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सावधान: सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक, भड़काऊ पोस्ट करने पर जाना पड़ सकता है जेल


दुर्ग जिला एवं सत्र न्यायाधीश और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में विशेष अभियान 'प्रयास' ( एक कदम साइबर अपराध को रोकने के लिए) चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत 21 फरवरी से 25 फरवरी 2021 तक तहसील कार्यालय में चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम (Awareness program) में न्यायाधीश गणों द्वारा आम जनता को साइबर अपराध से संबंधित जानकारी प्रदान की जा रही है।





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न्यायाधीश गणों द्वारा बताया गया है कि लॉकडाउन में लोग घरों में बैठे हैं और ज्यादातर समय इंटरनेट पर बीत रहा है। बैंकिंग का काम (Banking work) भी ऑनलाइन हो रहा है। ऐसे में कुछ हैकर्स एक्टिव होकर मौके का फायदा उठा रहे हैं और लोगों को कभी कोई स्कीम के नाम पर तो कभी डोनेशन के नाम पर चूना लगा रहा है।





सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय रहे अलर्ट





कुछ लोग सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट (Fake account on social media) बनाकर ठगने का काम भी कर रहे हैं। ऐसे में सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल करते समय अलर्ट रहना चाहिए। हाल ही में फर्जी फेसबुक अकाउंट से धोखाधड़ी (Fraud with fake Facebook account) के कई मामले सामने आए हैं। साइबर ठग फेसबुक का फर्जी अकाउंट खोलकर लोगों से चीटिंग कर रहे हैं और यह काम इतनी होशियारी से किया जा रहा है कि यूजर्स को खबर तक नहीं लग पाती कि उसके फर्जी खाते का इस्तेमाल किया जा रहा है।





साइबर ठग इस तरह भी देते हैं वारदात को अंजाम





साइबर ठग सबसे पहले आपके प्रोफाइल से आपका फोटो डाउनलोड कर के आपके नाम से फेक अकाउंट बनाकर आपके फ्रेंड को रिक्वेस्ट भेजता है। जैसे ही फ्रेंड रिक्वेस्ट को आपका फेसबुक फ्रेंड मंजूर करता है वैसे ही आपके फ्रेंड से डोनेशन के नाम पर पैसे मांगा जाता है। ये साइबर ठग अपनी बातों में ऐसे उलझाते हैं कि लोग उनके झांसे में आ जाते हैं। फिर वॉलेट से पैसा मांग जाता है।





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इन बातों का रखें ध्यान





कुछ ऐसे भी मामले आए हैं, जिनमें साइबर ठग लोगों को विश्वास में लेकर उनके वॉलेट की जानकारी मांगते हैं और फिर उसे खाली कर देते हैं। इस बारे में अलर्ट भी किया है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय बेहद अलर्ट रहे और किसी डोनेशन के मेल या रिक्वेस्ट पर ध्यान न दें। सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड बदलते रहें। अपने सोशल अकाउंट की प्राइवेसी को बदलते रहें। अपनी फ्रेंड लिस्ट को प्राइवेट रखें। अपने सोशल मीडिया अकाउंट को पब्लिक न करें।





हो सकती है जेल





संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है। इंटरनेट और सोशल मीडिया ने इसे प्रोत्साहित करने में अहम रोल निभाया। अगर किसी पोस्ट पर या फिर किसी पोस्ट को शेयर करने से किसी की भावना आहत होती है या दो समुदायों के बीच नफरत पैदा होती है, तो आपको जेल जाना पड़ सकता है। इसके तहत अगर आप फेसबुक, ट्विटर, टिक टॉक, शेयर चैट, यूट्यूब समेत अन्य सोशल मीडिया पर किसी भी तरह का आपत्तिजनक, भड़काऊ या फिर अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत पैदा करने वाला पोस्ट, वीडियो या फिर तस्वीर शेयर करते हैं, तो आपको जेल जाना पड़ सकता है।





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इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी यानी आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपत्तिजनक पोस्ट करता है या फिर शेयर करता है, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई टिक टॉक, शेयर चैट, फेसबुक, ट्विटर समेत किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करके अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ IT की धारा 67 के तहत कार्रवाई की जाती है।


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