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तेज बुखार के साथ सिर, आंख और शरीर में दर्द हो सकते हैं डेंगू के लक्षण


कोरोना संक्रमण के दौरान आने वाले बुखार और शरीर में दर्द जैसे लक्षण डेंगू के हो सकते हैं। इस लिए मानसून आने के साथ ही डेंगू रोग के संक्रमण से बचाव के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना जरुरी होता है। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत 16 मई को हर साल स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। वर्तमान में कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए जागरुकता रैली निकालने सहित गतिविधियां संभव नहीं है। ऐसे में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने सभी जिलों के CMHO और जिला मलेरिया अधिकारियों को वर्चुवल मीटिंग, सोशल मिडिया, बैनर, पोस्टर सहित हैंडबिल के माध्यम से प्रचार कर लोगों को जागरुक करने गतिविधियां संचालित करने का निर्देश दिया हैं।





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शहर और गांवों में मितानिन और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा दीवार पर नारे लेखन का काम किया जाएगा| स्थानीय स्तर पर फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर को कोविड-19 गाइड लाइन का पालन करते हुए सामाजिक दूरी, मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करना होगा । CMHO डॉ. एसके शर्मा के मुताबिक डेंगू से बचाव के लिए आम लोगों को सजग होना जरुरी है। यह मच्छर साफ पानी में पनपता है इसलिए घर या आसपास कहीं भी इसे जमा नहीं होने दें।





मलेरिया नियंत्रण अधिकारी ने दी जानकारी





वहीं जिला मलेरिया नियंत्रण अधिकारी डॉ. ज्योति अनिल जसाठी ने कहा कि जिले में अभी तक डेंगू का एक भी केस सामने नहीं आया है। इससे निपटने के लिए शहरी क्षेत्र में नगर निगम प्रशासन को जलजमाव नहीं होने देने और फॉगिंग कराने के लिए निर्देश दिए गए हैं। जिले के चारों ब्लॉकों में सभी PHC प्रभारी के माध्यम से ग्राम स्तर पर ब्लीचिंग पाउडर और चूने का छिड़काव कराने के साथ आमजन को जागरूक करने वाले हैंडबिल वितरित किए जाएंगे। यह बीमारी मानसून के समय आती है और इसी समय सबसे ज्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। मानसून के साथ डेंगू के मच्छरों के पनपने का मौसम भी शुरू होता है।





कब पनपते हैं डेंगू के मच्छर?





डेंगू के मच्छर अधिकतर जुलाई से अक्टूबर के बीच ही पनपते हैं। इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। एडीज मच्छर 3 फीट से ज्यादा ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता है। एडीज मच्छर गर्म से गर्म माहौल में भी जिंदा रह सकता है। मानसून के समय पानी इकठ्ठा होने से डेंगू के मच्छर पनपने का अधिक खतरा रहता है। इसलिए गर्मियों की शुरुआत के साथ ही और लोगों के घरों में कूलर लगने के बाद ही बारिश में स्वास्थ्य विभाग घरों में कूलर में पानी जमा होने की चेकिंग शुरू कर देते हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है की यह बीमारी अभी भी उतनी ही घातक है और इसे लेकर पूरी जानकारी होना बेहद जरूरी है।





डेंगू का मच्छर आम मच्छर से होता है अलग





डेंगू के मच्छर का नाम एडीज बताया गया है। इस मच्छर के काटने से डेंगू की बीमारी होती है। यह आम मच्छरों से अलग होता है। बता दें कि यह मच्छर अधिकतर रोशनी में काटते हैं। कई रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि यह मच्छर सुबह के वक्त काटते हैं। सुबह और दिन के वक्त या जब रोशनी हो तो इसका अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है। एडीज ज्यादा ऊंचाई तक उड़ने में सक्षम नहीं होता और यही कारण है की यह अधिकतर घुटनो के नीचे काटता है। यह एक भ्रम है की डेंगू के मच्छर सिर्फ गंदे पानी में पनपते हैं। साफ-सुथरे इलाकों में और साफ-सुथरे पानी में यह मच्छर पनपते हैं तो सभी को इसका ध्यान रखने की जरूरत है।





डेंगू बुखार के लक्षण





मादा एडीज यानी अगर डेंगू मच्छर अगर काटे तो इसके कुछ दिनों बाद लक्षण दिखने शुरू होते हैं । ठंड के साथ तेज बुखार, सिर, आंखों, मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द, कमजोरी, भूख न लगना, चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल चकत्ते इसके लक्षण है ।





कैसे करें बचाव?





  • साफ या गंदा पानी जमा कर के न रखें।
  • कूलर के पानी को भी 7 दिन में बदलें और हो सके तो उसमें थोड़ा सा मिट्टी का तेल डाल दें।
  • पानी की टंकी को ढक्कन से ढक कर रखें।
  • खिड़कियों को जाली या शीशे से बंद कर के रखें और दरवाजे भी बंद कर के रखें ताकि मच्छर घर में न आ सकें।
  • मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी या स्प्रे का प्रयोग करें।
  • एक्वेरियम, फूलदान में हर हफ्ते पानी बदलें।




तीन प्रकार का होता है डेंगू





सामान्य या क्लासिकल - बुखार के साथ तेज दर्द, और शरीर पर दाने लेकिन यह चार से पांच दिन में बिना दवा ठीक हो जाता है। कुछ लोगों को सामान्य दवाएं दी जाती हैं।





डेंगू हैमरेजिक - यह खतरनाक होता है और प्लेटलेट और व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम हो जाती है। नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना या स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के चकते जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।





डेंगू शॉक सिंड्रोम - इसमें मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है। बीपी और नब्ज की गति कम हो जाती है। तेज बुखार के बावजूद स्किन ठंडी लगती है।


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