छत्तीसगढ़ में कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों से रोजाना मरीजों की पहचान हो रही है। इसी बीच अब प्रदेश सरकार ने ब्लैक फंगस को नोटिफिएबल डिसीज घोषित कर दिया है। ब्लैक फंगस को नोटिफिएबल डिसीज यानी महामारी की सूची में शामिल कर दिया गया है। अब ब्लैक फंगस से जुड़े मामलों की जानकारी सरकारी स्तर पर जुटाई जाएगी, फिर उसका विश्लेषण कर नीतियां तय की जाएंगी, ताकि वक्त रहते जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सके।
स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दिया है। आदेश जारी होने के बाद अब शासकीय और निजी अस्पतालों को इसके स्क्रिनिंग, पहचान, प्रबंधन के संबंध में छत्तीसगढ़ राज्य शासन, ICMR और भारत सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
दुर्ग में ब्लैक फंगस से तीसरी मौत, प्रदेश में अब तक हो चुकी है 4 लोगों की मौत
राज्य के सभी स्वास्थ्य प्रदाताओं को ब्लैक फंगस के संदेहास्पद या पुष्टिकृत प्रत्येक प्रकरण को संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को सूचित करना अनिवार्य होगा। इसके तहत कोई भी व्यक्ति-संस्था द्वारा ब्लैक फंगस के लिए किसी भी प्रिंट, इलेक्ट्रानिक या अन्य प्रकार के मीडिया का उपयोग, स्वास्थ्य विभाग की अनुमति के बिना नहीं किया जाएगा। किसी भी व्यक्ति द्वारा इस नियम की अवज्ञा करने पर भारतीय दंड सहिता के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा। यह अधिसूचना इसके प्रकाशन की तिथि से लागू होगी और आगामी एक साल तक वैध रहेगी।
सभी राज्य सरकारों को अलर्ट जारी
स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने राज्यों से कहा है कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन के केस बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं और इससे कोरोना मरीजों की मौतों की संख्या भी बढ़ रही है। हमारे सामने यह एक नई चुनौती है। कई राज्यों के कोरोना मरीजों में म्यूकर माइकोसिस नाम का फंगल इन्फेक्शन सामने आया है। ये खास तौर से उन मरीजों में दिखाई दे रहा है, जिन्हें स्टेरॉयड थेरेपी दी गई है और जिनका शुगर लेवल अनियंत्रित है।
गंभीर बीमारी घोषित करने के निर्देश
बता दें कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे ब्लैक फंगस को महामारी एक्ट 1897 के तहत गंभीर बीमारी घोषित करें। इसके तहत सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर ब्लैक फंगस की निगरानी, पहचान, इलाज और इसके मैनेजमेंट पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन किया जाए। ब्लैक फंगस के सभी मामलों की रिपोर्ट जिला स्तर के चीफ मेडिकल ऑफिसर को की जाए। इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम सर्विलांस सिस्टम में भी इसकी जानकारी दी जाए।
क्या है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाइयां ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है। अगर व्यक्ति के शरीर में यह फंगस सूक्ष्म रूप में शरीर के अंदर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े प्रभावित होंगे, जिससे गंभीर बीमारी हो सकती है। अगर इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया गया तो यह घातक हो सकती है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
बीमारी कोविड-19 मरीजों में जो डायबीटिक मरीज हैं या अनियंत्रित डायबीटिज वाले व्यक्ति को, स्टेरोईड दवाइयां ले रहे व्यक्ति को या ICU में ज्यादा समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है। बीमारी के लक्षणों में आंख, नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना ब्लैक फंगस का लक्षण है।
ब्लैक फंगस से बचने के उपाय
इसी तरह चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाकध्तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढ़िला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना भी लक्षण है। धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर ब्लैक फंगस से बचा जा सकता है।