज्यादा मिलेगा। इससे खेत का प्रबंधन आसानी से किया जाता है। इस पद्धति से पानी की 70 प्रतिशत बचत होती है। खाद उर्वरक की बचत होती है और फसल में जितनी खाद,उर्वरक लगती है उतने में 4 से 5 फसल लगाया जा सकता है और भूमि खरपतवार प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है।