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प्रधानमंत्री आवास को लेकर गंभीर नहीं है छत्तीसगढ़ सरकार !


  • सांसद चुन्नीलाल ने लोकसभा में उठाया गड़बड़ी का मुद्दा।




नईदिल्ली/महासमुन्द. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास (PM Aawas Yojana)को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार गंभीर नहीं है। आवासहीनों को खुद का आशियाना बनाने में राज्य सरकार और अफसर रोड़ा अटका रहे हैं। ऐसा कहना है महासमुन्द लोकसभा क्षेत्र से संसद सदस्य चुन्नीलाल साहू का। सदन में बजट प्रस्तुत होने के बाद आज पहले ही दिन सांसद साहू ने प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। समयाभाव के कारण इस पर सदन में चर्चा नहीं हो पाई। तब नियम 377 के तहत अध्यक्ष ने पटल से इस मुद्दे को ग्राह्य किया।





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सदन पटल में लिखित वक्तव्य





सांसद ने सदन में पटल पर रखे (प्रस्तुत) वक्तव्य में कहा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना(PM Aawas Yojana) में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा अपने हिस्से की राशि देने में आनाकानी की जा रही है। इससे हजारों आवासगृह निर्माणाधीन अधूरे पड़े हैं। गरीबों का आशियाना अधूरा रह गया है। अधूरे पड़े निर्माण कार्य को तत्काल पूर्ण करने आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है।





पचास प्रतिशत आवास अधूरा





'मीडिया24मीडिया' से खास चर्चा में सांसद चुन्नीलाल साहू ने बताया कि सदन में अवरोध के कारण इस अहम मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पायी। लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति से पूरे मामले को लिखित में पटल पर रखा गया। इसमें बताया गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चिन्हित हितग्राहियों के साथ छत्तीसगढ़ में अन्याय हो रहा है। हितग्राही अनुदान मिलने की प्रत्याशा में कच्चे मकान को तोड़कर बेघर हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा हितग्राहियों को अनुदान की राशि आबंटित नहीं करने से 40 से 50 प्रतिशत निर्माणाधीन आवास अधूरे पड़े हैं।









अफसरों का रवैया गैरजिम्मेदाराना





हितग्राहियों द्वारा संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने पर आबंटन नहीं होने की बात कहकर बैरंग लौटा दिया जाता है।इसके चलते अनेक हितग्राहियों को घास और पॉलीथिन का झोपड़ी बनाकर निवास करने विवश होना पड़ रहा है। बरसात, सर्दी और गर्मी में ऐसे झोपड़ी में रहने विवश हो रहे हितग्राही खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। केंद्र सरकार तो समय पर अनुदान राशि आबंटित कर रही है। लेकिन, राज्य सरकार अपना अंशदान देने में आनाकानी कर रही है। गौरतलब है कि केंद्र प्रायोजित इस योजना में 75 फीसदी अनुदान केंद्र सरकार और 25 प्रतिशत राज्य सरकार देती है।


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